तस्वीर सौजन्य : AFP
बिहार चुनाव के नतीजे पर मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम ज़ैदी ने एनडीटीवी से बातचीत में कुछ अहम बिंदुओं पर रोशनी डाली। पढ़िए बातचीत के मुख्य अंश -
- सामाजिक और राजनीतिक जागरूकता के मामले में बिहार में हमेशा से ही महिलाओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है।
- हमने अप्रैल में योजना बनानी शुरु कर दी थी और महिलाओं की भागदारी के लिए एक व्यापक कार्यक्रम तैयार किया था।
- 2010 की तुलना में इस बार की मतदाता सूची में 50 लाख महिलाएं और शामिल हुई हैं (पिछले चुनाव में यह आंकड़ा 1.4 करोड़ था, जबकि इस बार 1.9 करोड़ है)
- हमारे चुनावी तंत्र के लिए यह उल्लेखनीय उपलब्धि है।
- त्यौहार का मौसम था और कड़े कानून और सुरक्षा इंतज़ाम ने चुनाव के लिए काफी महफूज़ माहौल बनाकर रखा।
- यही वजह थी कि महिलाओं ने भी ज्यादा से ज्यादा संख्या में इस चुनाव में हिस्सा लिया।
- जहां तक 'खिलाने-पिलाने' के माहौल की बात है तो चुनाव आयोग ने पैसों और शराब वितरण जैसी गतिविधियों को कम करने के भरसक प्रयास किए हैं।
- इस दौरान बहुत सारी विदेशी मुद्रा, फर्जी नोट भी ज़ब्त किए गए हैं।
- 2010 में 35 लाख रुपए ज़ब्त किए गए थे, जबकि 2015 में 50 करोड़ जब्त किए गए (कर अधिकारियों की मदद भी शामिल)
- किसी भी तरह के खून खराबें या हिंसा की खबरें नहीं आई हैं। सिर्फ दो पुनर्मतदान की नौबत आई है जिसके पीछे कुछ मानवीय भूल जिम्मेदार थी।
- 2010 और 2015 की आंकड़ों की तुलना करें तो 1.2 अतिरिक्त वोटर हुए हैं।
- कुछ राजनीतिक पार्टियों ने बूथ स्तर पर एजेंट रखे हुए थे।
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