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This Article is From Oct 28, 2021

आरोप-प्रत्‍यारोप का चलेगा काम, असली मुद्दों से भटकाना है ध्‍यान

  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अक्टूबर 28, 2021 23:17 pm IST
    • Published On अक्टूबर 28, 2021 23:15 pm IST
    • Last Updated On अक्टूबर 28, 2021 23:17 pm IST

विनोद राय याद होंगे आपको. जब सीएजी थे तब इन्होंने अपनी रिपोर्ट में इतना ज़ीरो लगा दिया कि देश में हंगामा मच गया. 1 लाख 76 हज़ार करोड़ के घोटालों की खबर सुन कर जनता सुन्न हो गई. मोदी सरकार के सात साल बाद भी 1 लाख 76 हज़ार करोड़ का पता नहीं चला. विनोद राय से सवाल पूछा जाता रहा. आज इसलिए बता रहा हूं क्योंकि विनोद राय ने कांग्रेस नेता संजय निरुपम से बिना शर्त माफी मांगी.

2014 में एक साक्षात्कार में, राय ने दावा किया था कि निरुपम और अन्य सांसदों ने उन पर पीएम मनमोहन सिंह को 2जी स्पेक्ट्रम रिपोर्ट से बाहर रखने के लिए दबाव डाला था. राय का कहना है कि उन्होंने अनजाने में और गलत तरीके से निरुपम का उल्लेख किया था. निरुपम ने कहा है कि विनोद राय को देश से माफी मांगनी चाहिए 2 जी घोटाला विनोद राय की रिपोर्ट और बयान के आधार पर खड़ा हुआ था सोचिए इस कथित घोटाला का मुख्य सूत्रधार बिना शर्त माफी मांग रहा है. सीएजी का पद संवैधानिक होता है. उसकी बातों पर लोग भरोसा करते हैं लेकिन विनोद राय ने संजय निरुपम का नाम कैसे ले लिया. क्या ये सिर्फ गलती थी या कुछ और था. देश अब कभी नहीं जान पाएगा.

मई 2014 में नरेद्र मोदी प्रधानमंत्री बनने के बाद गुजरात विधानसभा गए थे. वहां उनका स्वागत हुआ था. वहां उन्होंने एक बात कही थी कि मैं निजी रूप से मानता हूं कि राजनीतिक लाभ और विरोधियों को निशाना बनाने के लिए CAG report का इस्तमाल नहीं होना चाहिए. आप तब भी नहीं समझे, अब भी नहीं समझेंगे.

आर्यन ख़ान को ज़मानत मिल गई. 3 अक्तूबर को आर्यन ख़ान को गिरफ्तार किया गया था. इसके पहले दो बार उनकी ज़मानत खारिज हो चुकी थी. 26 अक्तूबर को बॉम्‍बे हाईकोर्ट के Justice Nitin W Sambre की कोर्ट में ज़मानत की सुनवाई शुरू हुई. तीन दिनों के दौरान कई घंटे तक चली यह बहस कई बार ज़मानत से ज़्यादा ट्रायल की तरह लगती रही. ऐसा लग रहा था कि मुकदमे का फैसला आज ही हो जाना है. सबकी दलीलों को सुनने के बाद बॉम्‍बे हाई कोर्ट ने आर्यन को ज़मानत दे दी लेकिन आर्डर शुक्रवार दोपहर तक आने की उम्मीद है. आर्यन के साथ साथ अरबाज़ मर्चेंट और मुनमुन धमेचा को भी ज़मानत मिल गई है.

