आज मैंने सूर्य से बस ज़रा सा यूं कहा
‘‘आपके साम्राज्य में इतना अंधेरा क्यूं रहा?’’
तमतमा कर वह दहाड़ा— ‘‘मैं अकेला क्या करं?
तुम निकम्मों के लिए मैं ही भला कब तक मरूं?
आकाश की आराधना के चक्करों में मत पड़ो
संग्राम यह घनघोर है, कुछ मैं लड़ूं कुछ तुम लड़ो.’’
ये थे बालकवि बैरागी जी.... 10 फरवरी 1931 को मंदसौर जिले की मनासा तहसील के रामपुर गांव में हिन्दी कवि और लेखक आदरणीय बालकवि बैरागी जी का जन्म हुआ था. मनासा में ही वो रहे, यहीं भाटखेड़ी रोड पर कवि नगर में उन्होंने अंतिम सांस ली. पढ़ा था कि जन्म का नाम नन्दरामदास बैरागी था. 52 में कांग्रेस के उम्मीदवार कैलाशनाथ काटजू ने मनासा में एक चुनावी सभा में इनके गीत सुन कर ‘बालकवि’ नाम दे दिया. उसी दिन से नन्दराम दास बैरागी ‘बालकवि बैरागी’ बनकर पहचाने जाने लगे. आज वो नीमच में कांग्रेस नेता बाबू सलीम के यहां एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे. 3:30 बजे वापस मनासा पहुंचे. कुछ समय आराम करने के लिए अपने कमरे में गए. 5:00 बजे जब उन्हें चाय के लिए उठाने लगे तो बैरागी दादा नहीं रहे. वे 87 वर्ष के थे.
राज्यसभा के सदस्य रहे, अर्जुन सिंह सरकार में मंत्री भी. शायद उससे पहले भी राज्यमंत्री थे. लेकिन रहे बैरागी ही, शायद तभी तो कह देते थे... "मैं कलम से कमाता हूं, कांग्रेस को गाता हूं... खाता नहीं."
मेरी उनसे पहचान 1971 में रेशमा और शेरा के गाने 'तू चंदा मैं चांदनी' से हुई... जो लिखी बैरागीजी ने, सजाया था जयदेव जी ने...
फिर तो ये मुलाकात गहराती गई. कवि से दोस्ती की ये बड़ी सहूलियत है, उससे मिलना ज़रूरी नहीं बस पढ़ते जाएं, उसके नये भेद खुलते जाते हैं. फिर साथ में चाय, हंसी, ठट्ठे, उदासी में हर वक्त वो आपके साथ होता है. वैसे उनसे मिलने का दौर 84-85 का रहा होगा. रांची आए थे... मैं छोटा था लेकिन पिताजी चूंकि ऑल इंडिया रेडियो के साथ जुड़े थे सो उन्होंने शारदा वंदना गाई और बैरागी जी ने पिताजी को गले लगा लिया. वो ही बताते थे कि कैसे बाबा नागार्जुन कहीं रुकते ठहरते कम ही थे लेकिन बैरागी जी के साथ सहजता छत की मोहताज नहीं थी.
लिहाज़ा बैरागी जी का जाना यूं जाना नहीं है... आख़िर वो कहकर ही गये थे...
जो कुटिलता से जिएंगे
हक पराया मारकर
छलछंद से छीना हुआ
अमृत अगर मिल भी गया तो
आप उसका पान करके
उम्र भर फिर क्या करेंगे?
(अनुराग द्वारा एनडीटीवी में एसोसिएट एडिटर हैं)
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This Article is From May 13, 2018
बालकवि बैरागी जी का जाना यूं जाना नहीं है...
Anurag Dwary
- ब्लॉग,
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Updated:मई 13, 2018 23:48 pm IST
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Published On मई 13, 2018 23:28 pm IST
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Last Updated On मई 13, 2018 23:48 pm IST
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