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This Article is From Apr 02, 2015

आनंद पटेल की कलम से : बीजेपी के राज में भी खेमका के साथ कांग्रेस जैसा सलूक

Anand Kumar Patel, Vandana Verma
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  • Updated:
    अप्रैल 02, 2015 16:35 pm IST
    • Published On अप्रैल 02, 2015 16:31 pm IST
    • Last Updated On अप्रैल 02, 2015 16:35 pm IST

हरियाणा के आईएएस अफसर अशोक खेमका का एक बार फिर तबादला कर दिया गया है। उन्हें यातायात आयुक्त के पद से हटाकर दोबारा पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के सचिव और महानिदेशक की जिम्मेदारी सौंपी गई है। कहा जा रहा है कि खनन माफिया पर नकेल कसने की सजा उन्हें दी गई है जबकि सरकार इसे आम प्रसाशनिक फैसला बता रही है।

अशोक खेमका एक बार फिर सुर्ख़ियों में हैं। 23 साल के करियर में 45वां तबादला। यातायात महकमे में उन्हें सिर्फ 4 महीने हुए थे। परेशान खेमका ने ट्वीट कर अपना विरोध जताया, उन्होंने लिखा, तमाम कमियों के बावजूद परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार को रोकने और बदलाव लाने की कोशिश की। ये क्षण तकलीफ देने वाला है। महानिदेशक या सचिव पद 16 साल के सेवा वाले आईएएस अफसर के लिए हैं, मैं 24 साल की सेवा दे चूका हूं।

कांग्रेस की हुड्डा सरकार के कार्यकाल में खेमका ने वाड्रा-डीएलएफ ज़मीन सौदा ख़ारिज किया था, जिसके बाद उन्हें चकबंदी से हटाकर पुरातत्व विभाग में भेज दिया गया था। तब बीजेपी ने ईमानदार अफसर को परेशान करने का आरोप कांग्रेस पर लगाया था, अब बीजेपी की ही खट्टर सरकार पर वही आरोप लग रहे हैं।

कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा, बीजेपी को जवाब देना चाहिए, क्योंकि उन्होंने खेमका के तबादले को मुद्दा बनाया था। मैं न तो खेमका का पक्ष ले रहा हूं और न ही उनके खिलाफ हूं, लेकिन इस तबादले से बीजेपी का दोहरा चेहरा सामने आया है।

वहीं आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता आशुतोष ने कहा, बीजेपी और कांग्रेस पार्टी दोनों बराबर भ्रष्ट हैं, इसलिए खेमका जैसे अफसर दोनों के लिए खतरा हैं और उनके जैसे ईमानदार अफसर मुश्किल में हैं।

खेमका के करीबियों की मानें तो उन्होंने दिसंबर में आदेश जारी कर तय मानकों से ज़्यादा भार वाले वाहनों पर सख्ती करने का अधिकार जिला अफसरों को दे दिया था, जिससे खनन लॉबी बेहद खफा थी।

उनके तबादले पर सरकार में एक राय नहीं है। स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा, मैं खेमका के साथ हूं, उनके तबादले पर मैं मुख्यमंत्री से बात करूंगा। उन्होंने कांग्रेस राज में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। जबकि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा, खेमका ईमानदार अफसर हैं, लेकिन उनका कहां इस्तेमाल करना है, ये सरकार का काम है।

वैसे यह बात हैरान करने वाली है कि जो सरकार खेमका को ईमानदार मानती है वह पिछले चार महीने से उनके खिलाफ हुड्डा सरकार की चार्जशीट निरस्त करने में टाल-मटोल कर रही है जबकि खेमका की कार्यवाही पर सीएजी अपनी रिपोर्ट में मुहर लगा चुकी है।

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