दिल्ली की राजनीति में आज दो महत्वपूर्ण घटना हुई हैं। पहली, टूटा-फूटा, बिखरा कभी एक दूसरे की बात पर सहमत न होने वाला जनता परिवार एक-एक तिनका फिर इकट्ठा कर अपना एक घोसला बनाना चाहता है। मुलायम सिंह यादव, लालू यादव नीतीश कुमार, देवगौड़ा और ओमप्रकाश चौटाला, शरद यादव एक जुट होने की कोशिश कर रहे हैं। भले ही ये सभी नेता अलग-अलग पार्टी में हों मगर इनका जनाधार एक ही है। ये सभी सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ने वाली गरीब गुरबों और अकलियत यानि अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करती हैं।
दूसरी महत्वपूर्ण घटना लोकसभा और राज्यसभा के अंदर देखने को मिला। साध्वी निरंजन ज्योति के भाषण के मुद्दे पर कांग्रेस के साथ समाजवादी पार्टी, आरएसपी और तृणमूल नजर आए।