नक्सलियों द्वारा लगाए गए मतदान के बहिष्कार की अपील के पोस्टर।
चकाई:
दक्षिण बिहार में पहले चरण कर मतदान 12 अक्टूबर को होना है। यह इलाका रेड जोन के नाम से जाना जाता है। नक्सलियों ने चुनाव में गांव वालों से वोट न देने की अपील की है, लेकिन लोग उनके फरमान को ठुकरा रहे हैं।
शाम ढलते ही सन्नाटा और सुरक्षा बलों की गश्त
पटना से 220 किमी दूर चकाई में शाम ढलते ही सन्नाटा छा जाता है। चुनाव की वजह से इलाके में सुरक्षा बलों की गश्त जारी है। खासकर इन स्थानों पर पुलों की हिफाजत करना अहम है। बारूदी सुरंगों की तलाश करके उन्हें हटाने का काम चल रहा है। नक्सल प्रभावित इस इलाके में एनडीटीवी की टीम ने भी दौरा किया, जहां शाम के बाद नक्सलियों की गतिविधियां बढ़ जाती हैं।
इलाके में सुरक्षा बल पूरी रात आने-जाने वाली गाड़ियों की चेकिंग करते हैं। सीआरपीएफ के इंचार्ज विवेक ने एनडीटीवी इंडिया को बताया 'हमें जानकारी मिली है कि नक्सलियों के 250 के आसपास आरमड कॉडर इलाके में घूम रहे हैं इसलिए हमने चेकिंग बढ़ा रखी है। चुनाव तक ऐसी ही सख्ती चलेगी।'
जगह-जगह नक्सलियों के पोस्टर
जमुई में नक्सलियों ने चुनाव का बहिष्कार करने का ऐलान किया है। जगह-जगह इस बारे में पोस्टर लगे दिख जाते हैं। फिर भी लोगों कहना है कि वे वोट डालेंगे। एक स्थानीय नागरिक ने कहा कि "हम प्रशासन के साथ हैं इसलिए वोट डालेंगे। सुरक्षा बलों के कारण हमें डर नहीं लगता।" एक अन्य व्यक्ति ने तर्क दिया कि "वोट तो हम जरूर डालेंगे। अगर वोट डालेंगे तभी तो विकास होगा।"
जमुई का पूरा इलाका सरंडा के जंगल से घिरा है, जहां विकास नहीं के बराबर हुआ है। यहां के लिए बिजली अहम मुद्दा है। सरकार ने बिजली दी, लेकिन सिर्फ नाम को। रात में यहां 10-12 घंटे तक बिजली नहीं होती। लोगों को बहुत दिक्क्त होती है।
बिहार के 38 में से 32 जिले नक्सल प्रभावित
बिहार के 38 जिलों में से 32 नक्सल प्रभावित हैं। सबसे खतरनाक नक्सल प्रभावित जोन में औरंगाबाद, गया, जमुई, मुजफ्फरपुर, शिवहर, मोतिहारी, वैशाली, बांका,अरवल, मुंगेर, पटना, जहानाबाद, सीतामढ़ी, कैमूर और रोहतास आते हैं। रेड जोन के इन इलाकों में रेड अलर्ट घोषित किया जा चुका है। सीआरपीएफ के आईजी अरुण कुमार ने एनडीटीवी इंडिया को बताया कि "नक्सलियों ने मतदान के खिलाफ नारा दिया है। हमें कई जगह पोस्टर भी मिले हैं। इनका असर सिर्फ अंदरूनी जंगलों मे होगा।' चुनाव की घोषणा के बाद से अब तक 466 किलो बारूद सुरक्षा बल बरामद कर चुके हैं और 22 हार्ड कोर नक्सली नेता गिरफ्तार हो चुके हैं।
शाम ढलते ही सन्नाटा और सुरक्षा बलों की गश्त
पटना से 220 किमी दूर चकाई में शाम ढलते ही सन्नाटा छा जाता है। चुनाव की वजह से इलाके में सुरक्षा बलों की गश्त जारी है। खासकर इन स्थानों पर पुलों की हिफाजत करना अहम है। बारूदी सुरंगों की तलाश करके उन्हें हटाने का काम चल रहा है। नक्सल प्रभावित इस इलाके में एनडीटीवी की टीम ने भी दौरा किया, जहां शाम के बाद नक्सलियों की गतिविधियां बढ़ जाती हैं।
इलाके में सुरक्षा बल पूरी रात आने-जाने वाली गाड़ियों की चेकिंग करते हैं। सीआरपीएफ के इंचार्ज विवेक ने एनडीटीवी इंडिया को बताया 'हमें जानकारी मिली है कि नक्सलियों के 250 के आसपास आरमड कॉडर इलाके में घूम रहे हैं इसलिए हमने चेकिंग बढ़ा रखी है। चुनाव तक ऐसी ही सख्ती चलेगी।'
जगह-जगह नक्सलियों के पोस्टर
जमुई में नक्सलियों ने चुनाव का बहिष्कार करने का ऐलान किया है। जगह-जगह इस बारे में पोस्टर लगे दिख जाते हैं। फिर भी लोगों कहना है कि वे वोट डालेंगे। एक स्थानीय नागरिक ने कहा कि "हम प्रशासन के साथ हैं इसलिए वोट डालेंगे। सुरक्षा बलों के कारण हमें डर नहीं लगता।" एक अन्य व्यक्ति ने तर्क दिया कि "वोट तो हम जरूर डालेंगे। अगर वोट डालेंगे तभी तो विकास होगा।"
जमुई का पूरा इलाका सरंडा के जंगल से घिरा है, जहां विकास नहीं के बराबर हुआ है। यहां के लिए बिजली अहम मुद्दा है। सरकार ने बिजली दी, लेकिन सिर्फ नाम को। रात में यहां 10-12 घंटे तक बिजली नहीं होती। लोगों को बहुत दिक्क्त होती है।
बिहार के 38 में से 32 जिले नक्सल प्रभावित
बिहार के 38 जिलों में से 32 नक्सल प्रभावित हैं। सबसे खतरनाक नक्सल प्रभावित जोन में औरंगाबाद, गया, जमुई, मुजफ्फरपुर, शिवहर, मोतिहारी, वैशाली, बांका,अरवल, मुंगेर, पटना, जहानाबाद, सीतामढ़ी, कैमूर और रोहतास आते हैं। रेड जोन के इन इलाकों में रेड अलर्ट घोषित किया जा चुका है। सीआरपीएफ के आईजी अरुण कुमार ने एनडीटीवी इंडिया को बताया कि "नक्सलियों ने मतदान के खिलाफ नारा दिया है। हमें कई जगह पोस्टर भी मिले हैं। इनका असर सिर्फ अंदरूनी जंगलों मे होगा।' चुनाव की घोषणा के बाद से अब तक 466 किलो बारूद सुरक्षा बल बरामद कर चुके हैं और 22 हार्ड कोर नक्सली नेता गिरफ्तार हो चुके हैं।
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