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This Article is From Jan 16, 2020

भारत को कठघरे में खड़ा करने में नाकामयाब चीन सबक ले

Kadambini Sharma
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जनवरी 17, 2020 11:50 am IST
    • Published On जनवरी 16, 2020 20:40 pm IST
    • Last Updated On जनवरी 17, 2020 11:50 am IST

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में चीन के कहने पर कश्मीर पर बुलाई गई क्लोज्ड डोर बैठक बेनतीजा रही. बेनतीजा इसलिए कि अधिकतर देशों ने साफ कर दिया कि वे कश्मीर के मामले को अंतरराष्ट्रीय नहीं, द्विपक्षीय मुद्दा समझते हैं. तो कश्मीर का अंतरराष्ट्रीयकरण करने की पाकिस्तान और चीन की एक और कोशिश नाकाम हो गई. भारत ने इस बैठक पर तीखी प्रतिक्रिया जताई है.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि यूएनएससी के मंच का दुरुपयोग करने की कोशिश की गई, लेकिन सबसे चौंकाने वाला बयान रहा चीन के बारे में. विदेश मंत्रालय ने सख्त लहज़े में कहा कि चीन भी इस अंतरराष्ट्रीय मत से सबक ले और भविष्य में ये करने से बचे. आम तौर पर विदेश मंत्रालय से सीधा चीन का नाम लेकर ऐसे बयान नहीं आते. फिर यहां क्या बदला?

असल में अगस्त से चीन की ये तीसरी कोशिश है कि कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाया जाए. इसमें पाकिस्तान फैक्टर तो है ही, कश्मीर से 370 हटाने के बाद कई मोर्चों पर सफाई देते और आर्थिक परेशानी से पार पाते भारत को अस्थिर रखने की चीन की अपनी कोशिश भी है. भारत चीन के मामले में लगातार संयम बरतता आया है. चाहे डोकलाम हो या अरुणाचल पर दावा, भारत बातचीत को सबसे सटीक उपाय बताता आया है. वूहान में पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति की मुलाकात के बाद रिश्तों में तल्खी कम होती लगी थी, लेकिन वही प्रभाव 2019 में भारत के महाबलिपुरम में हुई अनौपचारिक सम्मिट में नहीं दिखा.

दूसरी तरफ चीन की वैश्विक स्थिति में भी काफी बदवाल आया है. अमेरिका से व्यापार को लेकर तकरार लगातार जारी है. साउथ चाइना सी में और हिंद महासागर में चीन की गतिविधियां अमेरिका ही नहीं कई अन्य देशों को भी नागवार गुजर रही हैं. और तो और मुस्लिम बहुल शिनजिंयांग प्रांत में चीन के मानवाधिकार उल्लंघन की खबरें पश्चिमी मीडिया में सुर्खियों में बनी हुई हैं. लगता है कि चीन यह दबाव बनाकर न सिर्फ सीमा विवाद, बल्कि फाइव जी टेक्नोलॉजी और नए बाजारों की खोज में भी फायदा उठाना चाहता है. चीन के इस कूटनीतिक दबाव को, खासकर कश्मीर के मामले में, बर्दाश्त करने को भारत अब तैयार नहीं.  इसीलिए अब हर पहलू को सोच-समझकर चीन को भी एक साफ संदेश दे दिया गया है कि ये अब नहीं चलेगा.

भारत ने कश्मीर से 370 हटाने के बाद पी-5 देशों के साथ-साथ कई देशों को अपना पक्ष साफ तौर पर समझाया है. विदेशों में अपने मिशनों को भी स्थानीय सरकारों को अपनी मंशा और कश्मीर के हालात बताने को कहा है. और इसका असर ये हुआ है कि पाकिस्तान के अलावा किसी देश ने इस पर आपत्ति नहीं की और पाकिस्तान की लाख कोशिशों के बावजूद उसे कहीं से इस पर समर्थन नहीं मिला. तो इस मसले पर भारत अपने आप को मजबूत स्थिति में पाता है और ये सीधा संदेश दिया है कि चीन इस मसले पर अपने दायरे में रहे क्योंकि विश्व के बाकी देश भी भारत के साथ खड़े हैं.

कादम्बिनी शर्मा NDTV इंडिया में एंकर और एडिटर (फॉरेन अफेयर्स) हैं...

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