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This Article is From Sep 25, 2020

कोरोना में बिहार चुनाव से किसको फायदा ?

Manoranjan Bharati
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    सितंबर 25, 2020 16:47 pm IST
    • Published On सितंबर 25, 2020 16:18 pm IST
    • Last Updated On सितंबर 25, 2020 16:47 pm IST

Bihar Assembly Elections 2020: बिहार में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया गया है. 28 अक्टूबर,3 और 7 नवंबर को वोट डाले जाएंगे और 10 नवंबर को वोटों की गिनती होगी. चुनाव आयोग ने इस बार कोरोना को देखते हुए बड़ी संख्या में मास्क,सेनेटाइजर और दस्तानों की व्यवस्था की है. मगर सवाल अभी भी वही बना हुआ है कि इस वक्त चुनाव कराने की क्या जरूरत थी. कोरोना के इस काल में दुनिया के करीब 60 देशों ने अपने चुनाव टाल दिए हैं तो बिहार में चुनाव के लिए इतनी हड़बड़ी क्यों की गई? आखिर इससे किसको फायदा हो रहा है ? कौन है वो जो इस चुनाव के लिए जोर लगा रहा है ? ये बात यहां इसलिए महत्वपूर्ण है कि चुनाव आयोग से चुनाव टालने का अनुरोध विपक्षी दल जैसे आरजेडी और कांग्रेस ने तो किया ही था एनडीए में शामिल रामविलास पासवान की लोक जन शक्ति पार्टी ने भी किया था.

मगर लगता है सरकार ने यह मन बना लिया था कि इसी समय बिहार में चुनाव कराए जाएं. बिहार सरकार पर यह भी आरोप है कि उसने चुनाव का माहौल बनाने के लिए टेस्ट करने कम कर दिए और आंकड़ों को छुपाया और उसमें फेर बदल की. आंकड़ों के इस चक्कर में स्वास्थ्य सचिव को हटाया गया. बिहार पर यह आरोप है कि पहले तो उन्होंने टेस्ट कम किया और जब इस पर सवाल उठे तो उन्होने टेस्ट करने शुरू किए मगर इसमें अधिकतर ऐंटीजेन टेस्ट ज्यादा था जबकि आरटीपीसीआर टेस्ट अधिक होने चाहिए थे.

यही वजह है कि बिहार सरकार कह रही है कि वह एक लाख टेस्ट रोज कर रही है. सच्चाई ये है कि इसमें 90 फीसदी से ज्यादा टेस्ट ऐंटीजेन टेस्ट हैं. चलिए इस सब के वाबजूद बिहार में चुनाव हो रहे हैं इसलिए बात करते हैं राजनैतिक दलों की. बिहार में तीन प्रमुख दल हैं जिसमें से कोई दो साथ मिल जाते हैं तो उनकी जीत पक्की है जैसे पिछले चुनाव में आरजेडी और जेडीयू साथ मिल कर चुनाव लड़े थे तो बीजेपी हार गई थी. इस बार जेडीयू और बीजेपी साथ हैं. जाहिर है उनका पलड़ा भारी है. लेकिन इस बार छोटे दलों को लेकर भ्रम बना हुआ है जैसे रामविलास पासवान की लोजपा जेडीयू का साथ नहीं चाहती. मगर बीजेपी के साथ जाना चाहती है वहीं जीतन राम मांझी ने जेडीयू का दामन थाम लिया है. 

अभी तक ये नहीं मालूम कि उपेन्द्र कुशवाहा किधर जाऐंगे. उसी तरह बिहार में जातियों पर आधारित कुछ दल हैं जिनका अभी पता नहीं किस गठबंधन का हिस्सा होंगे. बिहार के किस चुनाव में बीजेपी अपना सब कुछ दांव पर लगाने वाली है हालांकि उसने पहले ही घोषणा कर दी है कि एनडीए के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ही होंगे मगर बीजेपी को भी मालूम है कि नीतिश कुमार का यह अंतिम चुनाव है और उसके बाद बिहार उनके कब्जे में होगा. बिहार के जो हालात है उसमें लोग सुशासन बाबू से उतने खुश नहीं बताए जा रहे हैं मगर बीजेपी से नाराज नहीं हैं. 

अभी भी बिहार में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सबसे सर्वमान्य नेता हैं और बीजेपी को यह पता है इसलिए इस बार बीजेपी बराबर सीटें लड़ने की बात कर रही है यानि 243 में से आधी-आधी. बीजेपी अपने कोटे से लोक जनशक्ति पार्टी को सीट दे और जेडीयू मांझी को. सोचिए यदि बीजेपी का स्ट्राइक रेट ज्यादा हो जो कि होने वाला है तो बिहार सरकार के क्या हालात होंगे. कहीं नीतिश कुमार कठपुतली मुख्यमंत्री बन कर ना रह जाएं. बीजेपी को मालूम है कि धन के बल पर वह वर्चुअल रैली अधिक से अधिक कर पाऐंगे. जिसकी वजह से विपक्षी दल बिहार में चुनाव टालने की बात कर रहे थे. 

यही सब कुछ वजहें है जिससे कोरोना की इस महामारी के बीच बिहार में चुनाव हो रहे हैं क्योंकि राजनीति और जंग में सब जायज है. भले ही यह कोरोना काल क्यों ना हो बात सत्ता की जो है आम लोगों के स्वास्थ्य की नहीं. 

(मनोरंजन भारती NDTV इंडिया में 'सीनियर एक्ज़ीक्यूटिव एडिटर - पॉलिटिकल न्यूज़' हैं.)

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति NDTV उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार NDTV के नहीं हैं, तथा NDTV उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.

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