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This Article is From Sep 25, 2021

राजस्थान के “पायलट” बनेंगे सचिन?

Aadesh Rawal
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    सितंबर 25, 2021 17:41 pm IST
    • Published On सितंबर 25, 2021 17:37 pm IST
    • Last Updated On सितंबर 25, 2021 17:41 pm IST

राजस्थान के पूर्व उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने शुक्रवार को दिल्ली में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मुलाक़ात की. जैसे ही यह खबर आयी दिल्ली से लेकर जयपुर तक राजनीतिक हलचल शुरू हो गयी दरअसल इसकी बड़ी वजह पंजाब भी है, जहां कांग्रेस आलाकमान ने कैप्टन अमरिन्द्र सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाकर चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब का सरदार बना दिया है. जैसे ही सचिन पायलट की मुलाक़ात दिल्ली में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ हुई तो लगने लगा कि अब राजस्थान में भी नेतृत्व परिवर्तन हो सकता है. 

पिछले एक सप्ताह में सचिन पायलट की राहुल गांधी के साथ यह दूसरी मुलाक़ात हुई. इससे पहले 17 सितंबर को दिल्ली में ही राहुल गांधी के घर पर सचिन पायलट की पहली मुलाक़ात दो घंटे से ज़्यादा की हुई थी. उसके बाद 19 सितंबर को राजस्थान के विधानसभा स्पीकर सी पी जोशी को दिल्ली बुलाया गया था. कांग्रेस ने संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल की सी पी जोशी के साथ बैठक हुई. 23 सितंबर को जयपुर में सचिन पायलट और सी पी जोशी की लम्बी बैठक हुई. इन तमाम बैठकों के कारण राजस्थान कांग्रेस में कई तरह के क़यास लगाए जा रहे है. 

पूरा मामला है क्या ?
पिछले लगभग तीन महीने से राजस्थान में कैबिनेट विस्तार की चर्चा चल रही है. सचिन पायलट के लोगों को कैबिनेट में शामिल किया जाना है. निगम, बोर्ड और संगठन में भी सचिन पायलट के लोगों को तरजीह दी जाएगी. इन बैठकों को ज़्यादातर लोग मुख्यमंत्री की कुर्सी से जोड़कर देख रहे हैं.

दरअसल, फिलहाल कैबिनेट पर ही चर्चा हो रही है जिसमें सचिन पायलट के विधायकों को जगह दी जाएगी. सचिन पायलट के नज़दीकी नेताओं के मुताबिक़, पायलट चाहते हैं कि उन्हें अख़िर के दो साल राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाया जाए. अपनी इस इच्छा के बारे में सचिन पायलट कांग्रेस आलाकमान को कई बार बता चुके है. कांग्रेस आलाकमान में फिलहाल दो बातों को लेकर चर्चा हो रही है. पहली कि सचिन पायलट को राजस्थान का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया जाए या फिर उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में महासचिव का पद मिले लेकिन सचिन पायलट के नज़दीकी लोग कहते है, 'पायलट साहब सात साल प्रदेश अध्यक्ष पद पर रह चुके है अब उन्हें मुख्यमंत्री बनाकर 2023 के विधानसभा चुनाव का चेहरा घोषित कर देना चाहिए. सचिन पायलट भी राजस्थान की राजनीति में ही रहकर काम करना चाहते हैं.'

पिछले साल सचिन पायलट की समस्याओं को सुलझाने के लिए तीन लोगों की एक कमेटी गठित की गई थी जिसे के सी वेणुगोपाल, राजस्थान के महासचिव अजय माकन और कांग्रेस पार्टी के कोषाध्यक्ष अहमद पटेल थे. कोरोना के चलते अहमद पटेल का निधन हो गया और उसके बाद यह कमेटी कभी नहीं मिली. सचिन पायलट से जो वायदे किए गए थे ख़ासकर उनके नज़दीकी विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल करना, निगम-बोर्ड और संगठन में पायलट के लोगों को जगह देना. इनमें से राजस्थान कांग्रेस के महासचिव अजय माकन ने सचिन पायलट के लोगों को संगठन में तो जगह दी लेकिन सरकार में साझेदारी अभी तक नहीं हो पाई. अब इन तमाम बैठकों के बाद सूत्र बता रहे हैं कि जैसे ही नवरात्रों की शुरुआत होगी सचिन पायलट के नज़दीकी विधायकों को राजस्थान कैबिनेट में जगह दी जाएगी यानी यह कहा जा सकता है कि अशोक गहलोत सरकार का कैबिनेट विस्तार बहुत नजदीक आ चुका है. 

जहां तक राजस्थान में मुख्यमंत्री के बदलने कि बात है उसमें अभी समय लग सकता है फिलहाल नहीं लगता कि मुख्यमंत्री बदला जाएगा लेकिन आने वाले समय में खासकर 2022 में कांग्रेस आलाकमान इस फैसले पर विचार कर सकता है. सचिन पायलट के समर्थकों को फ़िलहाल कैबिनेट विस्तार से ही संतोष करना होगा. 

कांग्रेस हाईकमान को यह लगने लगा है कि कुछ सीनियर नेताओं को सिर्फ़ पद चाहिए. जिस तरीके से राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद को हटाया तो उन्होंने हाईकमान के खिलाफ G 23 समूह बना दिया. वहीं, पंजाब से कैप्टन को हटाया तो उन्होंने भी राहुल-प्रियंका गांधी को अनुभवहीन करार दे दिया. यह कांग्रेस आलाकमान के लिए चिंता का विषय बना हुआ है. इसीलिए गांधी परिवार सारे फ़्रंट फ़िलहाल खोलना नहीं चाहता. 

(आदेश रावल वरिष्ठ पत्रकार हैं. आप ट्विटर पर @AadeshRawal पर अपनी प्रतिक्रिया भेज सकते हैं)

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.
 

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