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वोट दे बिहारी और नौकरी ले बाहरी... बिहार में क्यों चल रहा है ये आंदोलन? जानिए पूरी कहानी

बिहार की राजधानी पटना में सरकारी नौकरियों में डोमिसाइल नीति लागू करने की मांग को लेकर हजारों छात्रों ने भारी बवाल किया और अपनी मांगों के समर्थन में सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी किया.

वोट दे बिहारी और नौकरी ले बाहरी... बिहार में क्यों चल रहा है ये आंदोलन? जानिए पूरी कहानी
नौकरियों में डोमिसाइल नीति लागू करने की मांग
पटना:

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में अब बस कुछ महीने बाकी रह गए हैं और एकबार फिर पटना की सड़कों पर छात्र आंदोलनरत हैं. ऐसे तो बिहार में कई बड़े आंदोलन हुए जिसकी आग में राज्य से लेकर देश की राजनीति को हिला दिया. अब एकबार फिर डोमिसाइल नीति लागू किए जाने की मांग को लेकर छात्रों का आक्रोश फूट पड़ा है.

बिहार की राजधानी पटना में सरकारी नौकरियों में डोमिसाइल नीति लागू करने की मांग को लेकर हजारों छात्रों ने भारी बवाल किया और अपनी मांगों के समर्थन में सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी किया. पटना कॉलेज से यह मार्च निकाला और अशोक राजपथ होते हुए गांधी मैदान के जेपी गोलाम्बर पंहुचा, जहां पुलिस के द्वारा बैरिकेडिंग लगाकर इन्हें रोक दिया गया. छात्रों के हाथों में बैनर-पोस्टर था. ये सभी लोग मुख्यमंत्री आवास तक जाना चाहते थे. लेकिन जाने नहीं दिया गया.

प्रदर्शन कर रहे हैं छात्रों ने क्या कहा?

प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने कहा कि बिहार में सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण का लाभ केवल बिहार के लोगों को ही मिलना चाहिए. बिहार में कम से कम 90 फीसद डोमिसाइल लागू होना चाहिए.

 'वोट दे बिहारी और नौकरी ले बाहरी, ये नहीं चलेगा'

छात्र नेता दिलीप कुमार के नेतृव में छात्रों ने प्रदर्शन किया. दिलीप ने कहा कि हमारी मांग स्पष्ट है. बिहार में सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण का लाभ केवल बिहार के मूल निवासियों को ही मिलना चाहिए. बिहार में कम से कम 90 फीसदी डोमिसाइल लागू होना चाहिए. पड़ोसी राज्य झारखंड और उत्तर प्रदेश में डोमिसाइल लागू है, जिसके कारण यहां के छात्रों को वहां नौकरी नहीं मिल रही, जबकि झारखंड और उत्तर प्रदेश के युवा बिहार में आकर नौकरी ले रहे हैं. दूसरे प्रदेश के लिए कम से कम 10% ही सीटें होनी चाहिए.

तीन चरण की शिक्षक बहाली में बिहार में बड़ी संख्या में दूसरे प्रदेश के अभ्यर्थियों ने बिहार में योगदान दिया है. तीनों चरणों के शिक्षक बहाली में झारखंड, उत्तर प्रदेश के अलावा पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों से शिक्षक बहाल हो चुके हैं, जिन्हें ठीक से हिंदी भी नहीं आती है. ऐसे में उन्हें बिहार के बारे में बहुत कुछ जानकारी नहीं है. वे बच्चों को क्या पढ़ाएंगे?

दिलीप कुमार

छात्र नेता

वहीं, छात्र नेता दिलीप कुमार ने यह भी कहा कि शिक्षक बहाली में जो प्रश्न का पैटर्न होता है उसमें जो प्रश्न पत्र रहता है वह रहे. लेकिन अलग से बिहार से संबंधित 100 प्रश्नों का एक पेपर होना चाहिए और उसे अनिवार्य करना चाहिए. इससे बिहार के बच्चों के पठन-पाठन में गुणवत्ता आएगी. जब तक शिक्षक बिहार के बारे में अच्छी तरह नहीं जानेंगे तो बिहार के बच्चों को क्या पढ़ाएंगे.

प्रशासन ने क्या किया?
प्रशासन ने इस प्रदर्शन को समाप्त कराने के लिए पांच लोगों का डेलिगेशन बनाकर आला अधिकारियों से मुलाकात करवाने के लिए मुख्यमंत्री सचिवालय ले गए. डेलिगेशन में छात्र नेता दिलीप के साथ अन्य छात्र मौजूद रहे. बाद में प्रदर्शन ठंडा पड़ गया.

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