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This Article is From Jan 02, 2016

लालू यादव की नीतीश कुमार को सलाह और सियासत

Mihir Gautam
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जनवरी 03, 2016 20:02 pm IST
    • Published On जनवरी 02, 2016 00:06 am IST
    • Last Updated On जनवरी 03, 2016 20:02 pm IST
बिहार के चुनाव में एक बड़ा मुद्दा जो लालू-नीतीश की जोड़ी के खिलाफ बनाया गया, वह था जंगलराज की वापसी होगी, लेकिन इस डर को बताने वाले लोगों को बिहार की जनता ने बुरी तरह खारिज कर दिया। पूरे चुनाव में न तो लालू यादव ने ऐसा कोई बयान दिया, जो नीतीश कुमार के लिए मुसीबत बने और न ही नीतीश ने कुछ ऐसा कहा जिससे लालू यादव को परेशानी झेलनी पड़े। यहां तक कि सभी उम्मीदवारों की लिस्ट भी एक साथ जारी हुई। इस तालमेल का जबरदस्त फायदा भी मिला। लेकिन सरकार बने अभी दो महीने भी नहीं बीते हैं, यह तालमेल कम होता दिख रहा है।

बिहार के दरभंगा में दो इंजीनियरों की हत्या ने कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े किए। इसके बाद वैशाली, कटिहार जैसी जगहों पर हुई वारदात पर विपक्ष ने सरकार को कटघरे में खड़ा किया। लेकिन इन सबके बीच जो बात थोड़ा हैरान करती है वह है लालू प्रसाद यादव की सलाह। वे सलाह दे रहे हैं कि एसपी और कलेक्टर गांव में रात में रुकें और नीतीश कुमार को पुलिस अफसरों को चिन्हित करने के लिए कह रहे हैं। लालू यादव यहीं नहीं रुके कहा अगर कोई खतरा है तो हम लोगों को फोन करें। हालांकि लालू यादव की पार्टी सरकार में सहयोगी है और नीतीश कुमार की जेडीयू से बड़ी पार्टी भी है। वह नीतीश कुमार को सलाह बिल्कुल दे सकते है। बिहार चुनाव में भी जरूर दी होगी। सरकार बनते वक्त मंत्रिमंडल पर भी दिया ही होगा, लेकिन यह सलाह मीडिया के सामने नहीं दी गई। तो फिर अचानक क्या हुआ कि लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार को मीडिया के जरिए सलाह दे रहे हैं।

अब बात नीतीश की करें तो विरोधी दल भी उन पर तंज कसने के लिए सुशासन बाबू ही कहते हैं। नीतीश कुमार के दस साल के शासन में कहा गया कानून-व्यवस्था की हालत सुधरी है। यह भी कहा गया कि बिहार में अपराध काफी कम हुआ है। आंकड़ों की बात न भी करें तो जनता के बीच बनी इस छवि का नीतीश को फायदा मिलता रहा। उनकी पहचान सुशासन बाबू के रूप में होने लगी। लेकिन अब विरोधियों के हमलों के साथ ही उन्हें लालू प्रसाद यादव की सलाह का सामना भी करना होगा। हालांकि जेडीयू ने बिना किसी का नाम लिए यह जरूर कहा कि नीतीश कुमार का ट्रैक रिकॉर्ड सबको पता है, उन्हें सलाह की जरूरत नहीं।

नीतीश कुमार कह रहे हैं उनकी सरकार जनता की उम्मीदों पर खरी उतरेगी, वहीं लालू यादव की सलाह पर उनका कहना है कि यह अच्छी बात है। लेकिन क्या वाकई नीतीश कुमार के लिए अच्छी बात है,  यह बात तो इन दोनों दलों को तय करनी है। लेकिन सलाह की इस सियासत से बिहार में अपराध की घटनाएं कम होंगी? क्योंकि बिहार में कानून-व्यवस्था हमेशा से एक बड़ा मुद्दा रहा है और इस आधार पर राज्य में नेताओं की पहचान भी होती रही है।

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है। इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं। इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है।

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