बिहार के पुलिस प्रमुख हाथ जोड़ कर अपील कर रहे हैं कि मान जाइये घर से मत निकलिए. चाहे शहर में रहने वाले हों या गाँवों में. ध्यान से सुनिए.
आप सभी लोग इसका सख़्ती से पालन करें. कोरोना की गंभीरता को समझें. जब तक कि निकलना अनिवार्य न हो न निकलें. इसका मतलब यह नहीं कि सुबह शाम झोला लेकर आलू ख़रीदने निकल गए और बाज़ार में भीड़ कर दिए. अगर दुकान की तरफ़ जा रहे हैं तो वहाँ पहले से मौजूद ग्राहक से छह फ़ीट की दूरी पर रहें. अपने बग़ल वाले से भी कहें कि छह फ़ीट की दूरी पर रहें. काम खोज खोज कर घर से न निकलें. ज़िंदगी रहेगी तो घर में पलस्तर भी हो जाएगा और रंगाई भी हो जाएगी. अष्टजाम भी हो जाएगा
इसे मज़ाक़ में बिल्कुल न लें. मंदिर और मस्जिद न जाएँ. अगर कोई बंद नहीं कर रहा है तो फ़ोन से समझाएँ कि बंद कर दें. पूरी कोशिश करें कि कोई भी पूजा स्थल जहां पाँच लोगों के जमा होने की संभावना है वहाँ न जाएँ. उसके प्रमुख को जानते हैं तो पूरा दबाव बनाएँ कि बंद हो. धार्मिक मेला और
सामूहिक नमाज़ बिल्कुल स्थगित होनी चाहिए. सौ फ़ीसदी मस्जिद बंद करें. सौ फ़ीसदी मंदिर बंद करें.
मंदिर मस्जिद के बंद करने से लोगों में यह सूचना तेज़ी से फैलती है कि क्यों बंद किया गया है. कोरोना के कारण बंद किया गया है ताकि लोग एक दूसरे के क़रीब न आएँ. इससे जागरूकता फैलती है.
शहरों, क़स्बों और गाँवों में जो भी विदेश से आया है उससे दूरी बनाएँ. चौदह दिनों की दूरी बहुत ज़रूरी है. परिवार और समाज के लोग बिल्कुल हल्के में न लें कि हमको कुछ नहीं होगा. हम ठीक है. आम तौर पर यही लोग कहते हैं. लेकिन ये वो मौक़ा नहीं है. आपको कुछ हुआ तो आपसे पूरे गाँव को हो जाएगा.
बिहार के लोग दो बातें याद रखें.
वहाँ की स्वास्थ्य व्यवस्था तुलनात्मक रूप से जीरो समान है. उसमें कोई दम नहीं है. यह किसी भी आपदा का बोझ नहीं उठा सकती है.
आप ज़ीरो के समान होने का मतलब समझते हैं.
जब न्यूयार्क की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा सकती है तो आगे बताने की ज़रूरत नहीं. सहरसा और बेतिया में कितना वेंटिलेटर है बताने की ज़रूरत नहीं है.
अभी तक आपने स्वास्थ्य जैसे विषय की कभी परवाह नहीं की. मुझे पूरा यक़ीन है आगे भी नहीं करेंगे. आपने अपने राजनीति फ़ैसले में स्वास्थ्य को जितना महत्व दिया है उसी के अनुपात में स्वास्थ्य की सुविधा है.
बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था जन- लापरवाही के अनुपात में है.
अब और अपनी लापरवाही से स्थिति को न बिगाड़ें .
किसी नेता की पैरवी काम नहीं आएगी. वी आई पी भी एक बिस्तर के लिए तरस जाएँगे.
ये तभी नहीं होगा जब आप सामाजिक दूरी बनाएँगे. शहर बंद है तो और बंद करेंगे.
बारात में जाना बंद करें. कितना भी करीबी रिश्तेदार क्यों न हो.
अंतिम क्रिया में जाना बंद करें.
जिनके परिवारों में बीस पचास लोग हैं वे भी घर के भीतर भीड़ न करे. एक दूसरे से दूर रहें.
बीमार न पड़ना और संक्रमण न होने देना आपकी ज़िम्मेदारी है. आपका राष्ट्रीय कर्तव्य है
आप अस्पताल और चिकित्सा जैसे विषयों को प्रमुखता न देकर राष्ट्रीय कर्तव्य निभाने में असफल रहे हैं.
क्रिमिनल को विधायक चुनने में आगे रहेंगे तो यही होगा. ख़ैर इस पर बोलने से कोई लाभ नहीं. अब जात के आधार पर चुना गया विधायक उस जात के भी काम नहीं आएगा.
बिहार के पुलिस प्रमुख ने भी देहाती अंदाज़ा में वीडियो जारी कर अच्छा किया है ताकि साधारण जनता अधिक से अधिक समझ सके. बहुत अच्छा किया पुलिस प्रमुख ने.
इसी अंदाज में सभी ज़िलाधिकारी और एस पी को वीडियो बना कर चलाना चाहिए.
बिहार की पुलिस भी लाठी मारने के चक्कर में लोगों के क़रीब न जाए. वो भी अपने प्रमुख की बात सुने. इस वक्त सारा काम दूरी बना कर करना है.
दूर से ही नमस्कार करना है. सबसे दूर रहना है.
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