लालू यादव और नीतीश कुमार (फाइल फोटो)
पटना:
बिहार में विधानसभा चुनाव के तीन चरण शेष हैं और इस बीच महागठबंधन में दरार डालने के प्रयास में भाजपा ने नीतीश कुमार की ओर से तत्कालीन मु़ख्यमंत्री लालू प्रसाद को लिखा गया 23 वर्ष पुराना पत्र जारी किया है जिसमें उन्होंने राजद अध्यक्ष पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने और सरकारी नौकरियों में एक खास जाति को लाभ देने का आरोप लगाया था।
श्रीकांत की पुस्तक से लिया पत्र
भाजपा ने कल एक स्थानीय दैनिक में पूरे पन्ने के विज्ञापन पर कुमार के पत्र के अंशों को प्रकाशित किया और मतदान करने वाले लोगों से इस पर फैसला करने को कहा। यह पत्र श्रीकांत की बिहार की राजनीति पर केंद्रित एक पुस्तक से लिया गया है। दिसंबर 1992 को लिखे गए पत्र में नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद पर सामाजिक न्याय के एजेंडे को अपनी निजी लोकप्रियता के लिए केवल नारों तक सीमित करने का आरोप लगाया था।
लालू पर नीतीश ने लगाया था पक्षपात का आरोप
नीतीश कुमार ने अपने पत्र में कथित तौर पर लिखा, ‘ सामाजिक न्याय के एजेंडे के व्यवहारिक आयाम को देखने पर कोई भी इसमें पक्षपात महसूस कर सकता है । ’ राज्य सरकार के सामाजिक न्याय के एजेंडे से अन्य पिछड़े वर्ग को लाभ मिलने की सोच के प्रतिकूल तब नेशनल फ्रंट के वरिष्ठ नेता रहे नीतीश ने आरोप लगाया था कि पुलिस भर्तियों में भारी पैमाने पर अनियमितता और कदाचार हुआ और ऐसा संदेश गया कि एक विशेष प्रभावशाली जाति के लिए रिक्तियां आरक्षित कर दी गईं।
नीतीश ने कहा था कि उन्हें एक सांसद ने बताया कि एक विशेष समुदाय को नियुक्ति में प्राथमिकता दी गई। धर्मनिरपेक्षता को लेकर तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद पर सवाल उठाते हुए नीतीश ने कहा था कि उनके आचरण से ऐसा प्रकट होता है कि वे धर्मनिरपेक्षता के एक मात्र ध्वजवाहक हों।
श्रीकांत की पुस्तक से लिया पत्र
भाजपा ने कल एक स्थानीय दैनिक में पूरे पन्ने के विज्ञापन पर कुमार के पत्र के अंशों को प्रकाशित किया और मतदान करने वाले लोगों से इस पर फैसला करने को कहा। यह पत्र श्रीकांत की बिहार की राजनीति पर केंद्रित एक पुस्तक से लिया गया है। दिसंबर 1992 को लिखे गए पत्र में नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद पर सामाजिक न्याय के एजेंडे को अपनी निजी लोकप्रियता के लिए केवल नारों तक सीमित करने का आरोप लगाया था।
लालू पर नीतीश ने लगाया था पक्षपात का आरोप
नीतीश कुमार ने अपने पत्र में कथित तौर पर लिखा, ‘ सामाजिक न्याय के एजेंडे के व्यवहारिक आयाम को देखने पर कोई भी इसमें पक्षपात महसूस कर सकता है । ’ राज्य सरकार के सामाजिक न्याय के एजेंडे से अन्य पिछड़े वर्ग को लाभ मिलने की सोच के प्रतिकूल तब नेशनल फ्रंट के वरिष्ठ नेता रहे नीतीश ने आरोप लगाया था कि पुलिस भर्तियों में भारी पैमाने पर अनियमितता और कदाचार हुआ और ऐसा संदेश गया कि एक विशेष प्रभावशाली जाति के लिए रिक्तियां आरक्षित कर दी गईं।
नीतीश ने कहा था कि उन्हें एक सांसद ने बताया कि एक विशेष समुदाय को नियुक्ति में प्राथमिकता दी गई। धर्मनिरपेक्षता को लेकर तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद पर सवाल उठाते हुए नीतीश ने कहा था कि उनके आचरण से ऐसा प्रकट होता है कि वे धर्मनिरपेक्षता के एक मात्र ध्वजवाहक हों।
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