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This Article is From Jun 15, 2015

मनीष कुमार की कलम से : जीतन राम मांझी विश्वासघाती ही नहीं, विभीषण भी हैं...

Manish Kumar, Saad Bin Omer
  • Blogs,
  • Updated:
    जून 15, 2015 17:49 pm IST
    • Published On जून 15, 2015 17:44 pm IST
    • Last Updated On जून 15, 2015 17:49 pm IST
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार यूं तो पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का नाम लेने से परहेज करते हैं, लेकिन सोमवार को उनका नाम लिए बिना उन्होंने खूब खरी-खोटी सुनाई।

नीतीश ने जनता दरबार के बाद अपने हर सोमवार के संवाददाता सम्मलेन में पहले बिना नाम लिए कहा कि मांझी विश्वासघाती हैं और जनता विश्वासघात करने वाले नेताओं को सबक सिखाती है।

नीतीश यहीं नहीं रुके और फिर एक सवाल के जवाब में उन्होंने विभीषण से भी मांझी की तुलना कर डाली और कहा कि जैसे कोई अपने घर में किसी बच्चे का नाम विभीषण नहीं रखता वैसे ही नीतीश ने इशारों इशारों में कहा कि जीतन राम मांझी का नाम लेने से भी लोग परहेज करेंगे।

नीतीश की प्रतिक्रिया से निश्चित रूप से जीतन राम मांझी खुश नहीं होंगे। दरअसल, नीतीश हिन्दी अखबारों में मांझी के उन बयानों से खुश नहीं दिखते, जिसमें वे नीतीश को सत्ता से बेदखल करने को अपने राजनीतिक जीवन का सबसे बड़ा मकसद बताते हैं।

इस बीच मांझी ने दावा किया है कि भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने उन्हें अपनी पार्टी का बीजेपी में विलय करने का न्योता दिया था, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया। यही नहीं मांझी ने दावा किया कि गठबंधन में उनकी पार्टी को कम से कम 71 सीटें मिलनी चाहिए। हालांकि बीजेपी नेताओं का कहना है कि मांझी के दोनों दावों में तथ्य कम, अखबार में छापने के लिए मसाला ज्यादा है।

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है। इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं। इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है।

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