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क्या है 'कैफे' मानक जिसका टाटा मोटर्स कर रही है इतना विरोध, आम आदमी पर क्या पड़ेगा असर

Motors Cafe standard Updates: टाटा का मानना है कि भारत अब EV अपनाने के लिए तैयार है. देश में बिकने वाली कुल कारों में अब 5% हिस्सा EV का है. ऐसे में पुरानी पेट्रोल तकनीक को बढ़ावा देना पीछे हटने जैसा होगा.

क्या है 'कैफे' मानक जिसका टाटा मोटर्स कर रही है इतना विरोध, आम आदमी पर क्या पड़ेगा असर
  • टाटा मोटर्स ने सरकार के CAFE स्टैंडर्ड में छोटी पेट्रोल कारों को छूट देने के प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया है
  • सरकार ने CAFE में 909 किलो से कम वजन और 1200cc से कम इंजन वाली छोटी कारों को राहत देने का प्रस्ताव रखा है
  • टाटा मोटर्स का मानना है कि छूट से इलेक्ट्रिक वाहनों के विकास में बाधा आएगी और सुरक्षा फीचर्स कम हो सकते हैं
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Motors Cafe standard Updates: भारत की दिग्गज वाहन निर्माता कंपनी टाटा मोटर्स ने सरकार के CAFE स्टैंडर्ड के एक प्रावधान का कड़ा विरोध किया है. टाटा मोटर्स का मानना है कि छोटी पेट्रोल कारों को नियमों में ढील देना देश के क्लीन एनर्जी मिशन के लिए पीछे हटने जैसा होगा. इस खबर में आपको बताते हैं कि ये कैफे (CAFE) मानक क्या हैं, साथ ही टाटा मोर्टर्स ने किस प्रावधान का विरोध किया है और अगर ये नियम लागू हो जाते हैं तो आम आदमी पर इसका क्या असर पड़ेगा.

CAFE (कैफे) मानक क्या हैं?

CAFE का पूरा नाम Corporate Average Fuel Efficiency (कॉरपोरेट औसत ईंधन दक्षता) है. यह किसी एक कार पर नहीं बल्कि एक कार निर्माता कंपनी के सभी मॉडलों के एवरेज पर लागू होता है. इसको लाने का उद्देश्य है कि कंपनियां ऐसी कारें बनाए जो कम ईंधन का इस्तेमाल करें और हवा में कम कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ें.

सरकार कंपनियों के लिए एक कार्बन उत्सर्जन टारगेट तय करती है. अगर कंपनी की बेची गई कारों का औसत उत्सर्जन उस टारगेट से ज्यादा होता है तो कंपनी पर भारी जुर्माना लगाया जाता है. इससे कंपनियां इलेक्ट्रिक वाहन (EV) और हाइब्रिड कारें बेचने के लिए आगे आती हैं क्योंकि उनसे औसत उत्सर्जन कम हो जाता है.

छोटी कारों को छूट का प्रस्ताव

सरकार ने 2027 से 2032 के लिए जो नए नियम तैयार किए हैं, उनमें 909 किलो से कम वजन, 1200cc से कम इंजन और 4 मीटर से छोटी पेट्रोल कारों को थोड़ी राहत या छूट दी जा सकती है. क्योंकि भारत में मारुति सुजुकी जैसी कंपनियां बहुत बड़ी संख्या में ऐसी छोटी कारें बेचती हैं, इसलिए यह छूट उनके लिए फायदेमंद हो सकती है.

टाटा मोटर्स क्यों कर रही विरोध?

टाटा मोटर्स ने पीएमओ को पत्र लिखकर इस छूट का कड़ा विरोध किया है. टाटा ने कहा है-

इलेक्ट्रिक कारों के भविष्य को खतरा

टाटा मोटर्स का कहना है कि अगर पेट्रोल कारों को छूट मिल जाएगी तो कंपनियों को इलेक्ट्रिक गाड़ियां बनाने की मेहनत नहीं करनी पड़ेगी. इससे भारत का क्लीन एनर्जी मिशन धीमा पड़ जाएगा. टाटा इस समय भारत में EV सेगमेंट का लीडर है. इसलिए वह चाहता है कि नियम सभी के लिए समान रूप से कड़े हों.

सेफ्टी से समझौता

टाटा मोटर्स ने एक बहुत गंभीर चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार वजन के आधार पर छूट देगी, तो कंपनियां छूट पाने के चक्कर में कारों का वजन घटाने की कोशिश करेंगी. वजन घटाने के लिए वे कार के सेफ्टी फीचर्स को कम कर सकती हैं.

EV को आगे लाने की जरूरत

टाटा का मानना है कि भारत अब EV अपनाने के लिए तैयार है. देश में बिकने वाली कुल कारों में अब 5% हिस्सा EV का है. ऐसे में पुरानी पेट्रोल तकनीक को बढ़ावा देना पीछे हटने जैसा होगा.

इसका आम आदमी पर क्या असर होगा?

अगर टाटा की बात मानी गई तो भविष्य में छोटी पेट्रोल कारें महंगी हो सकती हैं क्योंकि कंपनियों को उन पर कड़े मानक लागू करने होंगे. इससे कंपनियां EV की सेल पर ज्यादा फोकस करेंगी. वहीं, सरकार का प्रस्ताव लागू हुआ तो बजट सेगमेंट की कारें (जैसे ऑल्टो, वैगनआर) सस्ती बनी रह सकती हैं.

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