दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग ने केंद्रीय गृह सचिव से मुलाकात के बाद इस्तीफा दे दिया है. मोदी सरकार ने ढाई साल के कार्यकाल में यूपीए द्वारा नियुक्त अधिकांश राज्यपालों को बदल दिया, लेकिन दिल्ली में 'जंग' बरकरार रहे और केजरीवाल से उनकी जंग भी जारी रही. एलजी ऑफिस से जारी बयान के अनुसार, जंग वापस अपने एकेडमिक क्षेत्र में जाएंगे, जबकि आम आदमी पार्टी का मानना है कि केंद्र सरकार से जंग को ईनाम मिलेगा. इन संवादों से जाहिर है कि जंग के इस्तीफे के बावजूद दिल्ली में राजनीतिक घमासान नहीं रुकेगा!
स्वामी और केजरीवाल के निशाने पर जंग : बीजेपी के सांसद सुब्रमण्यम स्वामी और दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल परस्पर विरोधी होने के बावजूद नजीब जंग के विरुद्ध एकजुट रहे. डॉ. स्वामी के अनुसार जंग, कांग्रेसी नेता के एक शीर्ष और आलाकमान के नजदीकी नेता के इशारों पर काम करते हैं. तो दूसरी ओर केजरीवाल भी जंग के विरुद्ध देश की बड़ी कंपनी की कठपुतली होने सहित कई संगीन आरोप लगा चुके हैं, जिनमें बिजली कंपनियों को बेजा फायदा पहुंचाना भी शामिल है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से नए एलजी के अधिकार होंगे निर्धारित : दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश है, जहां एलजी केंद्र सरकार के प्रतिनिधि हैं. दिल्ली में विशाल बहुमत से चुनी गई केजरीवाल सरकार अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री की तरह अधिकार चाहते हैं, जिससे कई मुद्दों पर उनका एलजी और केंद्र सरकार से संघर्ष हुआ. पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने यह कहा था कि दिल्ली सरकार को निर्णय लेने के सीमित अधिकार मिलने चाहिए. सुप्रीम कोर्ट में मामले की फाइनल सुनवाई 18 जनवरी को होनी है, जिस पर फैसले से दिल्ली में राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं.
नए एलजी से कैसा होगा केजरीवाल का सियासी रिश्ता : विधि आयोग ने अपनी रिपोर्ट में राज्यपाल पद की जरूरत पर सवाल उठाया था. राज्यपालों की नियुक्ति में राज्य सरकार की सहमति न लेने पर हमेशा से सियासी दंगल होता रहा है. दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल अपने चुनावी वादे पूरा करने में असफल हो रहे हैं, जिसके लिए वे केंद्र सरकार तथा एलजी को जिम्मेदार ठहराते हैं. जंग के इस्तीफे के बावजूद क्या केजरीवाल का नए एलजी के साथ सियासी दंगल जारी रहेगा? नए एलजी की नियुक्ति तो जल्दी हो सकती है पर दिल्ली की तकदीर का फैसला नए साल में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद ही होगा.