आर्यन के वकील मुकुल रोहतगी की दलीलें एडिशनल सोलिसिटर अनिल सिंह की दलीलों पर भारी पड़ गईं. शाहरुख़ ख़ान ने अपने बेटे के लिए बड़े वकीलों को हाज़िर किया तो नारकोटिक्स ब्यूरो ने भी एडिशनल सोलिसिटर जनरल को उतार दिया. कई घंटों तक बहस चली, कई सवाल उठे, हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक के कई फैसलों की नज़ीर दी गई, ऐसा लगा कि ट्रायल चल रहा हो. मुकुल रोहतगी और मुनमुन धमेचा के वकील अली काशिफ़ ख़ान ने वही सवाल उठाया जो हमने प्राइम टाइम में उठाया था कि अगर आर्यन और मुनमुन की गिरफ़्तारी सिर्फ इसलिए हुई क्योंकि वो उन लोगों के साथ थे जिनके पास ड्रग्स था, तब तो उस जहाज़ के कप्तान से लेकर सभी कर्मचारियों को गिरफ्तार कर लेना चाहिए था जिससे 20,000 करोड़ का ड्रग्स आया और जिसके बारे में कोई चर्चा तक नहीं कर रहा है.

अगर मुकुल रोहतगी जैसे वकील न होते तब फिर सामान्य ज़मानत का यह मामला किसी आम आदमी के लिए सपना ही होता. लेकिन आर्यन ख़ान के मामले में उल्टा हुआ. शाहरुख़ ख़ान के बेटे होने की कीमत भी चुकानी पड़ी. इतना कहने का संदर्भ यह है कि इसी 11 अक्तूबर को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस हरसिमरन सिंह सेठी का एक फैसला आर्यन ख़ान के मामले में चली सुनवाइयों के दौर में एक अहम कड़ी बन सकता है. पुलिस के अनुसार 27 सितंबर को एक बाइक से ड्रग्स बरामद होता है. दो लोग गिरफ्तार होते हैं. इनमें से एक वह है जो बाइक के बगल में खड़ा था. बाइक उसकी नहीं थी और न ही ड्रग्स उसके पास से बरामद हुआ. इस आरोपी के वकील ने ज़मानत की याचिका दायर की. जस्टिस हरसिमरन सिंह ने करीब ढाई पन्नों का बेहद संक्षिप्त आदेश जारी किया और ज़मानत दे दी. जैसा कि प्राइम टाइम में फैज़ान मुस्तफ़ा ने कई बार कहा है कि बेल आर्डर हमेशा संक्षिप्त होना चाहिए, उन्होंने इस आदेश को भी आदर्श बेल आर्डर कहा.

इसमें जज लिखते हैं कि पुलिस का आरोप है कि बाइक के बगल में जो आरोपी खड़ा था उसे नशे की लत है. बाइक उसकी नहीं थी. ड्रग्स उसके पास से बरामद नहीं हुआ था. जज ने लिखा है कि वे केस की मेरिट पर नहीं जा रहे हैं. आरोपी के पास ड्रग्स था या नहीं यह ट्रायल में साबित होगा, तब तक के लिए उसे नियमित ज़मानत दी जाती है. इस केस में बाइक से 5 या 7 ग्राम हेरोईन बरामद हुई थी. पुलिस ने इसलिए पकड़ा था क्योंकि यह आरोपी पहले भी ड्रग्स के साथ पकड़ा गया है.

इस फैसले की नज़र से देखेंगे तो आर्यन ख़ान और अन्य के मामले में काफी कुछ साफ दिखेगा लेकिन यह ध्यान रखना होगा कि दोनों केस की परिस्थितियां भले एक हैं मगर डिटेल अलग हो सकते हैं. नारकोटिक्स ब्यूरो की तरफ से एडिशनल सोलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कोर्ट को व्हाट्सएप चैट दिखाया जिसके बारे में आर्यन के वकील मुकुल रोहतगी ने 26 अक्तूबर को कहा था कि उस चैट में क्या है, उन्हें नहीं दिखाया गया है. लगा कि अनिल सिंह ने कोई तुरुप का पत्ता चल दिया है लेकिन इसके बाद भी आर्यन को ज़मानत मिली. मुकुल रोहतगी ने फिर अपना पक्ष रखा जबकि वे 26 अक्तूबर को भी ये दलील रख चुके थे. रोहतगी ने फिर से कहा कि आर्यन के पास से कुछ नहीं मिला न उसे जानकारी थी कि दूसरे आरोपी के पास ड्रग्स है. गिरफ्तार हुए पांच आरोपियों की जवाबदेही आर्यन पर डाली जा रही है. जहाज़ पर 1300 लोग थे. कोर्ट के सामने ऐसा कुछ नहीं पेश किया गया है जिससे पता चले कि आर्यन को कुछ पता था. अर्चित के पास से 2.4 ग्राम बरामद हुआ, किसी डीलर के पास इतनी कम मात्रा नहीं होती है. आर्यन अरबाज़ के साथ गया था जिसके पास 6 ग्राम बरामद हुआ है लेकिन आर्यन से कुछ नहीं मिला है.

