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This Article is From Aug 24, 2015

हम एहसानफरामोश देश की तरह पेश आ रहे हैं : जनरल वीके सिंह की बेटी

Mrinalini Singh (as told to NDTV's Sidharth Pandey)
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अगस्त 24, 2015 15:09 pm IST
    • Published On अगस्त 24, 2015 12:35 pm IST
    • Last Updated On अगस्त 24, 2015 15:09 pm IST
मृणालिनी सिंह केंद्रीय मंत्री तथा देश के पूर्व थलसेना प्रमुख जनरल वीके सिंह की पुत्री हैं। मृणालिनी रविवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे पूर्व फौजियों से मिलीं, जो OROP की घोषणा में देरी के विरोध में प्रदर्शनरत हैं।

मेरा मानना है कि हमें अपने फौजियों को 'वन रैंक वन पेंशन' (OROP) अब दे देना चाहिए। मैं एक फौजी की पत्नी हूं, और पूर्व फौजियों की बेटी और पुत्रवधू हूं। OROP को जल्द से जल्द लागू किया जाना चाहिए।

आश्वासन दिया गया है कि इस नीति को जल्द ही लागू किया जाएगा, लेकिन कोई समयसीमा नहीं बताई गई। हम सभी एक घोषणा का इंतज़ार कर रहे हैं, और आशा है कि प्रधानमंत्री जल्द ही ऐसा करेंगे, ताकि हमारे पूर्व फौजी दिल्ली के जंतर-मंतर से अपना विरोध प्रदर्शन खत्म कर अपने-अपने घर जा सकें।

मुझे लगता है कि इस मामले में बाबू (नौकरशाह) रोड़े अटका रहे हैं।

पहले कुछ रिटायर अफसरों द्वारा आमरण अनशन पर बैठने की ख़बरें थीं। हमने कुछ भावुक दृश्य भी देखे, लेकिन मैं जानती हूं कि वे शांति भंग करने जैसा कुछ नहीं करेंगे। बहरहाल, फिर भी 80-90 साल के बुजुर्गों को भूख हड़ताल पर बैठे देखना निराशाजनक है। इससे हम सभी को जाग जाना चाहिए - ये वे लोग हैं, जो ज़रूरत के समय देश के साथ खड़े रहे, और अब वह वक्त आ गया है, जब देश इन्हें कुछ लौटाए।

मैं इन लोगों में शामिल होने के लिए हिसार (हरियाणा) से यहां आई हूं। इससे कुछ मदद मिलेगी या नहीं, मैं नहीं जानती। यह फैसला आप लोग करें। मैं उम्मीद करती हूं कि सरकार ध्यान देगी। मैं उम्मीद करती हूं कि मीडिया इसे जगह देगा। मेरे पिता जनरल (रिटायर्ड) वीके सिंह ने प्रधानमंत्री को खत भी लिखा और मुलाकात भी की। मेरे पिता उनकी सरकार में मंत्री ज़रूर हैं, लेकिन पहले वह पूर्व फौजी हैं। इसी वजह स मैं यहां हूं। हम एहसानफरामोश देश की तरह पेश आ रहे हैं, हमें अपने फौजियों का ध्यान रखना होगा, हमें आत्मावलोकन करना होगा कि हम कहां गलत हो गए। मैं निश्चित रूप से अपने पिता से इस विरोध प्रदर्शन से जुड़ने के लिए कहूंगी, और प्रधानमंत्री से कहूंगी कि वह भी रक्षामंत्री के साथ यहां पूर्व फौजियों के पास आएं।

मेरा संदेश यही है - आदरणीय प्रधानमंत्री जी, मैं आग्रह करती हूं कि हमारे पूर्व फौजियों का ध्यान रखें, कृपया OROP की घोषणा जल्द से जल्द करें।

मैं लौटकर ज़रूर आऊंगी, मेरा एक बेटा है, जो स्कूल जाता है, लेकिन मैं लौटकर ज़रूर आऊंगी। आप सबके जरिये मैं बच्चों और पोतों स अपील करती हूं कि वे 27 तारीख को यहां आएं और प्रदर्शन में शामिल हों। हमारे पूर्व फौजी बुजुर्ग हैं, और यह जायज़ नहीं है कि उन्हें प्रदर्शन करना पड़े।

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है।

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