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GST सुधारों का क्या है बिहार चुनाव कनेक्शन? इसे लेकर जारी सियासत के क्या है मायने, पढ़ें 

नवरात्रि के पहले दिन से नई दरें लागू होंगी. इसे महिला मतदाताओं को रिझाने से भी जोड़ कर देखा जा रहा है. महिलाएं पुरुषों के मुकाबले ज्यादा वोट करती हैं.

GST सुधारों का क्या है बिहार चुनाव कनेक्शन? इसे लेकर जारी सियासत के क्या है मायने, पढ़ें 
बिहार चुनाव से ठीक पहले जीएसटी की नई दरे होंगी लागू
  • जीएसटी काउंसिल ने रोटी से लेकर इलेक्ट्रॉनिक गैजेट तक की दरों में कटौती को मंजूरी दी है
  • अल्ट्रा हाई टेंप्रेचर दूध, छेना, पनीर और रोटी जैसे रोजमर्रा के आवश्यक सामान अब जीएसटी से मुक्त कर दिए गए हैं
  • सरकार इससे पहले बिजली बिल माफी और सामाजिक सुरक्षा पेंशन वृद्धि जैसे फैसले ले चुकी है
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पटना:

जीएसटी काउंसिल ने जीएसटी में बड़े बदलावों को मंजूरी दे दी है. इन बदलावों के बाद अब रोटी से लेकर इलेक्ट्रॉनिक गैजेट तक में जीएसटी की दरें कम की गई है. सरकार की जीएसटी से जुड़ी घोषणाओं को आम जनता के लिए बड़ी राहत के तौर पर देखा जा रहा है. हालांकि, अब इसे लेकर राजनीति भी तेज हो गई है. कांग्रेस ने इन फैसलों को बिहार चुनाव से भी जोड़ दिया है. पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने एक्स पर पोस्ट कर फैसले का स्वागत किया. साथ ही यह भी लिखा कि यह जानना रोचक होगा कि इस बदलाव के लिए सरकार कैसे प्रेरित हुई. कई विकल्पों के साथ उन्होंने बिहार में चुनाव का विकल्प भी दिया. जीएसटी स्लैब में बदलाव की चर्चा बीते कुछ समय से हो रही थी. लेकिन यह फैसला बिहार चुनाव से ठीक पहले हुआ है.

आपको बता दें कि जीएसटी दरों में बदलाव के बाद आम जरूरत के ज्यादातर सामान के सस्ते होने का रास्ता साफ हुआ है. अल्ट्रा हाई टेंप्रेचर दूध, छेना, पनीर और रोटी जैसी रोजमर्रा के जरूरत की चीजें अब जीएसटी फ्री हो गई. आम घर में दूध और पनीर के खर्च पर करीब 3 हजार रुपए खर्च होते थे, अब 150-160 रुपए की बचत होगी. इससे पहले 125 यूनिट तक बिजली बिल माफ करने, सामाजिक सुरक्षा पेंशन की राशि बढ़ाने जैसे फैसले कर सरकार ने लोगों की बचत बढ़ाने की कोशिशें शुरू की थी. ताकि एक नया वोटर समूह तैयार किया जा सके. पिछले साल दिल्ली चुनाव के वक्त 12 लाख तक की आमदनी पर 0 फीसदी टैक्स की घोषणा की गई थी. भाजपा को इसका फायदा मिला और दिल्ली में उसने जीत दर्ज की. कई फैक्टर्स में टैक्स छूट भी जीत का फैक्टर बना. इसलिए इस फैसले को भी चुनावी चश्मे से देखा जा रहा है. 

क्या - क्या हो सकता है फायदा ?

नवरात्रि के पहले दिन से नई दरें लागू होंगी. इसे महिला मतदाताओं को रिझाने से भी जोड़ कर देखा जा रहा है. महिलाएं पुरुषों के मुकाबले ज्यादा वोट करती हैं. पिछले चुनाव में साढ़े 54 फीसदी पुरुषों ने वोट डाले तो वहीं 59 फीसदी से अधिक महिलाएं वोट डालने आई थीं. इन महिलाओं के वोट का बड़ा हिस्सा एनडीए के पक्ष में जाता है. बचत बढ़ने से यह महिलाएं एनडीए के पक्ष में और ज्यादा लामबंद हो सकती हैं. इसके अलावा मिडल क्लास वोटर, छोटे कारोबारी भी इन बदलावों से प्रभावित होंगे. उनका वोट भी अहम होगा. इसलिए विपक्ष के कई नेता इसे चुनाव से जोड़ रहे.

कांग्रेस भले इन बदलावों को चुनाव से जोड़कर देख रही हो लेकिन भाजपा इससे इनकार करती है. उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि विपक्ष जीएसटी दर को कम करने से चुनाव को जोड़ रही है वह गलत है. देश में हर 6 महीने, 1 साल पर चुनाव होता है. यह चुनावी मुद्दा कैसे हो सकता है? आज बिहार में है कल दूसरे राज्य में चुनाव होगा. राजद और कांग्रेस के लोग जीएसटी दर में संशोधन पर जो सवाल उठा रहे हैं. अगर वह चाहते हैं तो कह दे कि देश में पुराना टैक्स सिस्टम लागू कर दिया जाए.  
 

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