कांग्रेस की बैठक में बोलते हुए रिटायर्ड आईएएस और नेता पीएल पुनिया.
नई दिल्ली:
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh Election results 2018) में पिछले 15 वर्षों से सत्ता में काबिज बीजेपी के पांव उखड़ गए. कांग्रेस की आंधी के आगे बीजेपी के मुख्यमंत्री रमन सिंह की लोकलुभावन योजनाएं हवा में उड़ गईं. खुद सूबे के कांग्रेसी नेता भी हैरान हैं कि उन्होंने जीत की तो सोची थी, मगर इतने बंपर नतीजों की उम्मीद तो कतई नहीं थी. ढाई बजे तक के रुझानों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को 66, बीजेपी को 15 और बसपा को आठ सीटों पर बढ़त हासिल है. कुल मिलाकर कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिलना तय है. कुल 90 विधानसभा सीटों वाले छत्तीसगढ़ में बहुमत का आंकड़ा 46 सीटों का है. ऐसे में कांग्रेस इस आंकड़े से भी आगे निकलती दिखाई दे रहे हैं. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की भारी बढ़त में गेमचेंजर के रूप में उभरे हैं पन्नालाल पुनिया, जिन्हें पीएल पुनिया( PL Punia) के रूप में जाना जाता है. कांग्रेस के दलित चेहरे पीएल पुनिया राजनीति में आने से पहले तीन दशक से भी अधिक समय तक आईएएस की नौकरी कर चुके हैं.
दरअसल, छत्तीसगढ़ में अजित जोगी के बगावत पर उतरकर जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ पार्टी बनाने से कांग्रेस के सामने चुनौती थी. एक तरफ जहां कई नेता कांग्रेस का साथ छोड़कर अजित जोगी की पार्टी से जुड़ते जा रहे थे. दूसरी तरफ कांग्रेस को अपने वोटों पर कुछ कैंची चलने की आशंका भी सता रही थी. कांग्रेस ने बगैर मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किए यह चुनाव लड़ने का फैसला किया. पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने अजित जोगी से उपजी चुनौतियों की काट के लिए दलित चेहरे पीएल पुनिया पर भरोसा किया. नतीजे बताते हैं कि पीएल पुनिया राहुल गांधी के भरोसे पर पूरी तरह खरे उतरे. छत्तीसगढ़ में संगठनात्मक स्तर पर जमीनी काम करते हुए हर जगह वह पार्टी के लिए संकटमोचक की भूमिका में नजर आए. चाहे पार्टी छोड़कर गए नेताओं को वापस लाना हो, या फिर पार्टी की नीतियों को जनता तक पहुंचाने के लिए खास एक्शन प्लान बनाना. हर जगह पीएल पुनिया ही नजर आए. कांग्रेस के स्थानीय नेता जीत में पीएल पुनिया की कामयाब रणनीतियों को प्रमुख वजह बता रहे हैं.
ऐसे छत्तीसगढ़ में दिलाई जीत
दरअसल जब से बागी नेता अजित जोगी ने छत्तीसगढ़ में नई पार्टी बनाई तो पुराने कई कांग्रेसी पार्टी छोड़ने लगे. जिससे कांग्रेस खुद को कमजोर हालत में पाने लगी. पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने संगठन में जान फूंकने के जिस मकसद से पीएल पुनिया को प्रभारी बनाकर भेजा था, वह सही साबित हुआ. एक-एक कर पार्टी छोड़ने वाले नेताओं से पीएल पुनिया ने बातचीत शुरू की और उन्हें मनाने में भी जुट गए. आखिरकार कई पुराने नेताओं की घरवापसी कराने में सफल रहे. पीएल पुनिया की मान-मनौव्वल से कई नेता जोगी का साथ छोड़कर दोबारा कांग्रेस में आए. खास बात है कि अजित जोगी की जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ पार्टी के किसान संगठन के प्रदेश अध्यक्ष द्वारिका साहू, पूर्व विधायक सुरेंद्र बहादुर सिंह, कोरिया जिला पंचायत अध्यक्ष कलावता, पूर्व विधायक योगिराज सिंह जैसे दिग्गज नेताओं को पुनिया ने मनाकर दोबारा घरवापसी कराई. इससे राहुल गांधी भी प्रभावित रहे. इन नेताओं को 10 अगस्त को राहुल गांधी के सामने पीएल पुनिया ने कांग्रेस की सदस्यता दिलाई थी.
