मनीष कुमार की कलम से : क्या होगा तेरा, तृणमूल...

ममता बनर्जी का फाइल चित्र

पटना:

आपने गाहे-बगाहे फिल्म 'सूरज' का यह गीत ज़रूर सुना होगा - 'बहारों फूल बरसाओ, मेरा महबूब आया है...', लेकिन शायद तृणमूल कांग्रेस देश की एकमात्र पार्टी है, जो इसे अमल में लाती है... जब भी तृणमूल कांग्रेस नेता मदन मित्र जेल से कोर्ट आते हैं, उनके समर्थक उन पर फूलों की वर्षा करते हैं... आपकी जानकारी के लिए जेल जाने के बावजूद मदन मित्र आज भी ममता बनर्जी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं...

सो, स्वागत है आपका, आज के बंगाल में, जहां जेल जाने के बावजूद मंत्री से इस्तीफा नहीं लिया जाता, और जेल में भी मदन मित्र को एक मंत्री का प्रोटोकॉल दिया जाता है... दरअसल, मदन मित्र पर शारदा के प्रमुख सुदीप्तो सेन के साथ मिलीभगत कर पैसे का गबन करने का आरोप है, और सीबीआई ने उन्हें पिछले महीने पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था। हालांकि गिरफ्तारी के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जमकर उनका बचाव किया था, लेकिन सीबीआई का कहना है कि मदन मित्र के खिलाफ सबूत इतने पुख्ता हैं कि उन्हें अगले कई महीनों तक जेल में बंद रहना ही होगा...

वैसे, इस मामले में तृणमूल के दो राज्यसभा सांसद कुणाल घोष और सृंजॉय बोस फिलहाल जेल में हैं... इस बात में कोई संदेह नहीं कि शारदा ग्रुप के संबंध ममता बनर्जी, उनकी पार्टी तृणमूल से भी अच्छे रहे, और फिर बाद में उनकी सरकार से भी... और याद रखने वाली बात यह है कि जब संबंध अच्छे रहते हैं तो दोनों पक्षों को फायदा होता ही है, इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता...

सीबीआई अधिकारियों की मानें तो बाद में तृणमूल की मांग बढ़ते जाने के कारण शारदा ग्रुप की माली हालत खस्ता होती गई, और एक समय ऐसा भी आया, जब सुदीप्तो सेन को लगा कि वह अपने निवेशकों को पैसे नहीं दे सकता, सो, निवेशकों के गुस्से का सामना करने से पहले ही सुदीप्तो ने पुलिस के समक्ष समर्पण करना बेहतर समझा... और आज यही एक बड़ा कारण है कि भले ही तृणमूल के बड़े से बड़े नेता और कार्यकर्ता कितना भी हल्ला कर लें कि सीबीआई राजनैतिक आकाओं के इशारे पर काम कर रही है, लेकिन सच्चाई यही है कि जो सबूत सीबीआई के हाथ लगे हैं, उनका तार्किक जवाब पार्टी नेता नहीं दे पा रहे हैं...

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सो, बीजेपी के लिए पश्चिम बंगाल में अपने पैर पसारने और सरकार को घेरने के लिए इससे बेहतर वक्त और मुद्दा कोई नहीं हो सकता... वामपंथी दल पिछले विधानसभा चुनाव में हार के कारणों को खोजने में लगे हैं, और आने वाले दिनों में सीबीआई जांच की वजह से तृणमूल के कुछ और नेता भी जेल में होंगे, सो ऐसे में मुकुल रॉय जैसे नेता भी अगर जेल पहुंच गए, तो न केवल लोकसभा सीट पर होने वाला उपचुनाव, बल्कि स्थानीय निकाय चुनाव में भी तृणमूल की मुश्किले बढ़ सकती हैं...