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This Article is From Apr 22, 2016

विजय माल्या और मुल्क पर सवार इल्लियां...

Dayashankar Mishra
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अप्रैल 22, 2016 17:18 pm IST
    • Published On अप्रैल 22, 2016 15:15 pm IST
    • Last Updated On अप्रैल 22, 2016 17:18 pm IST
आपमें से कुछ लोगों ने शरद जोशी का व्यंग्य ‘जीप पर सवार इल्लियां’ पढ़ा होगा। जिन्होंने नहीं पढ़ा, उन्हें बिना देरी किए आज ही पढ़ लेना चाहिए, क्योंकि एक ऐसे समाज में जहां तेजी से बैंकों, राजनीति और सरकारी संसाधनों पर ‘इल्लियां’ सवार हो रही हों, वहां कभी भी ऐसे बरगलाने वाले खतरनाक साहित्य पर पाबंदी लगाई जा सकती है। बल्कि मैं तो हैरान हूं कि अब तक ऐसा हुआ क्यों नहीं! क्योंकि ऐसी कोई भी रचना जिससे समाज को अपने बारे में कोई आईना दिखे उसे तुरंत 'पाताल लोक' पोस्ट करने की हमारी परंपरा रही है। हमें साहित्य, समाज से आने वाली ऐसी आवाजों से गुरेज होना ही चाहिए जो सवाल करें। आखिर सवालों में रखा क्‍या है। यह बस माइग्रेन का कारण होते हैं! यह विजय माल्या का बड़प्पन ही कहा जाएगा कि उन्होंने अब तक ‘जीप पर सवार इल्लियां’ पर प्रतिबंध की मांग नहीं की है, जबकि शरद जोशी ने कई बरस पहले ही उन पर शब्दबाण चलाए थे। हो सकता है माल्या इसका कॉपीराइट लेकर पूरा स्टॉक ही अपने साथ लंदन ले गए हों, ताकि कोई भी उनकी प्रेरणा और कार्यशैली को कॉपी न कर सके।

इस बीच गुरुवार को माल्या ने उचित ही बैंकों को हड़काया है कि उन्हें उनकी विदेश की संपत्ति का ब्योरा मांगने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि वह मूलत: #NRI हैं। बैंकों को तो कोई न कोई 'बलि का बकरा' चाहिए ही था सो वह मासूम माल्या के पीछे पड़ गए। हमें यह भी बिना शर्त मान लेना चाहिए कि उन पर 9000 करोड़ के लोन का डिफाल्टर होने का आरोप अवश्य ही किसी राजनैतिक साजिश के तहत लगाया गया होगा। माल्या संसद सदस्य हैं, एक सांसद से किसी को भी इस तरह से सवाल करने की इजाजत नहीं हो सकती। माल्या इस बात की ओर भी इशारा कर रहे हैं कि यह देश की सर्वोच्च संस्‍था पर बैंकों का हमला भी हो सकता है। हो सकता है कोई ऐसा बिजनेसमैन हो जिसे संसद तक पहुंचने में समस्या आ रही हो, तो इसलिए उसने माल्या को निशाना बनाया हो। इस बात की आशंका से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि ललि‍त मोदी ने यह सब अपने बदले की भावना से किया हो। अगर आप बॉलीवुड की फि‍ल्मों को कायदे से फॉलो करते हैं तो इस तरह की बिना खास वजह वाली बदले की थ्योरी से इंकार नहीं करेंगे।

वैसे भी मेरा दिल यह मानने को तैयार ही नहीं होता कि जो माल्या हजारों लोगों को सहज ही खाना-पीना कराते रहे हों (आप इसे पार्टी पढ़ सकते हैं)। मुफ़्त में जहाजों से सैर कराते रहे हों, वह कैसे महज कुछ हजार करोड़ के लिए 'इल्ली' होने का आरोप सहन करेंगें। इल्लियां कौन होती हैं, वह क्या और क्यों करती हैं यह कोई रॉकेट साइंस नहीं जिसके बारे में विस्तार से समझाने की लेखक से अपेक्षा की जाए। फि‍र भी इतना समझते चलिए कि इल्ली भरे पूरे खेत में फसल के बीच ही पनपती है और अगर समय रहते उसे नियंत्रित न किया जाए तो वह पूरी फसल को चट कर जाती है।

और सरल शब्दों में समझें तो इल्लियां या कैटरपिलर आहार के मामले में अधिकांशतः ‘शाकाहारी’ होती हैं, लेकिन कुछ प्रजातियां 'कीटभक्षी' भी होती हैं। इल्लियों को ‘खाने की मशीन’ कहा जाता है, वे पत्तियों को अंधाधुंध खाती हैं, यानी वह 'खाऊ' होती हैं। कई 'इल्लियों' का रंग अप्रकट भी होता है और वह उन पौधों के समान दिखती हैं, जिनका वे भक्षण करती हैं, यानी किसी को नजर नहीं आतीं और पौधे को नष्ट कर देती हैं।

इसलिए माल्या को कोसने और अपना ब्लडप्रेशर बढ़ाने से कोई लाभ नहीं, क्योंकि ऐसा ही हम एक अन्य माननीय ललित मोदी के मामले में भी करके देख चुके हैं। हमें तो करना यह चाहिए कि जितना संभव हो माल्या के प्रेरक प्रसंगों से प्रेरणा लें और ‘जीप पर सवार इल्लियां’ को कैसे भी खोजकर उसका अध्ययन कर, उससे प्रेरित हों। यही लाखों करोड़ के कर्ज से दबे भारतीयों के दिल बहलाने का एकमात्र उपाय दिखता है।

-दयाशंकर मिश्र khabar.ndtv.com के संपादक हैं।

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) :इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है। इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं। इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है।
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