
फाइल फोटो
पटना:
विकास को भूल जाइए, यह जाति है और इसका समीकरण, जो शुक्रवार को बिहार के दूसरे चरण के मतदान में 32 विधानसभा क्षेत्रों में अपना दबदबा दिखाएगा।
गरीबी का शिकार कैमूर और रोहतास जिला
दूसरे चरण में छह जिलों में मतदान होना है। इनमें गरीबी के शिकार कैमूर और रोहतास जिले भी शामिल हैं। 32 विधानसभा सीट पर 456 उम्मीदवारों के भाग्य का 85 लाख 80 हजार मतदाता फैसला करेंगे।
कुल 8849 मतदान केंद्रों पर मत पड़ेंगे। इनमें से अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में हैं।
यहां हो चुके हैं वीभत्स जनसंहार
जिन 6 जिलों में मत डाले जाएंगे उनमें गया, औरंगाबाद, जहानाबाद, अरवल, कैमूर और रोहतास शामिल हैं। ये वे इलाके हैं जहां 1980 और 1990 के दशकों में कुछ जाति आधारित वीभत्स जनसंहार हुए थे।
कुछ इलाके नक्सलियों के गढ़ हैं और अधिकारी मानते हैं कि इन क्षेत्रों में सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है।
मांझी भी है मैदान में
दूसरे चरण के चुनाव में भी राजद-जद(यू)-कांग्रेस महागठबंधन और राजग का बहुत कुछ दांव पर लगा हुआ है। इस चरण में पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी, विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी और भाजपा में मुख्यमंत्री पद के एक दावेदार प्रेम कुमार की किस्मत का फैसला होना है।
भाजपा के सहयोगी मांझी जहानाबाद के मखदूमपुर और गया के इमामगंज से चुनाव लड़ रहे हैं। उनके बेटे संतोष कुमार मांझी कुटुंबा से चुनाव लड़ रहे हैं। मांझी के दामाद देवेंद्र कुमार मांझी बोध गया से आजाद उम्मीदवार की हैसियत से चुनाव लड़ रहे हैं।
महागठबंधन को उम्मीद है कि उसे इस इलाके के पिछड़ों और मुसलमानों का समर्थन मिलेगा। दलितों और अतिपिछड़ों के एक हिस्से के समर्थन की भी उसे आस है।
जाति आधारित वोटों के पड़ने की उम्मीद
लेकिन, भाजपा को उम्मीद है कि सवर्ण मतदाताओं का मत उसी की झोली में जाएगा। दलित, अन्य पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग के एक बड़े हिस्से का मत भी उसे मिलेगा। भाजपा को लगता है कि महादलित नेता मांझी का मुसहर समाज और राम विलास पासवान का पासवान समाज भाजपा के ही साथ रहेगा।
इलाका जद(यू) और राजद के सर्वाधिक मजबूत गढ़ों में एक
लेकिन, यह भी सच है कि यह इलाका जद(यू) और राजद के सर्वाधिक मजबूत गढ़ों में से एक है। यादव और मुसलमान यहां अच्छी संख्या में हैं और लालू यादव के लिए इनका समर्थन जगजाहिर है।
ड्रोन, हेलीकॉप्टर तैनात
इलाके की संवेदनशीलता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सुरक्षा के काम में पांच हेलीकॉप्टर, ड्रोन, अर्ध सैनिक बलों की 993 कंपनियां तैनात की गई हैं।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म और नेशनल इलेक्शन वाच का कहना है कि इस चरण में 142 उम्मीदवार ऐसे हैं, जिन पर हत्या जैसे संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं।
गरीबी का शिकार कैमूर और रोहतास जिला
दूसरे चरण में छह जिलों में मतदान होना है। इनमें गरीबी के शिकार कैमूर और रोहतास जिले भी शामिल हैं। 32 विधानसभा सीट पर 456 उम्मीदवारों के भाग्य का 85 लाख 80 हजार मतदाता फैसला करेंगे।
कुल 8849 मतदान केंद्रों पर मत पड़ेंगे। इनमें से अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में हैं।
यहां हो चुके हैं वीभत्स जनसंहार
जिन 6 जिलों में मत डाले जाएंगे उनमें गया, औरंगाबाद, जहानाबाद, अरवल, कैमूर और रोहतास शामिल हैं। ये वे इलाके हैं जहां 1980 और 1990 के दशकों में कुछ जाति आधारित वीभत्स जनसंहार हुए थे।
कुछ इलाके नक्सलियों के गढ़ हैं और अधिकारी मानते हैं कि इन क्षेत्रों में सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है।
मांझी भी है मैदान में
दूसरे चरण के चुनाव में भी राजद-जद(यू)-कांग्रेस महागठबंधन और राजग का बहुत कुछ दांव पर लगा हुआ है। इस चरण में पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी, विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी और भाजपा में मुख्यमंत्री पद के एक दावेदार प्रेम कुमार की किस्मत का फैसला होना है।
भाजपा के सहयोगी मांझी जहानाबाद के मखदूमपुर और गया के इमामगंज से चुनाव लड़ रहे हैं। उनके बेटे संतोष कुमार मांझी कुटुंबा से चुनाव लड़ रहे हैं। मांझी के दामाद देवेंद्र कुमार मांझी बोध गया से आजाद उम्मीदवार की हैसियत से चुनाव लड़ रहे हैं।
महागठबंधन को उम्मीद है कि उसे इस इलाके के पिछड़ों और मुसलमानों का समर्थन मिलेगा। दलितों और अतिपिछड़ों के एक हिस्से के समर्थन की भी उसे आस है।
जाति आधारित वोटों के पड़ने की उम्मीद
लेकिन, भाजपा को उम्मीद है कि सवर्ण मतदाताओं का मत उसी की झोली में जाएगा। दलित, अन्य पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग के एक बड़े हिस्से का मत भी उसे मिलेगा। भाजपा को लगता है कि महादलित नेता मांझी का मुसहर समाज और राम विलास पासवान का पासवान समाज भाजपा के ही साथ रहेगा।
इलाका जद(यू) और राजद के सर्वाधिक मजबूत गढ़ों में एक
लेकिन, यह भी सच है कि यह इलाका जद(यू) और राजद के सर्वाधिक मजबूत गढ़ों में से एक है। यादव और मुसलमान यहां अच्छी संख्या में हैं और लालू यादव के लिए इनका समर्थन जगजाहिर है।
ड्रोन, हेलीकॉप्टर तैनात
इलाके की संवेदनशीलता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सुरक्षा के काम में पांच हेलीकॉप्टर, ड्रोन, अर्ध सैनिक बलों की 993 कंपनियां तैनात की गई हैं।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म और नेशनल इलेक्शन वाच का कहना है कि इस चरण में 142 उम्मीदवार ऐसे हैं, जिन पर हत्या जैसे संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं।
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