नीतीश ने जनता दरबार के बाद अपने हर सोमवार के संवाददाता सम्मलेन में पहले बिना नाम लिए कहा कि मांझी विश्वासघाती हैं और जनता विश्वासघात करने वाले नेताओं को सबक सिखाती है।
नीतीश यहीं नहीं रुके और फिर एक सवाल के जवाब में उन्होंने विभीषण से भी मांझी की तुलना कर डाली और कहा कि जैसे कोई अपने घर में किसी बच्चे का नाम विभीषण नहीं रखता वैसे ही नीतीश ने इशारों इशारों में कहा कि जीतन राम मांझी का नाम लेने से भी लोग परहेज करेंगे।
नीतीश की प्रतिक्रिया से निश्चित रूप से जीतन राम मांझी खुश नहीं होंगे। दरअसल, नीतीश हिन्दी अखबारों में मांझी के उन बयानों से खुश नहीं दिखते, जिसमें वे नीतीश को सत्ता से बेदखल करने को अपने राजनीतिक जीवन का सबसे बड़ा मकसद बताते हैं।
इस बीच मांझी ने दावा किया है कि भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने उन्हें अपनी पार्टी का बीजेपी में विलय करने का न्योता दिया था, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया। यही नहीं मांझी ने दावा किया कि गठबंधन में उनकी पार्टी को कम से कम 71 सीटें मिलनी चाहिए। हालांकि बीजेपी नेताओं का कहना है कि मांझी के दोनों दावों में तथ्य कम, अखबार में छापने के लिए मसाला ज्यादा है।
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