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This Article is From May 08, 2018

Karnataka Election 2018 : चुनावों में भाजपा के 'कैंपेन फेस' पीएम मोदी

कर्नाटक की लड़ाई निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है. भाजपा के सबसे प्रमुख या कहें कि इकलौते 'खेवनहार' पीएम मोदी खुद चुनाव प्रचार में जोरशोर से जुटे हैं.

Karnataka Election 2018 : चुनावों में भाजपा के 'कैंपेन फेस' पीएम मोदी
पीएम नरेंद्र मोदी
नई दिल्ली: कर्नाटक की लड़ाई निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है. 12 मई को होने वाले चुनाव से पहले भाजपा, कांग्रेस समेत तमाम दल अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं. केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों से पहले कर्नाटक को अहम पड़ाव के रूप में देख रही है. पार्टी के लिए यह लड़ाई इसलिये महत्वपूर्ण है, क्योंकि कर्नाटक उसके 'कांग्रेस मुक्त भारत' के नारे की लगभग आखिरी कड़ी है. तो दूसरी तरफ, 'दक्षिण' की खोई जमीन भी वापस हासिल करना है. भाजपा ने इस लड़ाई में अपनी सारी ताकत लगा दी है. पार्टी के लिए चुनावों में सबसे प्रमुख या कहें कि इकलौते 'खेवनहार' पीएम मोदी खुद चुनाव प्रचार में जोरशोर से जुटे हैं. चुनाव से पहले कर्नाटक में उनकी 15 रैलियां प्रस्तावित थीं. बाद में इसे बढ़ाकर 21 कर दिया गया. जिससे यह जाहिर है कि, भाजपा अपने 'चुनावी रथ' को सरपट दौड़ाने के लिए पीएम मोदी पर लगभग पूरी तरह निर्भर हो चुकी है.

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इसी साल फरवरी में पूर्वोत्तर के तीन राज्यों त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड के चुनावों में भी इसकी बानगी देखने को मिली थी. जहां भाजपा के चुनाव अभियान के सारथी पीएम मोदी थे. पार्टी को इसका अभूतपूर्व फायदा भी मिला. त्रिपुरा में लेफ्ट के 25 सालों की सत्ता को उखाड़कर भाजपा सत्ता पर काबिज हुई. भाजपा के अन्य 'चुनावी चेहरों' की बात करें तो पीएम मोदी के बाद लोकप्रियता और भीड़ खींचने के मामले में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दूसरे नंबर पर रखा जाता है. वहीं पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह, राजनाथ सिंह, अरुण जेटली, नितिन गडकरी, शिवराज सिंह चौहान जैसे नेता भी चुनाव प्रचार में उतरते हैं, लेकिन अब तक के अनुभव बताते हैं कि, लोकप्रियता और लोगों को जोड़ने के मामले में ये सभी पीएम मोदी से बहुत पीछे हैं. 

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गोरखपुर और फूलपुर के उपचुनावों के बाद बढ़ी निर्भरता : 
पिछले दिनों गोरखपुर और फूलपुर के उप चुनावों में भाजपा को तगड़ा झटका लगा था. प्रदेश में भाजपा की सरकार और खुद सीएम-डिप्टी सीएम का चुनावी क्षेत्र होने की वजह से पार्टी यहां जीत के लिए पूरी तरह आश्वस्त थी, लेकिन दोनों जगह पार्टी को हार का सामना करना पड़ा. यहां हार के बाद भाजपा की पीएम नरेंद्र मोदी पर निर्भरता और बढ़ गई. अब कर्नाटक के चुनावों से साफ है कि, इस साल के अंत में होने वाले मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ औऱ मिजोरम के चुनावों में भी पीएम मोदी ही पार्टी के 'खेवनहार' होंगे. 


यूं ही नहीं हैं पीएम मोदी चुनावों में 'वन मैन आर्मी' :
पीएम मोदी चुनावी समर में भाजपा के 'वन मैन आर्मी' यूं ही नहीं हैं. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह उनका व्यक्तित्व है. पिछले चार वर्षों के दौरान न तो उनपर कोई व्यक्तिगत आक्षेप लगा और न ही उनकी सरकार में कोई घपला-घोटाला सामने आया. दूसरी तरफ, उत्तर हो या दक्षिण, बेहतरीन संचार-कौशल और वाकपटुता की बदौलत वे जनता को अपने मोहपाश में बांध लेते हैं. चुनावों के दौरान उनकी स्टेमिना काबिलेगौर होती है. एक दिन में तीन-चार रैलियां और सभी में वही जोश. चुनावों में पार्टी के प्रति उनका समर्पण साफ दिखता है.  


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