आदित्य ठाकरे हैं, BJP के 'पप्पू 2' अभियान का निशाना... जानिए, क्यों...?

एक ओर BJP ठाकरे परिवार को लाठी से हांकने की कोशिश कर रही है, वहीं इस समीकरण में मौजूद दूसरे परिवार - पवार परिवार - के सामने वह चारा डालने की कोशिश में भी जुटी है.

आदित्य ठाकरे हैं, BJP के 'पप्पू 2' अभियान का निशाना... जानिए, क्यों...?

ऐसा लगता है, महाराष्ट्र की राजनीति ने तय कर लिया है कि वह मुंबई फिल्म इंडस्ट्री से ही प्रेरणा लेती रहेगी, क्योंकि यहां अब दो खानदानों के बीच पीढ़ी-दर-पीढ़ी चला आ रहा सत्ता संघर्ष जारी है. इसके साथ ही यहां एक अभिनेता की मौत होती है, एक के बाद एक आरोप-प्रत्यारोपों का सिलसिला शुरू हो जाता है, और भारतीय जनता पार्टी (BJP) का सारा ध्यान बिहार चुनाव की तरफ है, तो कुछ ही महीनों में होने वाले हैं.

यह कथानक इस वक्त देश के दो राज्यों में फैला हुआ है - महाराष्ट्र और बिहार...

बिना सोचे-समझे करवाए गए शपथग्रहण के 72 घंटे के भीतर ही महाराष्ट्र की सत्ता से हाथ धो बैठने के बाद से देवेंद्र फडणवीस दिन-रात उद्धव ठाकरे को सत्ताच्युत करने की कोशिशों में जुटे हुए हैं, जिन्होंने उनके मुताबिक मुख्यमंत्री की कुर्सी को हड़पा है. वैसे, ठाकरे इस वक्त कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के साथ गठबंधन में सरकार चला रहे हैं, लेकिन BJP का गुस्सा ठाकरे परिवार और उनकी पार्टी शिवसेना की ओर ही केंद्रित है.

मैंने इस आलेख के लिए महाराष्ट्र और केंद्रीय स्तर के कई नेताओं से बात की, जो इस कहानी को एक बेहद रोचक रंग में देखते हैं, और वह इस सोच पर आधारित है कि उद्धव ठाकरे और उनका पुत्र आदित्य ठाकरे महाराष्ट्र में BJP और उसके नेतृत्व के समक्ष वास्तव में खतरा बने हुए हैं. BJP मानकर चल रही थी कि पिता बाल ठाकरे के देहावसान के बाद चुपचाप रहने वाले फोटोग्राफर और गैर-करिश्माई व्यक्तित्व वाले उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना से निपटना बेहद सरल कार्य होगा. यह बहुत बड़ी गलती साबित हुआ. और जब उद्धव ठाकरे ने अपने पुत्र आदित्य को मंत्री बनाकर उन्हें आवश्यक प्रशासनिक अनुभव दिलाने का निर्णय लिया, BJP ने भी हस्तक्षेप का फैसला कर लिया.

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BJP और उसके आईटी सेल द्वारा राहुल गांधी के खिलाफ चलाए गए 'पप्पू' कैम्पेन को याद कीजिए, जिसे व्हॉट्सऐप जोक्स और अथक प्रचार के साथ चलाया गया था, और जिसका खुलासा मैंने अपनी इन्वेस्टिगेटिव किताब 'आई एम अ ट्रोल : इनसाइड द बीजेपी'ज़ सीक्रेट आर्मी' में किया था. राहुल की छवि उस हमले से कभी पूरी तरह नहीं उबर पाई. अब बिल्कुल इसी तरह का कीचड़ उछालने वाला कैम्पेन आदित्य ठाकरे के खिलाफ चलाया जा रहा है, जिसके तहत सोशल मीडिया पर लगातार आरोप लगाए जा रहे हैं कि अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत से आदित्य का कोई ताल्लुक है. उनके खिलाफ चलाए जा रहे पेड ट्रेंड सोशल मीडिया में टॉप पर चल रहे हैं और व्हॉट्सऐप पर आईटी सेल जो आरोप ठाकरे परिवार पर लगा रहा है, वे यहां लिखे भी नहीं जा सकते, क्योंकि वे मानहानि का मामला बन जाएगा.

BJP इस कैम्पेन को 'पप्पू 2' कहती है, जिससे उनके इरादे साफ-साफ ज़ाहिर हो रहे हैं.

