किसी भी चुनाव में असल मुद्दा तो रोजगार का ही रहता है, हालांकि चुनाव के दौरान इससे इतर कई मुद्दों की गर्माहट रहती है. बिहार में अब फिर से नीतीश सरकार बनने जा रही है. नीतीश अब तक बिजली, सड़क और सुरक्षा को लेकर तो खूब बोले और जो करना था वो किए, इसके लिए जनता ने उन्हें खूब सम्मान दिया. इस बार के बिहार विधानसभा चुनाव में विपक्ष ने रोजगार का मुद्दा खूब उठाया. RJD नेता तेजस्वी यादव ने तो वादा कर दिया कि हर घर में एक शख्स को सरकारी नौकरी मिलेगी. ऐसा नहीं है कि तेजस्वी की बातों को लोगों ने सिरे से नकार दिया. बिहार चुनाव में महागठबंधन को 36 फीसदी से ज्यादा लोगों ने वोट दिया है. इसका मतलब असल में मुद्दा रोजी-रोटी ही है, इसकी शक्ल भले ही बदली हुई हो.
अब बिहार में फिर से प्रचंड बहुमत के साथ NDA की सरकार है. NDA ने अपने घोषणा पत्र में 4 ऐसे वादे किए हैं जो मुझे बेहद पसंद हैं. अगर सरकार उन पर अमल कर दे तो ऐसा बदलाव देखने को मिलेगा, जिसके बारे में शायद ही किसी बिहारी ने सोचा होगा. सवाल है कि अगर इन वायदों को धरातल पर उतार दिया जाए को क्या बदलाव हो सकते हैं?
1. हर जिले में मेगा स्किल सेंटर
अगर बिहार के हर जिले में मेगा स्किल सेंटर बना दिए जाएं तो कई स्तरों पर बड़े बदलाव हो सकते हैं. इसका असर रोजी-रोटी और पलायन पर भी होगा. बिहार से सबसे अधिक माइग्रेशन का कारण स्थानीय स्तर पर स्किल यानी हुनर की कमी और रोजगार के अवसरों की भारी कमी है. अगर युवाओं को अपने ही जिले या अपने ही राज्य में एडवांस ट्रेनिंग मिल जाए, जैसे आईटी, मैन्युफैक्चरिंग, हेल्थकेयर, इलेक्ट्रिकल, ड्रोन ऑपरेशन, टूरिज्म, फूड प्रोसेसिंग वगैरह, तो उन्हें बिहार में ही नौकरी मिल जाएगी, इसकी ज्यादा उम्मीद है. अगर नौकरी बिहार में नहीं भी मिली तो कहीं और हुनरमंद होकर ही जाएंगे.
दूसरा बड़ा बदलाव उद्योगों के विकास में दिखेगा. जब किसी राज्य में बड़ी संख्या में स्किल्ड वर्कफोर्स तैयार होती है, तो कंपनियां अपने-आप निवेश करती हैं. मेगा स्किल सेंटर के कारण जिलों में छोटे-बड़े उद्योग लगने लगेंगे. MSME के बढ़ने और स्टार्टअप कल्चर विकसित होने की संभावनाएं बढ़ेंगी.
तीसरा असर महिला सशक्तिकरण पर पड़ेगा. महिलाओं को स्थानीय स्किल ट्रेनिंग मिलने से वे आर्थिक रूप से आजाद हो सकती हैं. जैसे टेलरिंग, डिजिटल सर्विसेज, फूड-प्रोसेसिंग, पैरामेडिकल वगैरह.
चौथा असर शिक्षा और सामाजिक विकास पर होगा. पढ़ाई छोड़ चुके या बेरोजगार युवाओं को नई दिशा मिलेगी. यह सब होने से अपराध दर में भी कमी आ सकती है. कुल मिलाकर मेगा स्किल सेंटर बिहार को “लेबर-सप्लाई स्टेट” से “स्किल-हब स्टेट” में बदल सकते हैं.
2. 5 मेगा फूड पार्क और कृषि निर्यात दोगुना करने का लक्ष्य
अगर बिहार में 5 मेगा फूड पार्क बनाए जाएं और कृषि निर्यात को दोगुना करने का लक्ष्य पूरा हो जाए, तो राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था में बड़े पैमाने पर बदलाव आ सकते हैं. फूड पार्क बनने का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि किसानों को अपनी उपज बेचने के बेहतर दाम मिलेंगे. अभी बिहार में अधिकांश फसलें थोक मंडियों में कम कीमत पर बिक जाती हैं क्योंकि प्रोसेसिंग और स्टोरेज सुविधाएं कम हैं. लेकिन फूड पार्क में कोल्ड स्टोरेज, ग्रेडिंग, पैकेजिंग और वैल्यू एडिशन की सुविधाएं होंगी, जिससे किसान कच्चे माल की जगह प्रोसेस्ड उत्पाद बेच सकेंगे और उनकी आमदनी सीधे बढ़ सकती है.