रोहतगी ने मिसाल दी कि ताज होटल में 500 कमरे हैं, अगर दो लोग एक कमरे में ड्रग्स ले रहे हैं तो क्या पूरे होटल को आरोपी बनाया जा सकता है. क्रूज पर गाबा ने ईवेंट आयोजित किया था, उसी ने आर्यन को बुलाया था लेकिन गाबा गिरफ्तार नहीं हुआ है. अगर ये साज़िश का मामला है तो गाबा गिरफ्तार क्यों नहीं हुआ है. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की तरफ से एडिशनल सोलिसिटर जनरल अनिल सिंह बहस करने उतरे. उन्होंने कहा कि अगर दो लोग साथ जा रहे हों और पहले को पता है कि दूसरे के पास ड्रग्स है और इसका इस्तेमाल होगा, भले ही उसके पास ड्रग्स नहीं है, लेकिन माना जाएगा कि "conscious possession" है.

अनिल सिंह ने अपनी दलील के पक्ष में व्हाट्सएप चैट का हवाला दिया और कहा कि मैं इस पर भरोसा कर रहा हूं. जिससे पता चलेगा कि उसने व्यावसायिक मात्रा लाने का प्रयास किया था. इतना ही नहीं, जब उन्हें जहाज़ पर पकड़ा गया, तो सभी 8 के साथ कई ड्रग्स मिली. यह संयोग नहीं हो सकता. यदि आप ड्रग्स की मात्रा को देखें तो यह संयोग नहीं हो सकता. कोर्ट: आप कह रहे हैं कि conscious possession होना चाहिए? तब अनिल सिंह ने कहा कि हमने सेक्शन 28 अप्लाई किया है और व्हाट्सएप चैट पर विवाद नहीं हो सकता क्योंकि हमारे पास सेक्शन 65B के तहत बयान है.

इससे पहले आर्यन की ज़मानत इस आधार पर खारिज हुई थी कि कोर्ट ने माना था कि वह conscious possession में हैं. प्राइम टाइम में फैज़ान मुस्तफा ने विस्तार से बताया था कि conscious possession का मामला बनता ही नहीं है.

26 अक्तूबर को ही मुकुल रोहतगी ने कहा था कि आरोपी नंबर दो जो आर्यन के साथ था, उसके पास से कुछ मिला है. इसलिए conscious possession का आरोप लगाया गया है. रोहतगी ने सवाल किया कि कोई अपने जूते में कुछ रखता है तो उसके लिए मैं कैसे आरोपी बन सकता हूं? 

पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने Sukhcharan Singh vs. State of Punjab मामले में ज़मानत दी है उसमें भी इसी तरह की बात थी. एक बाइक से ड्रग्स मिला. दो लोग गिरफ्तार हुए. आरोपी नंबर दो की बाइक नहीं थी और न ही उसके पास ड्रग्स मिला लेकिन कोर्ट ने ज़मानत दे दी. आर्यन के साथ भी ऐसा हुआ लगता है.

कानूनी तौर पर conscious possession की दलील शुरू से ही कमज़ोर थी लेकिन नारकोटिक्स ब्यूरो के वकील कभी साज़िश बताते रहे तो कभी बड़ी डील का हवाला देते रहे जो वहां हुई ही नहीं थी. रोहतगी ने अपनी जिरह में सवाल उठाया कि आर्यन का मेडिकल टेस्ट नहीं किया गया. एडिशनल सोलिसिटर जनरल ने कहा कि मेडिकल टेस्ट इसलिए नहीं हुआ क्योंकि आर्यन ने सेवन नहीं किया था.

