- लोक जनशक्ति पार्टी ने बिहार चुनाव में 19 सीटें जीतकर अपने पिता रामविलास पासवान के सपनों को साकार किया
- चिराग ने 2020 से 2025 तक पार्टी की स्थिति में सुधार को शून्य से शीर्ष तक का सफर बताया और मेहनत पर जोर दिया
- उन्होंने चुनाव में बने नैरेटिव और एग्जिट पोल को खारिज करते हुए जनता के भरोसे पर जीत हासिल करने का दावा किया
बिहार चुनाव में NDA को मिली प्रचंड जीत के बाद, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने एक महत्वपूर्ण प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया. गठबंधन ने कुल 202 सीटें जीतकर ऐतिहासिक प्रदर्शन किया, जिसमें चिराग पासवान की पार्टी ने 19 सीटें जीतीं. इस अवसर पर चिराग ने पार्टी की मेहनत, पिता रामविलास पासवान के सपने, और बिहार की राजनीति में आए 'नये MY समीकरण' पर खुलकर बात की.
'पिता के सपने को किया साकार': पार्टी का दूसरा सबसे बड़ा प्रदर्शन
चिराग पासवान ने पार्टी के प्रदर्शन को दूसरा सबसे बड़ा बताते हुए कहा कि उनकी पार्टी ने उस मुकाम को हासिल किया है, जो उनके पिता स्वर्गीय रामविलास पासवान ने सोचा था. हमारी पार्टी ने मेहनत से उस मुकाम को हासिल किया जो मेरे पिता ने सोचा था. उन्होंने कठिन समय को याद किया और कहा कि 2009 का समय कठिन था जब उनके पिता भी नहीं जीत पाए थे, लेकिन 2014 में उन्होंने शानदार वापसी की. चिराग ने 2020 की परिस्थितियों की तुलना करते हुए कहा, "इतिहास अपने आप को दोहराता है."
2020 से 2025: 'शून्य' से 'शीर्ष' तक का सफर
चिराग पासवान ने 2020 के बाद पार्टी के अस्तित्व पर उठे सवालों का जवाब दिया. उन्होंने स्वीकार किया कि 2022 तक यह मान लिया गया था कि उनकी पार्टी "खत्म हो गई" है. उन्होंने कहा, "मैंने अपने पिता से सीख लेते हुए पार्टी को ऊंचाई पर ले जाने का संकल्प लिया." उन्होंने 2024 और 2025 के सफर को स्पष्ट किया. उन्होंने कहा कि 2024 में एक सांसद वाली पार्टी को 5 सीटें मिलीं. 2025 में शून्य विधायक वाली पार्टी को 19 सीटें मिलीं. उन्होंने कहा कि उन्हें वे सीटें दी गईं, जहां गठबंधन को विश्वास था कि ये सीटें केवल लोजपा (रामविलास) ही जीत सकती है.
'नैरेटिव' हुआ ध्वस्त: एग्जिट पोल को नकारा
चुनाव के दौरान बनाए गए नैरेटिव पर बोलते हुए चिराग ने कहा कि यह कहा जा रहा था कि उन्हें जेडीयू का सपोर्ट नहीं मिल रहा. इसके अलावा, उन्हें "100% स्ट्राइक रेट का झुनझुना बजाने वाले लड़के" के तौर पर पेश किया गया जिसे हार मिलेगी. एग्जिट पोल मुझे दहाई के आंकड़े तक भी नहीं पहुंचा पा रहे थे, लेकिन मैंने एग्जिट पोल के भरोसे नहीं, लोगों के भरोसे पर चुनाव लड़ा था." उन्होंने आत्मविश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि वह सेफोलॉजिस्ट नहीं हैं, लेकिन आंकड़ों को पढ़ते हैं, इसलिए उन्हें विश्वास था कि वह इतनी सीटें तो जीतेंगे ही.
राजद पर निशाना: 'अहंकार' को जनता ने नकारा
राजद पर सीधा निशाना साधते हुए चिराग पासवान ने कहा कि 2020 में भी राजद को जनता ने चुनने के लिए वोट नहीं किया था और तब एनडीए की फूट का उन्हें लाभ मिला था. 2010 से राजद समाप्त हो चुका है. 2015 में नीतीश कुमार के साथ आने का उन्हें लाभ मिला. 2020 के परिणामों पर उनका स्पष्ट मत था कि अगर एनडीए एकजुट रहता, तो उनका खाता भी नहीं खुलता. उन्होंने 'जनादेश आया नहीं था और कह रहे थे कि 18 को शपथ लेंगे' वाले बयान को 'अहंकार की भाषा' बताया, जिसे जनता ने नकार दिया है.
बिहार का नया 'MY समीकरण': महिला और युवा
चिराग पासवान ने पारंपरिक MY (मुस्लिम-यादव) समीकरण के ध्वस्त होने की बात कही और एक नया MY समीकरण पेश किया, जिसने इस जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने दावा किया कि बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय ने उन्हें समर्थन दिया, जो अब मुख्यधारा में आना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि युवा और यादव भी समझ गए हैं कि उनके लिए 'Y' का मतलब केवल एक परिवार है. चिराग ने घोषणा की कि नया MY समीकरण अब महिला और युवा का है.
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