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This Article is From Jul 19, 2019

कर्नाटक में चल रहे 'नाटक' के सूत्रधार दिल्ली में, वही तय कर रहे अगला सीन

Manoranjan Bharati
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जुलाई 19, 2019 19:39 pm IST
    • Published On जुलाई 19, 2019 19:26 pm IST
    • Last Updated On जुलाई 19, 2019 19:39 pm IST

कर्नाटक का नाटक रचा जा रहा है दिल्ली में. वहां की विधानसभा में जो कुछ भी हो रहा है, या कहें कर्नाटक के नेता जो कुछ भी कर रहे हैं, वह उनसे करवाया जा रहा है जिसमें महामहिम राज्यपाल भी शामिल हैं. ये सभी उस नाटक के पात्र हैं जिसकी पटकथा दिल्ली में लिखी जा रही है. इसमें जेडीएस-कांग्रेस सरकार की तरफ से विधानसभा अध्यक्ष, या कहें वहां के स्पीकर अहम पात्र हैं, तो केन्द्र सरकार की तरफ से हैं राज्यपाल बजू भाई वाला. यह वही शख्स हैं जिन्होंने एक वक्त में विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए अपनी सीट छोड़ दी थी. अब यहां सब अपने-अपने आकाओं के हितों की रक्षा करते नजर आ रहे हैं. किसी को संविधान की रक्षा करने की फिक्र नहीं है.

कर्नाटक के संबंध में सबसे अहम बात है कि बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को दिल्ली में तय करना है कि वह कर्नाटक में सरकार बनाना चाहती है या नहीं. फिलहाल दिल्ली में सरकार ने तय किया है कि वह कर्नाटक में धारा 356 लगाने या सरकार बर्खास्त करने के पक्ष में नहीं है. साथ में यह भी लग रहा है कि बीजेपी वहां तुरंत सरकार बनाने के लिए उतनी इच्छुक भी नहीं है क्योंकि उसे लगता है कि यदि बीजेपी ने विधायक तोड़कर सरकार बनाई तो उस पर तोड़फोड़ करके सरकार गिराने और बनाने का एक और आरोप लगेगा. बीजेपी को यह भी लगता है कि कर्नाटक में गोवा जैसे हालात नहीं हैं. यहां विधायकों के इस्तीफे के बाद भी बीजेपी के पास एक दो विधायकों का ही बहुमत होगा जो खतरे से खाली नहीं है..क्योंकि यदि कोई विधायक किसी बात पर नाराज होता है तो सरकार संकट में आ जाएगी.

दिल्ली में बीजेपी की रणनीति फिलहाल ऐसी लग रही है कि जेडीएस-कांग्रेस सरकार खुद ब खुद गिर जाए और वहां फिर राष्ट्रपति शासन लगाकर साल के अंत में महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड के साथ चुनाव करवा लिए जाएं. बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को लग रहा है कि यदि वहां राष्ट्रपति शासन के बाद साल के अंत में चुनाव कराए जाएं तो बीजेपी बड़े बहुमत से जीतेगी, जैसा कि लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिला है. तब वहां एक स्थिर सरकार पांच साल तक चलाना आसान होगा. लेकिन यहां दिक्कत कर्नाटक के बीजेपी नेता येदियुरप्पा को है. उन्हें इसी विधानसभा में मुख्यमंत्री बनना है क्योंकि उन्हें मालूम है कि यदि यह विधानसभा भंग हो जाती है तो उनका मुख्यमंत्री बनने का सपना, सपना ही रह जाएगा. उन्हें मालूम है कि कर्नाटक में यदि चुनाव हुए तो उनको बीजेपी का केन्द्रीय नेतृत्व टिकट ही नहीं देगा क्योंकि वे अब 76 साल के हो चुके हैं और बीजेपी ने एक तरह से नियम बना रखा है कि 75 साल के अधिक के नेता को किसी भी चुनाव का टिकट नहीं दिया जाएगा. यानी येदियुरप्पा के लिए कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनने का यह अंतिम मौका है जो वे हाथ से जाने नहीं देना चाहते. मगर बीजेपी का दिल्ली में बैठा नेतृत्व उनका साथ ही नहीं दे रहा है.

दूसरी तरफ कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर को भी दिल्ली से ही बताया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राज्यपाल का कोई भी आदेश मानना बाध्य नहीं है. कांग्रेस की एक टीम दिल्ली में बैठकर विधानसभा में हो रही पल-पल की गतिविधियों पर नजर रखे हुए है और उसी अनुसार कुमारस्वामी और सिद्धारमैया को निर्देश दिए जा रहे हैं. यानी राजनैतिक नाटक भले ही कर्नाटक में खेला जा रहा हो, सूत्रधार यहां दिल्ली में बैठकर तय कर रहे हैं कि नाटक का अगला सीन क्या होगा.

(मनोरंजन भारती NDTV इंडिया में 'सीनियर एक्ज़ीक्यूटिव एडिटर - पॉलिटिकल न्यूज़' हैं...)

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