हर प्रत्याशी से सीधे संपर्क में
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के मद्देनजर इसी साल जुलाई में प्रदेश प्रभारी बनाकर भेजे गए पीएल पुनिया ने काफी मेहनत की.करीब चार महीने के बीच पीएल पुनिया ने पहले छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की कमजोरियों और मजबूतियों की सूची बनाई. फिर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ संगठन को मजबूत कर बूथ लेवल तक कांग्रेस की पकड़ बनाने की दिशा में काम किया. कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक पीएल पुनिया ने अपने पूरे प्रशासनिक अनुभव का इस्तेमाल सुस्त पड़े संगठन को क्रियाशील बनाने में किया. हर प्रत्याशी के सीधे संपर्क में रहे. छोटे से लेकर बड़े पदाधिकारियों से हर दिन फीडबैक लेते रहे. जहां कमजोरियां दिखीं, वहां दूर करने में जुटे रहे. यही वजह है कि छत्तीसगढ़ में 15 से भी अधिक वर्षों से काबिज बीजेपी को सत्ता से बाहर कराने में कांग्रेस सफल रही है.
कौन हैं पीएल पुनिया
मूलतः हरियाणा के झज्जर के एक गांव के रहने वाले पीएल पुनिया यूपी काडर के1971 बैच के आईएएस रहे हैं. वर्ष 1971 से 2005 तक करीब 34 साल तक आईएएस रहे. जब मायावती यूपी की मुख्यमंत्री थीं तो पीएल पुनिया उनके भरोसेमंद अफसरों में शुमार थे. हालांकि रिटायरमेंट के बाद पीएल पुनिया कांग्रेस से जुड़े. वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बाराबंकी की फतेहपुर विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा था, मगर हाल मिली. फिर भी कांग्रेस ने दोबारा भरोसा जताते हुए उन्हें 2009 में बाराबंकी सीट से चुनाव मैदान में उतारा तो जीत मिली. वर्ष 2013-16 तक पीएल पुनिया एससी-एसटी आयोग के अध्यक्ष रहे. 2012 में आमिर खान के लोकप्रिय टीवी शॉ सत्यमेव जयते में भी पीएल पुनिया नजर आ चुके हैं. उस दौरान उन्हें शो में देश में दलित जातियों के उत्पीड़न के मुद्दे को उठाया था. 23 जनवरी 1945 को जन्मे हरियाणा के भरत सिंह और दखन देवी के घर जन्मे पीएल पुनिया ने पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ से एमए और लखनऊ विश्वविद्यालय से पीएचडी किए. यूपी में अलीगढ़ सहित कई जिलों के डीएम भी रहे. दिल्ली में मोती बाग इलाके में तो लखनऊ में गोमतीनगर में रहते हैं.
दरअसल, छत्तीसगढ़ में अजित जोगी के बगावत पर उतरकर जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ पार्टी बनाने से कांग्रेस के सामने चुनौती थी. एक तरफ जहां कई नेता कांग्रेस का साथ छोड़कर अजित जोगी की पार्टी से जुड़ते जा रहे थे. दूसरी तरफ कांग्रेस को अपने वोटों पर कुछ कैंची चलने की आशंका भी सता रही थी. कांग्रेस ने बगैर मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किए यह चुनाव लड़ने का फैसला किया. पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने अजित जोगी से उपजी चुनौतियों की काट के लिए दलित चेहरे पीएल पुनिया पर भरोसा किया. नतीजे बताते हैं कि पीएल पुनिया राहुल गांधी के भरोसे पर पूरी तरह खरे उतरे. छत्तीसगढ़ में संगठनात्मक स्तर पर जमीनी काम करते हुए हर जगह वह पार्टी के लिए संकटमोचक की भूमिका में नजर आए. चाहे पार्टी छोड़कर गए नेताओं को वापस लाना हो, या फिर पार्टी की नीतियों को जनता तक पहुंचाने के लिए खास एक्शन प्लान बनाना. हर जगह पीएल पुनिया ही नजर आए. कांग्रेस के स्थानीय नेता जीत में पीएल पुनिया की कामयाब रणनीतियों को प्रमुख वजह बता रहे हैं.
