पाकिस्तान में कथित भारतीय जासूस कुलभूषण जाधव की गिरफ्तारी के पीछे एक नहीं कई पेंच हैं। पाकिस्तान इसके ज़रिए न सिर्फ भारत पर पाकिस्तान में जासूसी, बलूचिस्तान में हिंसा फैलाने के आरोप की पुष्टि करने की कोशिश कर रहा है, बल्कि कहीं न कहीं इरान पर भी दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। मामला आर्थिक भी है और सीधा जुड़ा है पाकिस्तान, भारत, इरान, सउदी अरब और चीन की रणनीतिक ज़रूरतों से।
पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को चीन की मदद से बनाया गया है और इसे 30 हज़ार करोड़ रुपए की लागत पर चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर के तौर पर बढ़ाया जा रहा है, लेकिन इसके पास ही भारत की मदद से चाबहार बंदरगाह भी बनाया जा रहा है। इरान के सबसे गरीब प्रांत सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत को अब इरान सरकार विकसित करने की कोशिश कर रही है, इसलिए वहां पर अब चाबहार फ्री ट्रेड-इंडस्ट्रियल ज़ोन भी बनाया गया है। चाबहार, बेहद भीड़ भाड़ वाले स्ट्रेट ऑफ होरमज़ से बाहर है और ओमान की खाड़ी से होते हुए हिंद महासागर से जुड़ा है। यानि, अगर चीन के पास ग्वादर है तो भारत के पास चाबहार। एक बार यह काम पूरा हो जाता है तो भारत समुद्र के रास्ते, बिना पाकिस्तान के बीच में आए, सीधा अफगानिस्तान से जुड़ जाएगा। इससे गैस और उर्जा की सप्लाई में बेहद आसानी हो जाएगी। साफ है कि भारत के लिए यह आर्थिक और रणनीतिक दोनों लिहाज़ से बेहद अहम है।
इरान के लिए भी यह कोई कम अहम नहीं। उसके लिए सिस्तान-बलूचिस्तान का विकास करना वहां चल रहे उग्रवाद पर काबू पाने का एक तरीका है। असल में इरान का यह इलाका पाकिस्तान के बलूचिस्तान इलाके से लगा हुआ है। पाकिस्तान के बलूचिस्तान में पहले ही अलगाववादी सक्रिय हैं। साथ ही इनका समर्थन इरान के बलूचिस्तान में उग्रवादियों को भी मिलता है। इरान और पाकिस्तान ने 2014 में इनसे निबटने के लिए एक दूसरे का साथ देने का समझौता किया है, लेकिन इरान कई बार पाकिस्तान पर इन उग्रवादियों की मदद का आरोप लगा चुका है। ऐसे हालात में कथित भारतीय जासूस की गिरफ्तारी, गिरफ्तारी के ऐलान का वक्त, पाकिस्तान और इरान की तरफ से आए बयान, एक अलग तस्वीर की तरफ इशारा करते हैं। एक नजर डालते हैं इन हालात और बयानों पर।
माना यह जा रहा है कि कथित भारतीय जासूस कुलभूषण जाधव पाकिस्तानी एजेंसियों के कब्ज़े में, उसकी गिरफ्तारी के ऐलान के कुछ महीने पहले से था। ऐसे में पाकिस्तानी सेना ने इसकी गिरफ्तारी का ऐलान ठीक उस वक्त किया जब न सिर्फ पाकिस्तान की Joint Investigation Team (संयुक्त जांच दल) भारत में पठानकोट हमले की जांच के लिए पहुंची थी, बल्कि इरान के राष्ट्रपति हसन रुहानी भी इस्लामाबाद में थे। जब पाकिस्तानी मीडिया ने इस मामले में इरान का भी नाम लेना शुरू किया तो वहां के गृह मंत्री निसार खान ने ऐसा न करने की ताकीद करते हुए कहा कि इरान का भारतीय खुफिया तंत्र से कोई लेना देना नहीं। और तो और इस्लामाबाद स्थित इरान दूतावास ने एक बयान जारी कर चेतावनी भी दी कि अगर मीडिया में इस तरह की बातें जारी रहीं तो पाकिस्तान और इरान के दोस्ताना संबंधों पर भी असर पड़ सकता है।
पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक सेना प्रमुख राहील शरीफ ने राष्ट्रपति रूहानी से मुलाकात के दौरान भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के पाकिस्तान के अंदरूनी मामलों में, खासकर बलूचिस्तान में दखल देने के बारे में भी बात की थी। यहां तक कि सेना के प्रवक्ता ने रॉ के इरान की ज़मीन का इस्तेमाल करने के बारे में भी चिंता जताई थी। लेकिन एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इरान के राष्ट्रपति रुहानी ने जनरल राहील शरीफ से ऐसी किसी बातचीत से साफ इंकार कर दिया। पाकिस्तान की इस पूरी कवायद को इरान पर एक दबाव बनाने की कोशिश माना जा सकता है। दोनों देशों की सरहद पर कई बार फायरिंग हो चुकी है। और पाकिस्तान सेना के ऐसे बयान इसी तरफ इशारा करते हैं कि अगर चाबहार में भारत-इरान का ऐसा ही सहयोग चलता रहा तो पाकिस्तान अपनी सीमा से इरान में घुसने वाले उग्रवादियों पर ढिलाई बरत सकता है और इरान के के लिए मुश्किलें बढ़ा सकता है।
जहां तक कथित भारतीय जासूस कुलभूषण जाधव का सवाल है, तो भारत यह मानता है कि यह नागरिक तो है लेकिन उसके जासूस होने से साफ इंकार करता है। भारत का कहना है कि इरान के चाबहार इलाके से यह शख्स कारोबार करता है और उसके वहां से अगवा करके पाकिस्तान पहुंचाए जाने का शक जताया है। इस सबके बीच खबरें यह भी आ रही हैं कि इरान अब जाधव चाबहार में क्या कर रहा था, उसके कारोबार का गलत इस्तेमाल तो नहीं हो रहा था और अगर गलत इस्तेमाल हो रहा था तो क्या उसे इसकी जानकारी थी, इन सब चीजों की जांच करेगा। साफ है, इरान न तो भारत से और न ही पाकिस्तान से संबंध बिगाड़ना चाहता है, लेकिन पाकिस्तान के दबाव में भी नहीं आना चाहता। लेकिन निश्चित तौर पर वह पाकिस्तान के इस आरोप की भी जांच करना चाहेगा कि चाबहार का इस्तेमाल रॉ तो नहीं कर रही। फिलहाल भारत कुलभूषण जाधव तक काउन्सलर एक्सेस, यानि इस्लामाबाद में भारतीय हाई कमीशन में मौजूद राजनयिकों के उससे मिलने की इजाज़त, का इंतज़ार कर रहा है।
This Article is From Apr 14, 2016
पाकिस्तान में कुलभूषण जाधव की गिरफ्तारी, मामला आर्थिक भी है और रणनीतिक भी...
Kadambini Sharma
- ब्लॉग,
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Updated:अप्रैल 14, 2016 20:11 pm IST
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Published On अप्रैल 14, 2016 20:11 pm IST
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Last Updated On अप्रैल 14, 2016 20:11 pm IST
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