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This Article is From Dec 17, 2018

2019 में लोकसभा चुनाव जीतने के लिए अब कांग्रेस को संभाल कर रखने होंगे 65 'कदम'

इन राज्यों को मिलाकर लोकसभा की 65 सीटें आती हैं. जहां पर पिछले चुनाव में कांग्रेस पूरी साफ हो चुकी थी.

2019 में लोकसभा चुनाव जीतने के लिए अब कांग्रेस को संभाल कर रखने होंगे 65 'कदम'
नई दिल्ली: कई सालों के बाद कांग्रेस को खुशी नसीब हुई है. उसके आज तीन-तीन मुख्यमंत्रियों का शपथग्रहण है. छत्तीसगढ़ में रविवार को भूपेश बघेल को सीएम बनाने का ऐलान किया है. इस फैसले कांग्रेस ने एक तीर से दो शिकार किए हैं. बघेल ओबीस समुदाय से आते हैं, और राज्य में इस समुदाय की बड़ी आबादी है जो कुछ को उपेक्षित महसूस कर रही थी. दूसरी ओर संगठन पर भी भूपेश बघेल की पकड़ है वह इस समय कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे थे और राज्य में कार्यकर्ताओं के अंदर जान फूंकने के लिए जी तोड़ मेहनत की है. वह सेक्स सीडी कांड मामले में जेल भी जा चुके हैं. अगर लोकसभा चुनाव के हिसाब से देखें तो यहां पर 11 सीटें हैं जिनमें 9 सीटें बीजेपी के पास हैं. लेकिन अब राज्य में प्रचंड बहुमत के साथ कांग्रेस की सरकार है और 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की कोशिश है कि नतीजे बिलकुल उल्टा कर दिए जाएं. 

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बात करें मध्य प्रदेश की कांग्रेस को यहां पर 114 सीटें मिली हैं और बीजेपी को 109 सीटें. मामला यहां पर कांटें की लड़ाई है और बीजेपी का वोट प्रतिशत यहां पर कांग्रेस से ज्यादा है. बात करें लोकसभा सीटों को साल 2014 के चुनाव में यहां भी बीजेपी ने क्लीन स्वीप किया था और कुल 29 सीटों में से 27 सीटें जीती थीं. सिर्फ कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया ही अपनी सीट बचा पाए थे. लेकिन ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस यहां पर लोकसभा चुनाव को लेकर अभी से मेहनत करे तो यहां पर बीजेपी से अच्छी-खासी सीटें छीनी जा सकती हैं. कांग्रेस की रणनीति होगी मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया को संगठन के स्तर पर सक्रिय किया जाए और कमलनाथ अपने अनुभव के हिसाब से चलाएं. लेकिन राज्य में कमलनाथ के सीएम बनाए जाने के बाद कांग्रेस में जिस तरह की परिस्थितियां बनते दिखाई दे रही हैं उससे बहुत कुछ माधवराव सिंधिया के रुख पर निर्भर करेगा कि वह अपने खेमे के समर्थकों को कैसे साधते हैं, इसके लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को भी सिंधिया को विश्वास में लेकर साधने की कोशिश करनी होगी.

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वहीं राजस्थान में भी कांग्रेस के लिए मध्य प्रदेश की तरह ही हालात हैं. हालांकि सचिन पायलट समर्थकों का उग्र रूप देख उनको उप मुख्यमंत्री जरूर बना दिया गया है. लेकिन ऐसा लगता है पार्टी के इस फैसले पायलट के समर्थक खासकर गुर्जर समुदाय बहुत खुश नजर नहीं आ रहा है. दरअसल बीते 5 सालों में सचिन पायलट ने राजस्थान में पार्टी के संगठन को खड़ा करने की जी तोड़ मेहनत की है और उनको सीएम पद के लिए स्वाभाविक दावेदार माना जा रहा था. लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी पीछे हटने को तैयार नहीं थे. बात करें लोकसभा चुनाव की तो साल 2014 के चुनाव में यहां पर बीजेपी ने सभी 25 सीटें जीत ली थीं. लेकिन बाद में बीजेपी की पकड़ कमजोर होती चली गई और उपचुनावों में उसने लोकसभा की दो सीटें गवां दीं. इसके पीछे सचिन पायलट की मजबूत रणनीति भी बताई गई. इस बार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 99 सीटें जीती हैं यानी बहुमत से एक सीट कम. लेकिन उसको एक सीट के लिए समर्थन मिल गया है. वहीं जहां माना जा रहा था कि बीजेपी पूरी तरह से साफ हो जाएगी लेकिन उसने 73 सीटें जीत ली हैं. इस लिहाज से कांग्रेस को इस राज्य में सचिन पायलट और उनके समर्थकों को हर हाल में साधना होगा.
 

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यानी इन राज्यों को मिलाकर लोकसभा की 65 सीटें आती हैं. जहां पर पिछले चुनाव में कांग्रेस पूरी साफ हो चुकी थी. लेकिन हिंदी पट्टी की इन सीटों पर अगर कांग्रेस ऐसा ही प्रदर्शन करती है तो 2019 के लोकसभा चुनाव में उसकी राह और आसान हो सकती है. बस चुनाव में पार्टी को वैसा ही प्रदर्शन करना है जैसा हाल के विधानसभा चुनाव में किया है. मानें इन तीन राज्यों में कांग्रेस को 65 कदम बहुत संभाल कर रखने होंगे

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