दूसरा बड़ा फायदा रोजगार सृजन का होगा. फूड प्रोसेसिंग यूनिट, पैकेजिंग फैक्ट्री, ट्रांसपोर्टेशन, सप्लाई चेन और वेयरहाउसिंग से हजारों स्थानीय युवाओं को नौकरी मिल सकती है. बिहार में कृषि आधारित रोजगार सबसे स्थायी माने जाते हैं, इसलिए इसका असर लंब समय तक होगा.
तीसरा प्रभाव निर्यात बढ़ने से राज्य की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा. अगर मक्का, लीची, मखाना, सब्जियां, चावल, दलहन इत्यादि का निर्यात दोगुना होता है तो बिहार राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक प्रमुख कृषि हब बन सकता है. फूड पार्क ग्रामीण इलाकों को इन्फ्रास्ट्रक्चर, सड़क, बिजली और लॉजिस्टिक्स के मामले में भी मजबूत बनाएंगे.
3. हर जिले में आधुनिक मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट और 10 नए औद्योगिक पार्क
अगर बिहार के हर जिले में आधुनिक मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट और 10 नए औद्योगिक पार्क विकसित किए जाएं, तो राज्य की अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक बदलाव देखने को मिल सकते हैं. सबसे बड़ा फायदा बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा होने से होगा. अभी बिहार से सबसे अधिक पलायन मजदूरी और फैक्ट्री जॉब्स के लिए होता है. अगर जिला स्तर पर आधुनिक उद्योग टेक्सटाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स असेम्बली, फूड प्रोसेसिंग, फर्नीचर, मशीन पार्ट्स, प्लास्टिक, पैकेजिंग आदि के लगने लगें तो लाखों युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार मिलेगा और पलायन कम होगा.
दूसरा लाभ राजस्व और निवेश में बढ़ोतरी का होगा. औद्योगिक पार्क बनने से बाहरी कंपनियां बिहार में निवेश करेंगी. बिजली, सड़क, लॉजिस्टिक्स, वेयरहाउसिंग जैसी सुविधाएं बेहतर होंगी, जिससे राज्य की प्रति व्यक्ति आय में भी वृद्धि होगी.
तीसरा फायदा MSME सेक्टर के विस्तार का होगा. औद्योगिक पार्कों में छोटे-मोटे उद्योगों को जगह, मशीनरी, ट्रेनिंग और बाजार कनेक्शन मिलेंगे. इससे स्थानीय उद्यमियों को बढ़ावा मिलेगा.
चौथा लाभ महिला कार्यबल की भागीदारी में आएगा. कई उद्योग जैसे पैकेजिंग, गारमेंट्स, फूड प्रोसेसिंग महिलाओं के लिए रोजगार के बड़े अवसर पैदा करते हैं.
4. 1 करोड़ महिलाओं को “लखपति दीदी” बनाने का लक्ष्य
अगर बिहार में 1 करोड़ महिलाओं को “लखपति दीदी” बनाया जाता है, तो इसका सबसे बड़ा फायदा समाज में एक बड़े सकारात्मक बदलाव के रूप में देखने को मिलेगा. उनका आर्थिक सशक्तिकरण होगा. जब महिलाओं की सालाना आमदनी लाख रुपये से ऊपर पहुंचेगी, तो परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और ग्रामीण गरीबी घटेगी. सिलाई, डेयरी, फूड-प्रोसेसिंग, हस्तशिल्प, डिजिटल सेवाएं जैसे क्षेत्रों में महिला उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा.
इसके साथ ही महिलाएं को छोटे-छोटे व्यवसाय खड़ा करने में मदद मिलेगी. स्थानीय स्तर पर रोजगार और बाजार गतिविधियां बढ़ेंगी. आर्थिक रूप से मजबूत महिलाएं शिक्षा, स्वास्थ्य और बच्चों में बेहतर निवेश करेंगी जिससे सामाजिक विकास भी तेज होगा.