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This Article is From Sep 15, 2015

RSS पर लालू प्रसाद यादव को अपने ट्वीट के चलते फॉलोअर्स से सुननी पड़ी खरी-खरी

RSS पर लालू प्रसाद यादव को अपने ट्वीट के चलते फॉलोअर्स से सुननी पड़ी खरी-खरी
लालू प्रसाद यादव (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के युवाओं के बीच लोकप्रिय होने के बाद से लगातार राजनीतिक दलों से जुड़े नेता सोशल मीडिया पर उपस्थिति दर्ज कराते रहे हैं। उनके फॉलोवर बढ़ते जा रहे हैं और बिहार चुनाव के मद्देनजर राज्य की राजनीति में खासा दखल रखने वाले तमाम नेता अपनी बात लोगों तक पहुंचाने के लिए ट्विटर का सहारा ले रहे हैं। ऐसे में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) प्रमुख लालू प्रसाद यादव भी अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी पर हमला बोल रहे हैं।

मंगलवार को लालू प्रसाद ने कुछ ऐसे ट्वीट किए जिनपर उन्हें फॉलो करने वालों ने ऐसे जवाब दिए जिनकी लालू प्रसाद ने भी उम्मीद नहीं की होगी।

एक ट्वीट में जहां लालू ने आरएसएस और बीजेपी पर हमला करते हुए कहा कि दोनों पिछड़ों और दलितों के आरक्षण को खत्म करने का काम कर रहे हैं। वहीं दूसरे ट्वीट में उन्होंने कहा कि आरएसएस एक घोर जातिवादी एवं स्वर्ण पुरुषवादी संगठन है। उन्होंने कहा कि आरएसएस देश के 80 फ़ीसदी पिछड़ों एवं दलितों को ठगने का काम करता है।

लालू प्रसाद के आरएसएस और बीजेपी पर किए गए इन तीखे हमलों के बाद कुछ लोगों ने ऐसे जवाब दिए हैं। एक फॉलोवर ने कहा, आज तक राजद का अध्यक्ष कोई गैर यादव क्यों नहीं बना? क्या ये पद सिर्फ लालू परिवार के लिए आरक्षित है?

वहीं लालू प्रसाद से दूसरा सवाल यह पूछा गया कि आखिर क्यों उन्होंने अपने बेटे तेजस्वी को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया, क्यों नहीं अपनी बेटी मीसा भारती को इसके लिए उपयुक्त पाया।

एक फॉलोअर ने कहा, अरे लालू जी कब तक मूर्खता भरी बातें करंगे, राजेन्द्र प्रसाद सिंह उर्फ़ रज्जू भैया राजपूत बिरादरी के थे और चतुर्थ सरसंघचालक थे।

एक फॉलोअर ने लालू के ट्वीट पर टिप्पणी करते हुए लिखा, चच्चा पहले परिवार से बाहर निकलो। बेटे-बेटी को आगे करने की जगह राजद के आम कार्यकर्ताओ की तरफ देखो, फिर संघ पर अंगुली उठाना।

लालू के एक फॉलोअर ने पूछा, आपने राबड़ी देवी की जगह कान्ति सिंह को बिहार का मुख्यमंत्री क्यों नहीं बनाया?
RSS एवं अफवाह व झूठ की उस्ताद पार्टी बीजेपी पिछड़ों एवं दलितो का आरक्षण ख़त्म करने के लिए काम कर रहे है.

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