मुफ्ती मोहम्मद सईद (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन से जम्मू-कश्मीर की राजनीति का एक अध्याय खत्म हो गया। मुफ्ती वह शख्स थे जिन्होंने सत्तर के दशक में घाटी में शेख अब्दुल्ला के बेहद मजबूत किले में दरार पैदा की और कांग्रेस के लिए जगह बनाई। हालांकि यह मलाल उनके भीतर रहा कि कांग्रेस ने कभी उनको वह हक नहीं दिया जो मिलना चाहिए था। भले ही आगे चलकर वे वीपी सिंह की सरकार में देश के पहले मुस्लिम गृह मंत्री बने।
मुफ्ती के गृह मंत्री रहते हुए उनकी बेटी रुबैया सईद का अपहरण एक बड़ा सवाल बना और बदले में आतंकियों की रिहाई उनके राजनीतिक करिअर पर एक दाग रहा। इसके बावजूद मुफ्ती वह शख्स थे जो कश्मीर के भीतर अपने दम पर खड़े होने की हैसियत रखते थे। उन जैसा नेता ही हो सकता था जो 2014 में बीजेपी के साथ मिलकर जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने के बावजूद टिका रहा। कश्मीरियत और भारतीयता की यह साझा विरासत वह चुनौती है जो उनकी बेटी महबूबा मुफ्ती को आने वाले दिनों में उठानी होगी।
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