ऐसे छत्तीसगढ़ में दिलाई जीत
दरअसल जब से बागी नेता अजित जोगी ने छत्तीसगढ़ में नई पार्टी बनाई तो पुराने कई कांग्रेसी पार्टी छोड़ने लगे. जिससे कांग्रेस खुद को कमजोर हालत में पाने लगी. पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने संगठन में जान फूंकने के जिस मकसद से पीएल पुनिया को प्रभारी बनाकर भेजा था, वह सही साबित हुआ. एक-एक कर पार्टी छोड़ने वाले नेताओं से पीएल पुनिया ने बातचीत शुरू की और उन्हें मनाने में भी जुट गए. आखिरकार कई पुराने नेताओं की घरवापसी कराने में सफल रहे. पीएल पुनिया की मान-मनौव्वल से कई नेता जोगी का साथ छोड़कर दोबारा कांग्रेस में आए. खास बात है कि अजित जोगी की जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ पार्टी के किसान संगठन के प्रदेश अध्यक्ष द्वारिका साहू, पूर्व विधायक सुरेंद्र बहादुर सिंह, कोरिया जिला पंचायत अध्यक्ष कलावता, पूर्व विधायक योगिराज सिंह जैसे दिग्गज नेताओं को पुनिया ने मनाकर दोबारा घरवापसी कराई. इससे राहुल गांधी भी प्रभावित रहे. इन नेताओं को 10 अगस्त को राहुल गांधी के सामने पीएल पुनिया ने कांग्रेस की सदस्यता दिलाई थी.
हर प्रत्याशी से सीधे संपर्क में
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के मद्देनजर इसी साल जुलाई में प्रदेश प्रभारी बनाकर भेजे गए पीएल पुनिया ने काफी मेहनत की.करीब चार महीने के बीच पीएल पुनिया ने पहले छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की कमजोरियों और मजबूतियों की सूची बनाई. फिर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ संगठन को मजबूत कर बूथ लेवल तक कांग्रेस की पकड़ बनाने की दिशा में काम किया. कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक पीएल पुनिया ने अपने पूरे प्रशासनिक अनुभव का इस्तेमाल सुस्त पड़े संगठन को क्रियाशील बनाने में किया. हर प्रत्याशी के सीधे संपर्क में रहे. छोटे से लेकर बड़े पदाधिकारियों से हर दिन फीडबैक लेते रहे. जहां कमजोरियां दिखीं, वहां दूर करने में जुटे रहे. यही वजह है कि छत्तीसगढ़ में 15 से भी अधिक वर्षों से काबिज बीजेपी को सत्ता से बाहर कराने में कांग्रेस सफल रही है.
कौन हैं पीएल पुनिया
मूलतः हरियाणा के झज्जर के एक गांव के रहने वाले पीएल पुनिया यूपी काडर के1971 बैच के आईएएस रहे हैं. वर्ष 1971 से 2005 तक करीब 34 साल तक आईएएस रहे. जब मायावती यूपी की मुख्यमंत्री थीं तो पीएल पुनिया उनके भरोसेमंद अफसरों में शुमार थे. हालांकि रिटायरमेंट के बाद पीएल पुनिया कांग्रेस से जुड़े. वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बाराबंकी की फतेहपुर विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा था, मगर हाल मिली. फिर भी कांग्रेस ने दोबारा भरोसा जताते हुए उन्हें 2009 में बाराबंकी सीट से चुनाव मैदान में उतारा तो जीत मिली. वर्ष 2013-16 तक पीएल पुनिया एससी-एसटी आयोग के अध्यक्ष रहे. 2012 में आमिर खान के लोकप्रिय टीवी शॉ सत्यमेव जयते में भी पीएल पुनिया नजर आ चुके हैं. उस दौरान उन्हें शो में देश में दलित जातियों के उत्पीड़न के मुद्दे को उठाया था. 23 जनवरी 1945 को जन्मे हरियाणा के भरत सिंह और दखन देवी के घर जन्मे पीएल पुनिया ने पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ से एमए और लखनऊ विश्वविद्यालय से पीएचडी किए. यूपी में अलीगढ़ सहित कई जिलों के डीएम भी रहे. दिल्ली में मोती बाग इलाके में तो लखनऊ में गोमतीनगर में रहते हैं.
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