बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए NDA के प्रमुख घटकों में से एक राष्ट्रीय लोक मोर्चा के सुप्रीमो उपेन्द्र कुशवाहा ने अपने कोटे की सभी छह सीटों पर जातीय समीकरणों को ध्यान में रखकर उम्मीदवारों का ऐलान कर चुके है. एनडीए गठबंधन में शामिल आरएलएम ने इस सूची के माध्यम से अपनी पकड़ को मजबूत करने और कुशवाहा समुदाय के वोटों को एकजुट करने की रणनीति पर जोर दिया है.
जातीय समीकरणों का रखा ख्याल
आरएलएम ने जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए टिकट वितरण किया है. जिसमें कुशवाहा समुदाय के साथ-साथ अन्य वर्गों के चेहरों को भी मौका दिया गया है. पार्टी ने अनुभवी और क्षेत्रीय प्रभाव रखने वाले नेताओं पर भरोसा जताया है.आरएलएम के सूची को देखे तो सासाराम से उपेन्द्र कुशवाहा ने अपनी पत्नी स्नेहलता को उम्मीदवार बनाया है. वही मधुबनी से अपने वफादार माधव आनंद, बाजपट्टी से पूर्व विधान पार्षद रामेश्वर महतो, पारू से मदन चौधरी, उजियारपुर से प्रशांत कुमार पंकज और दिनारा से आलोक कुमार सिंह.
आरएलएम के खाते आए सभी 6 विधानसभा क्षेत्रों का विश्लेषण
सासाराम
उपेन्द्र कुशवाहा ने इस बार अपनी पत्नी स्नेहलता कुशवाहा को सासाराम सीट से उम्मीदवार बनाया है जिसका सीधा मुकाबला राजद के सत्येंद्र शाह से जिसकी दो दिन पहले गिरफ्तारी हो गई हैं.
सासाराम का सामाजिक समीकरण
सासाराम विधानसभा सीट पर कुशवाहा, राजपूत, यादव, ब्राह्मण और दलित समुदायों की आबादी निर्णायक भूमिका निभाती है. खासकर कुशवाहा वोट बैंक इस क्षेत्र में खासा अहमियत रखता है.यही कारण है कि उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी पत्नी स्नेहलता कुशवाहा को उतारकर कोइरी वोटबैंक को साधने की कोशिश की है.
मधुबनी
मधुबनी से पार्टी ने माधव आनंद को उतारा है जिसका सीधा मुकाबला राजद के समीर महासेठ से है. एनडीए ने मधुबनी विधानसभा माधव आनंद को टिकट दिया है. ऐसे में इस बार मधुबनी विधानसभा सीट पर मुख्य मुकाबला राजद के समीर महासेठ और एनडीए के माधव आनंद के बीच होना है. अब देखना है कि यहां राजद जीत की हैट्रिक लगाती है या एनडीए की वापसी होती है या नहीं.
इस सीट पर राष्ट्रीय जनता दल का दबदबा माना जाता है. वर्ष 2010, 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में इस सीट पर राजद के प्रत्याशी समीर कुमार महासेठ ने जीत हासिल की थी और जीत की हैट्रिक लगाई थी.
साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में समीर कुमार महासेठ को कुल 71332 वोट मिले थे. वीएसआईपी के उम्मीदवार सुमन कुमार महासेठ इस सीट से दूसरे नबंर पर रहे थे. सुमन कुमार महासेठ को कुल 64518 वोट मिले थे. एलजेपी के अरविंद कुमार पूर्बे चुनाव में तीसरे नंबर पर रहे थे.
पारू
आरएलएम ने पारू से अपने प्रदेश अध्यक्ष मदन चौधरी (वैश्य) को उतारा हैं जिनका मुकाबला राजद के शंकर यादव से हैं. मदन चौधरी के लिए परेशानी का सबब बीजेपी के वर्तमान विधायक अशोक सिंह है जो टिकट नहीं मिलने के कारण निर्दलीय ताल ठोक रहे हैं.
पारू विधानसभा सीट मुजफ्फरपुर जिले में हैं. 2020 के चुनाव में यह सीट भाजपा के खाते में गई थी. अशोक कुमार सिंह ने निर्दलीय प्रत्याशी शंकर प्रसाद को मात दी थी. वहीं तीसरे नंबर पर कांग्रेस के अनुनय सिन्हा रहे थे. जिन्हें सिर्फ 7 फीसदी वोट मिले थे. वहीं भाजपा के अशोक सिंह को 77392 मत मिले थे 2015 में भी अशोक कुमार ने राजद के शंकर प्रसाद को 13,539 वोटों से हराया था.
* जातीय समीकरण की बात करें तो भूमिहार वैश्य समाज के साथ साथ राजपूत यादव और कुशवाहा समाज की मजबूत उपस्थिति हैं.
बाजपट्टी
आरएलएम ने बाजपट्टी से पूर्व विधान पार्षद रामेश्वर महतो को उम्मीदवार बनाया है जिसका मुकाबला राजद के विधायक मुकेश यादव और जनसुराज से आजम हुसैन अनवर से है. आजम हुसैन अनवर के चुनावी मैदान में उतरने से आरजेडी के माय समीकरण दरकने के संभावना बनी हुई है. अनवर एक मजबूत उम्मीदवार माने जाते हैं.
जातीय समीकरण- मुस्लिम बहुल बाजपट्टी में मुस्लिम के बाद सबसे अधिक वैश्य समाज की बहुलता हैं. कुशवाहा और यादव समाज की भी भागीदारी ठीक ठाक संख्या में है. बाजपट्टी बिहार का एक प्रमुख विधानसभा क्षेत्र है, जो सीतामढ़ी जिले में स्थित है. 2020 के विधानसभा चुनावों में यह सीट राष्ट्रीय जनता दल के मुकेश कुमार यादव ने जनता दल यूनाइटेड के डा. रंजू गीता को 2704 वोटों के अंतर से हराया था.
दिनारा
एनडीए ने राष्ट्रीय लोक मोर्चा के संसदीय दल बोर्ड के अध्यक्ष आलोक सिंह को दिनारा से प्रत्याशी बनाया है जिनका मुकाबला राजद के संजय यादव और जेडीयू के बागी पूर्व मंत्री जय कुमार सिंह से है. जय कुमार सिंह एक मजबूत राजपूत नेता के साथ अन्य समाज पर भी इनका ठीक ठाक पकड़ है और इनका चुनाव लड़ना NDA उम्मीदवार के लिए सिरदर्द साबित हो सकता है.
साल 2020 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी के विजय कुमार मंडल ने 8,228 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की. इस परिणाम में विरोधी वोटों के विभाजन ने अहम भूमिका निभाई. भाजपा‑नीत एनडीए से बाहर निकल चुकी लोजपा ने अपना उम्मीदवार उतार कर दूसरा स्थान हासिल किया, जबकि आधिकारिक एनडीए प्रत्याशी, दो बार के विधायक और तत्कालीन राज्य मंत्री जय कुमार सिंह तीसरे स्थान पर खिसक गए.
जातीय समीकरण : दिनारा में अनुमानतः 45 फीसदी OBC मतदाता हैं. जहां यादव RJD की ओर झुकाव रखते हैं, वहीं कुर्मी और कोइरी समुदाय BJP तथा JDU को प्राथमिकता देते हैं. ऊंची जातियों के मतदाता, जिनमें भूमिहारों का वर्चस्व है, करीब 25 फीसदी हैं और ये सामान्यतः BJP के समर्थक हैं. दलित (अनुसूचित जाति) मतदाता लगभग 20 फीसदी हैं और ये ज्यादातर NDA का समर्थन करते हैं. दलितों के भीतर रविदास उप‑जाति JDU को पसंद करती है, जबकि पासवान समुदाय LJP और BJP को. मुस्लिम मतदाता करीब 6.8 फीसदी हैं.
उजियारपुर
राजद ने पूर्व मंत्री और वर्तमान विधायक आलोक मेहता पर ही भरोसा जताया है, जबकि एनडीए राष्ट्रीय लोक मोर्चा से प्रशांत कुमार पंकज मैदान में हैं. जनसुराज ने यहीं से विधायक रहे दुर्गा प्रसाद सिंह को उतारा है, जबकि निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में बीजेपी के पूर्व जिलाध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा बागी होकर चुनावी रणभूमि में हैं.
2020 विधान सभा चुनाव में आरजेडी के आलोक कुमार मेहता ने बीजेपी के शील कुमार रॉय को 23 हजार से ज्यादा मतों के अंतर से मात दी थी. उजियारपुर विधानसभा सीट पर इस बार का चुनावी समीकरण दिलचस्प है। यहां एक नहीं, चार-चार कुशवाहा प्रत्याशी मैदान में ताल ठोक रहे हैं. साथ ही, दो-दो उपेंद्र कुशवाहा के नाम की चर्चा है. चारों कुशवाहा समाज से हैं. चार-चार कुशवाहा के मैदान में होने से वोटरों में असमंजस की स्थिति बनी है. लोगों में राय बंटी हुई है. हालांकि, जातिगत आधार से अलग एनडीए और महागठबंधन के आधार वोट का सहारा है.
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