
नई दिल्ली:
बिहार एनडीए में जीतन राम मांझी और रामविलास पासवान के बीच जारी घमासान को खत्म करने के लिए आज दोनों नेता दिल्ली में बीजेपी नेता अनंत कुमार से मिलेंगे। अनंत कुमार बिहार बीजेपी के प्रभारी हैं और इसी नाते वो अपने दोनों सहयोगी पार्टियों के बीच झगड़ा सुलझाने की कोशिश करेंगे।
जीतनराम मांझी ने सोमवार को पासवान पर आरोप लगाया था कि उनकी पार्टी भाई-बेटे की पार्टी है। मांझी ने ये भी कहा था कि वो किसी भी हाल में 13 से कम सीटें नहीं लेंगे। इधर, LJP ने खुल कर तो मांझी के ख़िलाफ़ कुछ नहीं कहा, लेकिन वो आज अनंत कुमार के सामने अपनी बात रखेगी।
बीते सोमवार को ही टकरार का ताजा उदाहरण उस समय देखने को मिला, जब पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने तीखे शब्दों में केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान पर हमला बोला। मांझी ने अपने चुनाव क्षेत्र मखदुमपुर में पत्रकारों के सवालों के जवाब में पहली बार पासवान पर सीधा हमला बोला।
दरअसल, मांझी हर मौके पर पासवान द्वारा उन्हें नीचा दिखाए जाने पर न केवल परेशान थे, बल्कि उन्होंने मन बना लिया कि अब पासवान से सार्वजनिक रूप से दो-दो हाथ कर हिसाब बराबर करेंगे। पिछले दिनों एक चैनल के कार्यक्रम में भाग लेते हुए रामविलास पासवान ने कहा था कि मांझी राज्य स्तर नेता हैं, जबकि अपने बारे में उन्होंने कहा कि वो राष्ट्रीय स्तर के दलित नेता हैं।
यही नहीं पासवान ने मांझी पर व्यंग्य करते हुए कहा कि वो राष्ट्रीय लोकत्रांतिक गठबंधन में नए-नए आए हैं और उन्हें अभी साबित करना बाकी है कि वो अपनी जाति मांझी का वोट ट्रासंफर करा पाते हैं कि नहीं। इसी के जवाब में मांझी ने अपनी भड़ास निकालते हुए कहा कि पासवान को केवल अपने परिवार की चिंता रहती है न कि दलितों की और वो उन्हें चींटी समझने की गलती न करें क्योंकि चींटी भी हाथी को परास्त कर सकती है।
मांझी ने पासवान से पूछा कि आखिर उनकी पार्टी में हर पद पर उनके बेटे, भाई या दामाद ही क्यों आसीन हैं। निश्चित रूप से मांझी के इस हमले का पासवान को अंदाजा नहीं था और सोमवार को जब उनकी प्रतिक्रिया पूछी गयी तो उन्होंने सवालों को टाल दिया।
जीतनराम मांझी ने सोमवार को पासवान पर आरोप लगाया था कि उनकी पार्टी भाई-बेटे की पार्टी है। मांझी ने ये भी कहा था कि वो किसी भी हाल में 13 से कम सीटें नहीं लेंगे। इधर, LJP ने खुल कर तो मांझी के ख़िलाफ़ कुछ नहीं कहा, लेकिन वो आज अनंत कुमार के सामने अपनी बात रखेगी।
बीते सोमवार को ही टकरार का ताजा उदाहरण उस समय देखने को मिला, जब पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने तीखे शब्दों में केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान पर हमला बोला। मांझी ने अपने चुनाव क्षेत्र मखदुमपुर में पत्रकारों के सवालों के जवाब में पहली बार पासवान पर सीधा हमला बोला।
दरअसल, मांझी हर मौके पर पासवान द्वारा उन्हें नीचा दिखाए जाने पर न केवल परेशान थे, बल्कि उन्होंने मन बना लिया कि अब पासवान से सार्वजनिक रूप से दो-दो हाथ कर हिसाब बराबर करेंगे। पिछले दिनों एक चैनल के कार्यक्रम में भाग लेते हुए रामविलास पासवान ने कहा था कि मांझी राज्य स्तर नेता हैं, जबकि अपने बारे में उन्होंने कहा कि वो राष्ट्रीय स्तर के दलित नेता हैं।
यही नहीं पासवान ने मांझी पर व्यंग्य करते हुए कहा कि वो राष्ट्रीय लोकत्रांतिक गठबंधन में नए-नए आए हैं और उन्हें अभी साबित करना बाकी है कि वो अपनी जाति मांझी का वोट ट्रासंफर करा पाते हैं कि नहीं। इसी के जवाब में मांझी ने अपनी भड़ास निकालते हुए कहा कि पासवान को केवल अपने परिवार की चिंता रहती है न कि दलितों की और वो उन्हें चींटी समझने की गलती न करें क्योंकि चींटी भी हाथी को परास्त कर सकती है।
मांझी ने पासवान से पूछा कि आखिर उनकी पार्टी में हर पद पर उनके बेटे, भाई या दामाद ही क्यों आसीन हैं। निश्चित रूप से मांझी के इस हमले का पासवान को अंदाजा नहीं था और सोमवार को जब उनकी प्रतिक्रिया पूछी गयी तो उन्होंने सवालों को टाल दिया।
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