
पश्चिम चंपारण जिले का चनपटिया विधानसभा क्षेत्र, जो चंपारण सत्याग्रह के प्रणेता पंडित राजकुमार शुक्ल की जन्मभूमि है, बिहार चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों की रणभूमि बन चुका है. चनपटिया सीट वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का मजबूत गढ़ है, जिसे पिछले 25 सालों से कोई भी दल भेद नहीं पाया है. भाजपा एक बार फिर इस गढ़ को सुरक्षित रखने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है. हालांकि, इस बार कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का गठबंधन किले को भेदने की कोशिश में लगा है.
अब तक चनपटिया में कुल 16 विधानसभा चुनाव हुए हैं. शुरुआती दौर में कांग्रेस का दबदबा रहा, जिसने 1957 से 1972 के बीच चार बार जीत दर्ज की. वाम दलों में सीपीआई ने भी इस सीट पर 1980, 1985 और 1995 में सफलता हासिल की. इसके अलावा, 1972 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, 1977 में जनता पार्टी और 1990 में जनता दल को भी जीत मिली. लेकिन, 2000 के बाद से भाजपा ने इस सीट पर लगातार छह बार जीत हासिल कर इसे अपना अजेय गढ़ बना लिया.
भाजपा के प्रमुख चेहरों में कृष्ण कुमार मिश्रा, सतीश चंद्र दुबे, चंद्र मोहन राय, प्रकाश राय और वर्तमान विधायक उमाकांत सिंह शामिल हैं. 2020 के विधानसभा चुनाव में उमाकांत सिंह ने कांग्रेस के अभिषेक रंजन को हराकर फिर से भाजपा की पकड़ को साबित किया.
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, चनपटिया विधानसभा क्षेत्र की कुल अनुमानित जनसंख्या 2024 के आंकड़ों के मुताबिक 4,74,051 है, जिसमें 2,51,670 पुरुष और 2,22,381 महिलाएं हैं. वहीं, 1 जनवरी 2024 की स्थिति के अनुसार इस क्षेत्र में कुल 2,86,332 पंजीकृत मतदाता हैं, जिनमें 1,53,235 पुरुष और 1,33,088 महिला मतदाता हैं.
प्रशासनिक रूप से चनपटिया पश्चिम चंपारण जिले का उपखंड और नगर परिषद है, जो चंपारण लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है. 2008 के परिसीमन से पहले यह क्षेत्र बेतिया लोकसभा सीट में शामिल था. चनपटिया उपखंड में कुल 70 गांव हैं, जो अलग-अलग ग्राम पंचायतों के अंतर्गत आते हैं. यह क्षेत्र मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है. विधानसभा क्षेत्र में चनपटिया के अलावा मझौलिया प्रखंड की 11 ग्राम पंचायतें भी शामिल हैं.
इतिहास के पन्नों में भी चनपटिया का खास स्थान है. यहीं के सतवरिया गांव में 23 अगस्त 1875 को चंपारण सत्याग्रह के प्रणेता पंडित राजकुमार शुक्ल का जन्म हुआ था. उनकी कर्मभूमि मुरली भरहवा गांव रही, जहां से उन्होंने 1916 में लखनऊ कांग्रेस अधिवेशन में भाग लिया और महात्मा गांधी को चंपारण आने के लिए प्रेरित किया था. पंडित शुक्ल कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में बिहार के किसानों का प्रतिनिधित्व करने के लिए लखनऊ गए थे. उन्होंने किसानों की दुर्दशा बताकर महात्मा गांधी से चंपारण चलने का अनुरोध किया था. उनके अनुरोध पर ही महात्मा गांधी 1917 में चंपारण आए थे. गांधीजी के आगमन के बाद 1917 में नील की खेती के खिलाफ ऐतिहासिक सत्याग्रह की शुरुआत हुई.
चनपटिया विधानसभा क्षेत्र कोरोना काल में भी काफी चर्चा में रहा. जब कोरोना महामारी अपने चरम पर थी, तो लोगों के सामने रोजगार का भी बड़ा संकट खड़ा हुआ था. उस समय चनपटिया स्टार्टअप जोन के रूप में उभरा और आत्मनिर्भरता की मिसाल बना.
2020 में शुरू हुए इस मॉडल ने कम समय में पूरे देश में अपनी पहचान बनाई. यहां लौटे प्रवासी मजदूरों की कौशल मैपिंग कर उन्हें स्थानीय स्तर पर काम से जोड़ा गया.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं