चिराग पासवान की फाइल फोटो
पटना:
एक बड़े राजनीतिक नेता के बेटे होने के नाते चिराग पासवान के लिए फिल्मों से राजनीति में कदम रखना उम्मीदों से ज्यादा पेचीदा साबित हो रहा है।
रामविलास पासवान द्वारा साल 2000 में गठित लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त होने से पहले 32 साल के चिराग पासवान ने 'मिले ना मिले हम' नाम की फिल्म में काम किया था। हालांकि उस बात को चार साल बीते चुके हैं और अब उन्होंने अगले महीने से शुरू होने जा रहे बिहार विधानसभा चुनाव का जिम्मा संभाल रखा है।
आज पासवान ने विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के 12 उम्मीदवारों की घोषणा की, जिसमें उनके चाचा और चचेरे भाई के नाम भी शामिल है। एनडीए की मुख्य सहयोगी पार्टी बीजेपी ने उनकी पार्टी एलजेपी को कुल 40 सीटें दी है।
बागियों का कितना डर
एलजेपी को मिली सीटों की 'कम' संख्या से नाराज़ होकर पार्टी के वरिष्ठ नेता रामा सिंह ने पिछले हफ्ते पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था। वहीं पार्टी के छह सांसदों में से एक वीणा देवी के भी विरोधी स्वर उठने लगे हैं। उनके पति सूरजभान सिंह हत्या के आरोप में जेल में बंद हैं और इस वजह से चुनाव नहीं लड़ सकते। हालांकि इसके बावजूद उत्तरी बिहार के मुंगेर और इसके आसपास के इलाके में वह खासे ताकतवर माने जाते हैं।
एनडीटीवी से फोन पर बातचीत में वीणा देवी कहती हैं, 'अगर सीट बंटवारे को लेकर को हमसे सलाह मशविरा नहीं किया जाता है तो मेरे पति और मुझ जैसी वरिष्ठ नेताओं की जरूरत ही क्या है? ऐसा लगता है मानो एलजेपी महज एक परिवार और एक व्यक्ति की पार्टी बन कर रह गई है।'
बिहार में अगड़ी जाति में शूमार भूमिहारों पर सूरजभान सिंह की अच्छी पकड़ मानी जाती है। यह जाति पारंपरिक रूप से बीजेपी और उसके सहयोगियों का समर्थन करती रही है। हालांकि अगर सूरजभान और उनकी पत्नी को एलजेपी ने मनाया नहीं, तो वे पार्टी के खासा नुकसान पहुंचाने का माद्दा रखते हैं।
वंशवाद की राजनीति
आपको बताते चलें कि चिराग पासवान इस वक्त बिहार के जमुई सीट से सांसद हैं। लोकसभा चुनावों के दौरान भी उनकी पार्टी पर वंशवाद की राजनीति के आरोप लगे थे। हालांकि इस युवा नेता के समर्थकों का कहना है कि उन्होंने पार्टी में एक नई जान फूंकी है। इसके साथ ही वे पिछले साल के आम चुनाव में बीजेपी से गठगोड़ के लिए अपने पिता को मनाने का श्रेय भी चिराग को देते हैं।
राजनीति में तमाम पैतरें आज़मा रहे पासवान कहते हैं कि उनका फिल्म करियर अभी खत्म नहीं हुआ है। उनके इस बयान से उस सवाल का जवाब खुद ही मिल जाता है कि वह जिम में इतना वक्त क्यों बिताते हैं। योग भी उनकी हॉबी में शुमार हैं और इसके बारे में वह कहते हैं कि चुनाव नजदीक आने के साथ बढ़ते तनाव में निजात दिलाने में यह उनकी मदद करता है।
रामविलास पासवान द्वारा साल 2000 में गठित लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त होने से पहले 32 साल के चिराग पासवान ने 'मिले ना मिले हम' नाम की फिल्म में काम किया था। हालांकि उस बात को चार साल बीते चुके हैं और अब उन्होंने अगले महीने से शुरू होने जा रहे बिहार विधानसभा चुनाव का जिम्मा संभाल रखा है।
आज पासवान ने विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के 12 उम्मीदवारों की घोषणा की, जिसमें उनके चाचा और चचेरे भाई के नाम भी शामिल है। एनडीए की मुख्य सहयोगी पार्टी बीजेपी ने उनकी पार्टी एलजेपी को कुल 40 सीटें दी है।
बागियों का कितना डर
एलजेपी को मिली सीटों की 'कम' संख्या से नाराज़ होकर पार्टी के वरिष्ठ नेता रामा सिंह ने पिछले हफ्ते पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था। वहीं पार्टी के छह सांसदों में से एक वीणा देवी के भी विरोधी स्वर उठने लगे हैं। उनके पति सूरजभान सिंह हत्या के आरोप में जेल में बंद हैं और इस वजह से चुनाव नहीं लड़ सकते। हालांकि इसके बावजूद उत्तरी बिहार के मुंगेर और इसके आसपास के इलाके में वह खासे ताकतवर माने जाते हैं।
एनडीटीवी से फोन पर बातचीत में वीणा देवी कहती हैं, 'अगर सीट बंटवारे को लेकर को हमसे सलाह मशविरा नहीं किया जाता है तो मेरे पति और मुझ जैसी वरिष्ठ नेताओं की जरूरत ही क्या है? ऐसा लगता है मानो एलजेपी महज एक परिवार और एक व्यक्ति की पार्टी बन कर रह गई है।'
बिहार में अगड़ी जाति में शूमार भूमिहारों पर सूरजभान सिंह की अच्छी पकड़ मानी जाती है। यह जाति पारंपरिक रूप से बीजेपी और उसके सहयोगियों का समर्थन करती रही है। हालांकि अगर सूरजभान और उनकी पत्नी को एलजेपी ने मनाया नहीं, तो वे पार्टी के खासा नुकसान पहुंचाने का माद्दा रखते हैं।
वंशवाद की राजनीति
आपको बताते चलें कि चिराग पासवान इस वक्त बिहार के जमुई सीट से सांसद हैं। लोकसभा चुनावों के दौरान भी उनकी पार्टी पर वंशवाद की राजनीति के आरोप लगे थे। हालांकि इस युवा नेता के समर्थकों का कहना है कि उन्होंने पार्टी में एक नई जान फूंकी है। इसके साथ ही वे पिछले साल के आम चुनाव में बीजेपी से गठगोड़ के लिए अपने पिता को मनाने का श्रेय भी चिराग को देते हैं।
राजनीति में तमाम पैतरें आज़मा रहे पासवान कहते हैं कि उनका फिल्म करियर अभी खत्म नहीं हुआ है। उनके इस बयान से उस सवाल का जवाब खुद ही मिल जाता है कि वह जिम में इतना वक्त क्यों बिताते हैं। योग भी उनकी हॉबी में शुमार हैं और इसके बारे में वह कहते हैं कि चुनाव नजदीक आने के साथ बढ़ते तनाव में निजात दिलाने में यह उनकी मदद करता है।
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