इक़बाल परवेज़ की क़लम से: धोनी अब धुरंधर नहीं रहे

इक़बाल परवेज़ की क़लम से: धोनी अब धुरंधर नहीं रहे

एमएस धोनी (फाइल फोटो)

आज से भारत और साउथ अफ्रीका के बीच टेस्ट सीरीज़ शुरू हो चुकी है। टेस्ट की टीम इंडिया के विराट कोहली नए कप्तान हैं। अगर टीम का प्रदर्शन थोडा कमज़ोर होगा तो विराट की कप्तानी की तुलना महेंद्र सिंह धोनी से होगी। धोनी की शान में कसीदे पढ़े जायेंगे मगर मैं ये कहना चाहता हूं कि सही समय पर धोनी ने कम से कम टेस्ट की टीम से रिटायर होने का निर्णय लिया क्योंकि धोनी अब धुरंधर नहीं रहे।

मैं जानता हूं कि मेरे इस लेख को पढ़कर कुछ लोग मेरे साथ सहमत नहीं होंगे मगर यह केवल मैं नहीं कह रहा हूं। धोनी के आंकड़े कह रहे हैं कि धोनी अब धुरंधर नहीं रहे। मुझे यकीन है कि जब आप ये आर्टिकल पढ़ेंगे तो आप भी शायद कहेंगे कि 'वो ज़माना गया जब ख़लील ख़ान फ़ाख़्ता उड़ाया करते थे।'

एक ज़माना था जब धोनी को दुनिया का सबसे अच्छा फिनिशर कहा जाता था। दुनिया के किसी भी गेंदबाज की किसी भी गेंद को सीमा रेखा के पार जब चाहते थे, धोनी भेज देते थे। दुनिया के बेहतरीन गेंदबाज धोनी से खौफ़ खाते थे। आखिरी के ओवरों में दुनिया के सबसे खतरनाक बल्लेबाज़ माने जाते थे और उनमें गज़ब की लड़कर मैच जीतने की शक्ति थी। यही वजह है कि धोनी को धुरंधर कहा जाता था मगर वो गुज़रे ज़माने की बात हो चुकी है।

साल 2011 के वर्ल्ड कप को जीतने के बाद धोनी के प्रार्शन में लगातार गिरावट आयी है। चाहे धोनी का स्ट्राइक रेट हो या कंसिस्टेंसी, हर चीज़ में गिरावट आयी है। सबसे पहले देश में ही खेले जानेवाले IPL के प्रदर्शन में आयी गिरावट पर एक नज़र डाल लीजिये और फैसला कीजिये कि क्या धोनी का धुरंधर पन कम हुआ है? धोनी का स्ट्राइक रेट छठे IPL यानी 2013 में 166 का था। और 2014 यानी 7वें IPL में धोनी का स्ट्राइक रेट 148 पर पहुंच गया। 2015 में हुए 8वें IPL में धोनी के स्ट्राइक रेट में और भारी गिरावट आई और ये स्ट्राइक रेट गिर कर पहुंच गया करीब 122 पर। 122 का स्ट्राइक रेट आज की क्रिकेट या टी20 में साधारण माना जाता है और इस हिसाब से धोनी का स्ट्राइक रेट एकदम साधारण हो गया।

ज़्यादा पीछे नहीं, 2014 के टी20 का वर्ल्ड कप फाइनल ही ले लीजिये। युवराज सिंह के घर पथराव हुए क्योंकि आख़िरी के ओवरों में युवराज नहीं धुलाई कर पाए। श्रीलंका के गेंदबाजों की नजर से देखा जाए तो धोनी भी दोषी हैं क्योंकि युवराज के साथ आखिरी के 5 ओवरों में क्रीज़ पर धोनी भी मौजूद थे और धोनी ने भी करीब वही 25 गेंदों में 25 रन बनाये थे यानी धोनी श्रीलंकन गेंदबाजों की धुनाई नहीं कर पाये थे।

दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध चल रही सीरीज पर अगर रोशनी डालें तो टी20 हो या वनडे सीरीज, धोनी की टीम को पराजय का सामना करना पड़ा वो भी अपनी धरती पर जहां सबकुछ अपने हिसाब से होता है। मगर इस आर्टिकल में मैं भारत की हार के बारे में नहीं बल्कि धोनी की नाकामी के बारे में बता रहा हूं।

इस सीरीज में टीम इंडिया तो हारी ही मगर धोनी की ज़्यादा पोल खुली और ऐसा महसूस होने लगा कि धोनी बेचारे और लाचार बन गए। साउथ अफ्रीकन गेंदबाज़ों के सामने पहले वनडे में 30 बॉल में केवल 31 रन बनाया और टीम इंडिया को ऐसी स्थिति में खड़ा कर दिया जहां हार गई टीम। धोनी ने इस हार की ज़िम्मेदारी भी बाद में ली।

दूसरे एक दिवसीय मुकाबले में धोनी ने 92 रन तो बनाये मगर उसके लिए 86 गेंदों का सामना किया और आखिरी के ओवरों में धोनी जैसे ख़तरनाक बल्लेबाज़ के लिए ये साधारण बल्लेबाज़ी है। इस वनडे के लिए ये कहा जा सकता है कि विकेट बचाने के लिए धोनी ने थोड़ी धीमी गति से बल्लेबाज़ी की मगर मेरा ये मानना है कि धोनी की लाचारी यहां साफ़ दिखी, जब आखिरी के ओवर में धोनी ने 5 गेंदों पर कोई रन नहीं बनाया। हर गेंद पर मारना चाह रहे थे मगर नाकाम हो रहे थे। सिर्फ आखिरी बॉल पर मुश्किल से छक्का लगा। 5 डॉट बॉल अगर धोनी खेले तो वाकई उसका बल्ला थक गया है।

तीसरे एकदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय मुकाबले में टीम इंडिया जीतने की राह पर थी मगर इस मुकाबले में भी धोनी हार के ज़्यादा ज़िम्मेदार बने क्योंकि धोनी ने 47 रन बनाने के लिए 61 बॉल का सामना किया, वह भी खेल के बीच में जब धीमी गति के गेंदबाज़ और स्पिनर गेंदबाज़ी कर रहे थे। जब तेज़ रन बनाने का समय आया तब धोनी आउट हो गए और जीत के लिए ज़रूरी रन रेट को इतना बड़ा कर गए कि टीम इंडिया उस मंझधार से निकल ही नहीं पाई।

दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध इस सीरीज के चौथे वनडे में धोनी का बल्ला और बूढ़ा और थका हुआ नज़र आया। आख़िरी के ओवरों में धोनी क्रीज़ पर मौजूद थे। विकेट भी बची हुई थी मगर आखिरी के ओवरों में सबसे खतरनाक माना जाने वाला धुरंधर धोनी सीमा रेखा के पार गेंद पहुंचाने के लिए तरस रहा था। दक्षिण अफ्रीका के गेंदबाज रबादा जोकि अभी-अभी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में आए हैं, 47वां ओवर करने आये और धोनी को विकेट पर मौजूद होने के बावजूद 3 से 4 रन बने। डेल स्टेन ने 48वां ओवर फेंका और धोनी ने मुश्किल से एक एक रन कर मुश्किल से एक ओवर में 5 रन बनाये। 49वां ओवर फिर से रबादा लेकर आये और इस ओवर में भी केवल 5 रन बने। 50वां यानी आख़िरी ओवर डेल स्टेन लेकर आये। अब भी धोनी क्रीज़ पर मौजूद थे मगर कुछ नहीं कर पाये और 16 गेंदों में 15 रन बनाकर आउट हो गए। 5वां और आख़िरी मुकाबले में बुरी तरह हार भी आपको याद होगी, जब धोनी ने 27 रन बनाये थे।

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इन आकड़ों और लगातार गिरते प्रदर्शन के बाद यह कहना, मेरे नज़रिये से गलत नहीं होगा, कि धोनी अब धुरंधर नहीं रहे।