ज़मानत के विरोध में बहस कर रहे एडिशनल सोलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि आर्यन पिछले कुछ वर्षों से नियमित उपभोक्ता है और रिकॉर्ड से पता चलता है कि वह ड्रग्स उपलब्ध करा रहा है. यहां हमारा सवाल है कि अगर अनिल सिंह के अनुसार आर्यन नियमित नशा करता था तब तो और मेडिकल जांच होनी चाहिए थी, क्यों नहीं हुई? क्रूज में आने से पहले भी तो कोई सेवन कर सकता है? अगर सेवन नहीं किया और बरामद नहीं हुआ तब भी मेडिकल जांच होनी चाहिए थी. मान लीजिए कोई शराब के नशे में है और ट्रैफिक पुलिस से कह दे कि उसके पास शराब की बोतल नहीं है, न ही उसने पी है तो ट्रैफिक पुलिस को मान लेना चाहिए. जांच नहीं करनी चाहिए. तुषार मेहता कहते हैं कि आर्यन ने सेवन नहीं किया था इसलिए मेडिकल टेस्ट नहीं हुआ. 11 अक्तूबर को पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के जज तब भी ज़मानत देते हैं जब पुलिस कहती है कि आरोपी पुरानी नशेड़ी है और पहले भी गिरफ्तार हुआ है फिर जब उसके पास से ड्रग्स नहीं मिला तो उसे ज़मानत दे दी गई.

मुकुल रोहतगी ने कहा कि आर्यन की गिरफ्तारी अवैध है, गलत है. इस पर ज़मानत का विरोध कर रहे एडिशनल सोलिसिटर जनरल ने कहा कि मजिस्ट्रेट ने तीन तीन रिमांड आर्डर दिए, उसे चुनौती नहीं दी गई. अब आरोपी नहीं कह सकता है कि गिरफ्तारी अवैध है. उसे कोर्ट को संतुष्ट करना होगा कि मजिस्ट्रेट ने आदेश देते वक्त इन बातों का संज्ञान नहीं लिया. इस बिन्दु पर लगा कि सरकारी पक्ष की दलीलें कमज़ोर पड़ रही हैं.

मुनमुन धमेचा के वकील अली काशिफ ख़ान ने भी यही कहा कि मुनमुन को क्रूज़ पर आमंत्रित किया गया था. जब एनसीबी ने सर्च किया तो वह एक कमरे में थी सोमैया और बलदेव के साथ. मुनमुन के साथ कुछ भी बरामद नहीं हुआ था. लेकिन सोमैया को छोड़ दिया गया जिसके पास से ड्रग्स के इस्तमाल में आने वाला रोलिंग पेपर बरामद हुआ था. बलदेव को भी छोड़ दिया गया. इसी तरह की दलील मुकुल रोहतगी की थी कि आर्यन को जिसने बुलाया, जिसने ईवेंट का आयोजन किया उस गाबा को तो गिरफ्तार ही नहीं किया गया.

इस तरह आर्यन ख़ान को ज़मानत मिल गई. इस मामले में गिरफ्तार हुए अरबाज़ मर्चेंट और मुनमुन धमेचा को भी ज़मानत मिली है. 26 अक्तूबर को इसी मामले में आरोपी अविन साहू और मनीष राजगरिया को ज़मानत मिल गई थी तब हमारे सहयोगी सुनील सिंह ने वकील से बात करते हुए बताया था यह ज़मानत बाकी तीनों की ज़मानत का रास्ता बनाता दिख रहा है.

यह मामला अदालत के बाहर भी है. अभी इसकी कई परतें खुलनी बाकी हैं. क्या शाहरुख़ को टारगेट करने के लिए आर्यन को फंसाया गया है, जांच अफसर समीर वानखेडे गिरफ्तारी से बचने के लिए अदालत से सुरक्षा मांग रहे हैं. गवाह और पंच मुकर गए हैं, लेन-देन के आरोप लगा रहे हैं. समीर वानखेडे पर विभागीय जांच हो रही है. यह केस नैतिक बनते बनते अनैतिकताओं के सुरंग में चला गया है. कौन जानता है क्या निकलने वाला है.

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