एक ओर BJP ठाकरे परिवार को लाठी से हांकने की कोशिश कर रही है, वहीं इस समीकरण में मौजूद दूसरे परिवार - पवार परिवार - के सामने वह चारा डालने की कोशिश में भी जुटी है. इसी के तहत 'कमज़ोर कड़ी' अजित पवार - जो NCP प्रमुख शरद पवार के भतीजे हैं, और जिन्होंने चुनाव के तुरंत बाद देवेंद्र फडणवीस के साथ मिलकर सरकार बना ही ली थी - तक चुपचाप पहुंच बनाई गई थी.

कहा जाता है, अजित पवार की सोच स्थिर नहीं रहती, और उन्हें हमेशा अपना हक नज़र आता है. सुशांत राजपूत की मौत की जांच CBI से करवाने की मांग करने पर उनके पुत्र पार्थ पवार को शरद पवार ने सार्वजनिक रूप से डांटा था, लेकिन दो ही दिन पहले जब सुप्रीम कोर्ट ने केस CBI को सौंप दिया, तो पार्थ ने अपने दादाजी पर कटाक्ष करते हुए ट्वीट लिखा, 'सत्यमेव जयते...' आज से दो साल पहले इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी, लेकिन अब पवार परिवार के बीच गहरी खाइयां साफ दिखाई देने लगी हैं.

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इसे ही आगे बढ़ाते-बढ़ाते BJP अजित पवार और उनके बेटे से ज़मीन-आसमान के कुलाबे मिलाने के वादे कर रही है. इस दौरान, शरद पवार बेहद गौर से फडणवीस के खेल को निहार रहे हैं. शरद पवार इतने स्तरों पर राजनीति करते हैं, और इतने अपारदर्शी हैं कि उनके सहयोगियों को भी पता नहीं हात कि वह किसकी तरफ हैं. शरद पवार का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भी 'ओपन चैनल' रिश्ता है, जो महाराष्ट्र के इस दिग्गज को अपना 'राजनैतिक गुरु' बताते रहे हैं. अब कांग्रेस और शिवसेना दोनों इस बात को लेकर घबराहट में हैं कि राजनैतिक रूप ले चुके 'जस्टिस फॉर SSR' कैम्पेन में शरद पवार क्या रुख अपनाते हैं.

शिवसेना के एक वरिष्ठ नेता का कहना है, "हमने गलती कर दी - हमने कभी नहीं सोचा था, BJP राजनीति में इतना नीचे गिर जाएगी..." शिवसेना नेता ने कहा, "हमें पहली बार में ही CBI जांच के लिए हां कह देना चाहिए था (उसका विरोध करने के स्थान पर)... उन्होंने पहले आदित्य को घसीटा, और अब वे SSR को बिहार चुनाव में मुख्य मुद्दे की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं... यह BJP की राजनीति में नया निचला स्तर है..."

निचला स्तर यह भले ही हो या न हो, BJP और बिहार में उनके सहयोगी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तय कर लिया है कि आगामी चुनाव में SSR बड़ा हथियार होगा. कभी 'सुशासन बाबू' कहकर पुकारे जाने वाले नीतीश कुमार के पास अब कोई ऐसी उपलब्धि नहीं बची है, जिससे वे मतदाताओं को लुभा सकें. सो, बिहार के बेटे को इंसाफ दिलाने के लिए महाराष्ट्र के खिलाफ योजना बनी, जहां शिवसेना द्वारा 'धरती के बेटों' के लिए 'बाहरी' लोगों के खिलाफ चलाए जाने वाले अभियानों का शिकार अक्सर बिहार के वासी होते हैं.

अब मानकर चलिए, गंदी जानकारियों का खुलासा होगा, निजी बातचीत सार्वजनिक की जाएंगी, और जैसे-जैसे बिहार विधानसभा चुनाव नज़दीक आता जाएगा, BJP से जुड़े अभिनेता बेहद तेज़ गति से SSR कैम्पेन को चलाए रखेंगे. देवेंद्र फडणवीस जल्द ही पटना में जनता तक 'संदेश' पहुंचाते नज़र आने लगेंगे, क्योंकि उन्हें अब अनौपचारिक रूप से बिहार में BJP के प्रचार अभियान का प्रभार सौंप दिया गया है.

स्वाति चतुर्वेदी लेखिका तथा पत्रकार हैं, जो 'इंडियन एक्सप्रेस', 'द स्टेट्समैन' तथा 'द हिन्दुस्तान टाइम्स' के साथ काम कर चुकी हैं…

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