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वारिसनगर विधानसभा सीट 2025: क्‍या जदयू बरकरार रख पाएगी जीता सिलसिला या बदलेगा समीकरण?

वारिसनगर विधानसभा सीट पर इस बार 72.13% वोटिंग हुई. वारिसनगर सीट  बिहार के समस्तीपुर जिले में स्थित एक बेहद महत्‍वपूर्ण सीट है. जदयू ने इस सीट पर अपने मौजूदा विधायक अशोक कुमार की जगह डॉ. मांजरीक मृणाल का चुनाव मैदान में उतारा, जो निर्णय सही साबित हुआ.

वारिसनगर विधानसभा सीट 2025: क्‍या जदयू बरकरार रख पाएगी जीता सिलसिला या बदलेगा समीकरण?
क्‍यों खास है वारिसनगर नगर विधानसभा सीट
  • वारिसनगर विधानसभा सीट पर जेडीयू की डॉ. मांजरीक मृणाल ने 34436 वोटों के बड़े अंतर से चुनाव जीत हासिल किया
  • इस बार वारिसनगर सीट पर कुल 72.13 प्रतिशत मतदान हुआ, जो समस्तीपुर जिले की एक महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है
  • वारिसनगर क्षेत्र में कुशवाहा और कुर्मी समुदाय के मतदाता चुनाव परिणामों को निर्णायक रूप से प्रभावित करते हैं
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पटना:

वारिसनगर विधानसभा सीट जेडीयू उम्‍मीदवार डॉ. मांजरीक मृणाल ने 34436 वोटों के बड़े अंतर से जीत ली है. डॉ. मांजरीक मृणाल को 108968 वोट मिले. कम्यूनिष्ट पार्टी ऑफ इंडिया के फूलबाबू सिंह दूसरे स्‍थान पर रहे, जिन्‍हें 74532 वोट मिले. जनसुराज पार्टी के सत्‍यनारायण सहनी यहां तीसरे स्‍थान पर रहे, जिन्‍हें 13081 वोट मिले. वारिसनगर विधानसभा सीट पर इस बार 72.13% वोटिंग हुई. वारिसनगर सीट बिहार के समस्तीपुर जिले में स्थित एक बेहद महत्‍वपूर्ण सीट है. जदयू ने इस सीट पर अपने मौजूदा विधायक अशोक कुमार की जगह डॉ. मांजरीक मृणाल का चुनाव मैदान में उतारा, जो निर्णय सही साबित हुआ. 2010 से इस सीट पर जदयू जीत दर्ज करती आई है, लेकिन जीत का अंतर बेहद कम रहता है. लेकिन इस बार जेडीयू ने यहां से शानदार जीत दर्ज की है.

क्‍यों खास है वारिसनगर 

बिहार के समस्तीपुर जिले में स्थित वारिसनगर एक ऐसा इलाका है, जिसकी पहचान सिर्फ उपजाऊ मिट्टी से नहीं, बल्कि एक अनोखे राजनीतिक इतिहास से भी है. यह समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र की एक महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है, जो वर्षों से क्षेत्रीय दलों का गढ़ बनी हुई है. यह प्रखंड समस्तीपुर जिला मुख्यालय से सिर्फ 10 किलोमीटर दूर है, जबकि राज्य की राजधानी पटना यहां से लगभग 108 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. वारिसनगर विधानसभा क्षेत्र का गठन वर्ष 1951 में हुआ था. इसमें वारिसनगर और खानपुर दो पूरे प्रखंडों के साथ-साथ शिवाजी नगर प्रखंड की छह ग्राम पंचायतें शामिल हैं. इस सीट पर कुशवाहा (कोरी) और कुर्मी समुदाय के मतदाता चुनाव परिणामों को प्रभावित करने की गहरी क्षमता रखते हैं. 

वोटों का गणित 

साल 2020 के विधानसभा चुनावों में वारिसनगर में कुल 3,22,259 पंजीकृत मतदाता थे. इनमें से अनुसूचित जातियों की हिस्सेदारी सबसे ज्‍यादा 19.11% और मुस्लिम आबादी 12.50 प्रतिशत थी. 2024 के लोकसभा चुनावों में मतदाताओं की संख्या बढ़कर 3,34,383 हो गई. ऐसे में यहां अनुसूचित जातियों के वोटर्स निर्णायक भूमिका में रहते हैं. 


कांग्रेस सिर्फ एक बार जीती

वारिसनगर की राजनीति का सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि बिहार के दो सबसे बड़े दल, राजद और बीजेपी, इस क्षेत्र से लगभग गुमनाम हो चुके हैं. लगातार चार चुनावों में हार के बाद राजद ने 2010 से यहां चुनाव लड़ना बंद कर दिया और गठबंधन के सहयोगियों को समर्थन देना शुरू किया. अक्टूबर 2005 की दूसरी हार के बाद भाजपा ने भी इसी रणनीति को अपनाते हुए जदयू और लोजपा जैसे सहयोगी दलों को समर्थन देना शुरू कर दिया. कांग्रेस, जिसने केवल 1972 में एक बार जीत दर्ज की थी, लगातार हार और जमानत जब्त होने के कारण चुनावी परिदृश्य से बाहर हो गई. वाम दलों में सीपीआई ने भी लगातार असफलता के कारण इस सीट से हटने का निर्णय लिया.

जदयू का गढ़... जानें कब कौन जीता?

 
वर्तमान विधायक अशोक कुमार (जदयू) इस सीट पर 2010 से लगातार काबिज हैं. हालांकि, उनकी लगातार जीत के बावजूद, जीत का अंतर कम होना एक महत्वपूर्ण चुनौती बन गया है. 2015 में उनके जीत का अंतर 58,573 था, जो 2020 में यह अंतर नाटकीय रूप से घटकर सिर्फ 13,801 वोट रह गया. इस अंतर के घटने का मुख्य कारण लोजपा की तीसरे दल के रूप में मौजूदगी थी, जिसने 2020 में 12.60 प्रतिशत वोट हासिल किए थे. इन वोटों ने जदयू के पारंपरिक वोट बैंक में सेंध लगाई थी.


वारिसनगर सीट पर 6 नवंबर को चुनाव

गंगा के मैदानी क्षेत्र में बसा वारिसनगर प्रकृति के आशीर्वाद से समृद्ध है. पास की कमला और कोसी नदियों के कारण यहां की भूमि अत्यधिक उपजाऊ है. यही वजह है कि यहां की करीब 60 से 70 प्रतिशत आबादी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है. धान, गेहूं, मक्का और दालें यहां की मुख्य उपज हैं. आलू, प्याज, टमाटर, बैंगन और फूलगोभी जैसी सब्जियां बड़े पैमाने पर उगाई जाती हैं. वारिसनगर प्रखंड का रोहुआ गांव विशेष रूप से तंबाकू की खेती के लिए जाना जाता है. कृषि के अलावा, डेयरी उद्योग भी वारिसनगर की अर्थव्यवस्था में एक अहम भूमिका निभाता है. वारिसनगर सीट पर 6 नवंबर को पहले चरण के तहत चुनाव आयोजित होंगे और 14 नवंबर को वोटों की गिनती होगी.

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