लोकसभा चुनाव 2019 : नरेंद्र मोदी बनाम महागठबंधन

समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन भारतीय राजनीति की तस्वीर बदलने वाला है, बीजेपी के लिए राह नहीं आसान

लोकसभा चुनाव 2019 : नरेंद्र मोदी बनाम महागठबंधन

उत्तरप्रदेश की राजनीति में सपा और बसपा ने साथ आकर कुछ ऐसा किया है जो करीब 25 साल पहले भी हुआ था, मगर इस बार इनका साथ आना काफी मायने रखता है. यह गठबंधन भारतीय राजनीति की तस्वीर बदलने वाला है. मायावती और अखिलेश दोनों ने अपने अहं को दरकिनार करते हुए साथ आने का फैसला लिया.

उत्तरप्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी. साथ ही रायबरेली और अमेठी में कोई उम्मीदवार भी नहीं खड़े करेगी. यही नहीं एक-एक सीट कुछ छोटी पार्टियों के लिए भी छोड़ी गई हैं. इस गठबंधन में अजित सिंह के लिए भी जगह है. उन्हें समाजवादी पार्टी अपने कोटे से भी सीट देगी. इसका मतलब है कि उत्तरप्रदेश में बीजेपी के पास जहां अभी 68 सीटें हैं, सपा-बसपा गठबंधन ने मुकाबला कड़ा कर दिया है.

यदि आप देश के पांच राज्यों जिसमें उत्तर प्रदेश,बिहार, महाराष्ट्र,पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु की लोकसभा सीटों को जोड़ दें तो करीब 250 सीटें बैठती हैं. अब इन राज्यों में देखते हैं कि बीजेपी कैसे हालात में है. उत्तरप्रदेश में बीजेपी को 2014 में सबसे बड़ी सफलता मिली थी. उसने 80 में से 70 सीटों पर जीत दर्ज की थी. यह सिलसिला 2017 में भी जारी रहा जब बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में शानदार जीत दर्ज की और योगी की सरकार बनी. मगर उसके बाद से बीजेपी का ग्राफ गिरता नजर आया. खासकर जब मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री की सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी ने गोरखपुर और फूलपुर दोनों सीटें हार गई. बाद में कैराना में भी बीजेपी को शिकस्त मिली क्योंकि बीजेपी के खिलाफ विपक्ष इकट्ठा था. यही हाल सपा और बसपा मिलकर 2019 में बीजेपी का करने वाली हैं, ऐसा कई राजनैतिक जानकार मानते हैं.

अब बात बिहार की करते हैं. यहां जेडीयू, बीजेपी और एलजेपी गठबंधन के खिलाफ महागठबंधन मजबूती से खड़ा है. इधर आरजेडी, कांग्रेस, कुशवाहा और जीतनराम मांझी हैं और वोटों का आंकड़ा 40 फीसदी तक जा रहा है. यानी बिहार की 40 सीटों पर भी लड़ाई जबरदस्त होने वाली है. महाराष्ट्र में 48 सीटें हैं. यहां कांग्रेस और एनसीपी साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगी, यह तय हो चुका है. मगर शिवसेना और बीजेपी साथ लड़ेंगे यह तय नहीं है.

इसी तरह पश्चिम बंगाल में 42 सीटें हैं. बीजेपी के पास दो सीटें हैं. यदि वह चार भी हो जाएं तो कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा. तमिलनाडु में 39 सीटें हैं, जहां बीजेपी के पास केवल एक सीट है बाकी पर एआईएडीएमके यानी जयललिता की पार्टी का कब्जा है. तो क्या बीजेपी एआईएडीएमके के साथ जाएगी? यह अभी पक्का नहीं है. दूसरी ओर डीएमके और कांग्रेस का गठबंधन पक्का है. जानकार मानते हैं कि डीएमके और कांग्रेस की जीत यहां पक्की है. यानी लोकसभा की इन 250 सीटों पर बीजेपी के लिए बहुत उत्साहवर्धक खबर नहीं है.

बच गई कर्नाटक की 27 सीटें, जहां कांग्रेस और जेडीएस का गठबंधन साथ चुनाव लड़ेगा. तब बीजेपी अपनी मौजूदा 15 सीटें भी बचा ले, ऐसा लगता नहीं है. हां कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन लोकसभा चुनाव से पहले टूट जाएं तो बात कुछ और हो सकती है. इसी तरह राजस्थान की सभी 25 सीटों पर बीजेपी का कब्जा है. अब वहां सरकार बदल चुकी है तो जाहिर है बीजेपी सभी 25 सीटें तो नहीं ही जीत सकती है. इसी तरह मध्यप्रदेश की 29 सीटों में से 26 सीटों पर बीजेपी का कब्जा है, मगर अब वहां कमलनाथ हैं जो बीजेपी को अपना पुराना प्रदर्शन दोहराने नहीं देंगे.

जाहिर है 2019 में बीजेपी के लिए कम से कम कागज पर सीटों का अकाल नजर आता है. हां यदि उसने कोई ऐसा मुद्दा ढूंढ लिया जिससे फिर एक लहर उसके पक्ष में चल जाए तो बात कुछ और हो सकती है. इसके लिए आपको चंद महीनों तक इंतजार करना पड़ेगा. वैसे यह तो तय है कि 2019 का लोकसभा चुनाव काफी रोचक और मजेदार होने वाला है.

 

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(मनोरंजन भारती NDTV इंडिया में 'सीनियर एक्ज़ीक्यूटिव एडिटर - पॉलिटिकल न्यूज़' हैं...)
 
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