पीएम मोदी और वसुंधरा राजे (फाइल फोटो)
जयपुर:
टिकट का बंटवारा राजस्थान में दोनों पार्टियों के लिए चुनाव बना सकता है तो बिगाड़ भी सकता है. ज़मीन पर फ़िलहाल कोई लहर दिखाई नहीं दे रही है और ऐसे चुनावी माहौल में काफी कुछ उन चेहरों पे निर्भर करेगा, जिनको दोनों पार्टियां चुनावी मैदान में उतारेंगी. भाजपा में विचार चल रहा है कि आधे से ज़्यादा यानी 80 विधायकों के टिकट कट सकते हैं. वहीं, दूसरी रणनीति जो चर्चा में है वो यह है कि कई सांसदों को भी विधायकी का चुनाव लड़ाया जा सकता है. दूसरी ओर कांग्रेस की मुश्किल यह है कि ‘मेरा बूथ मेरा गौरव कार्यक्रम' के दौरान बूथ लेवल कार्यकर्ताओं से ज़्यादा उम्मीदवार और टिकटार्थी पैदा हो गए है और टिकट ना मिलने पर ये बागी हो सकते हैं, इसलिए कांग्रेस के लिए भी टिकट बंटवारा एक बड़ी चुनौती है.
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टिकट बंटवारे के निर्णय पर भाजपा का कहना है कि पार्टी कार्यकर्ताओं से सलाह-मशवरे के बाद ही राजस्थान में टिकटों पर कोई निर्णय होगा. इस संबंध में बीजेपी के राजस्थान चुनाव प्रभारी प्रकाश जावड़ेकर का कहना है कि हमने उनसे तीन सवाल पूछे हैं कि सरकारी योजनाओं पर आपका सकारात्मक पक्ष और नकारातमक पक्ष क्या है? आपके क्षेत्र में कांग्रेस का प्रत्याशी कौन है?
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भाजपा की सबसे बड़ी चुनौती है विरोधी लहर और ऐसे में राजस्थान में आधे से ज़्यादा यानी 80 विधायकों के टिकट कट सकते हैं. सीएम वसुंधरा राजे का इस पर कहना है कि चाहे जिसे भी टिकट मिले, चुनाव में हमने प्रेरणा के रूप में चुनाव लड़ने का फैसला किया है. लेकिन एक और रणनीति जो चर्चा में है वो यह है कि मौजूदा सांसदों को कांग्रेस के दिग्गजों के सामने उतारना. ऐसे में रामचरण बोहरा, जो जयपुर से सांसद है, वो जयपुर की विधानसभा सीट सांगानेर से चुनाव लड़ सकते हैं. कर्नल सोनाराम को बाड़मेर लोकसभा के बजाय वहां की विधानसभा सीट बायतू से चुनाव लड़वाया जा सकता है. मंत्री पप चौधरी और गजेंद्र सिंह के साथ साथ ओम बिरला का नाम भी चर्चा में है.
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दूसरी ओर कांग्रेस की सबसे बड़ी मुश्किल है अशोक गेहलोत और सचिन के नेतृत्व को लेकर रस्साकशी. ज़ाहिर है दोनों अपने-अपने समर्थकों को टिकट दिलवाने की कोशिश करेंगे. टिकट बंटवारे को लेकर अशोक गहलोत का कहना है कि यह स्क्रीनिंग कमेटी निर्णय करेगी.
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अब सवाल यह है कि इस खींचतान में कहीं कांग्रेस पार्टी को नुकसान नहीं हो जाये. खासकर ऐसे माहौल में जब पार्टी राजस्थान में काफी मज़बूत नज़र आ रही है.
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भाजपा की सबसे बड़ी चुनौती है विरोधी लहर और ऐसे में राजस्थान में आधे से ज़्यादा यानी 80 विधायकों के टिकट कट सकते हैं. सीएम वसुंधरा राजे का इस पर कहना है कि चाहे जिसे भी टिकट मिले, चुनाव में हमने प्रेरणा के रूप में चुनाव लड़ने का फैसला किया है. लेकिन एक और रणनीति जो चर्चा में है वो यह है कि मौजूदा सांसदों को कांग्रेस के दिग्गजों के सामने उतारना. ऐसे में रामचरण बोहरा, जो जयपुर से सांसद है, वो जयपुर की विधानसभा सीट सांगानेर से चुनाव लड़ सकते हैं. कर्नल सोनाराम को बाड़मेर लोकसभा के बजाय वहां की विधानसभा सीट बायतू से चुनाव लड़वाया जा सकता है. मंत्री पप चौधरी और गजेंद्र सिंह के साथ साथ ओम बिरला का नाम भी चर्चा में है.
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दूसरी ओर कांग्रेस की सबसे बड़ी मुश्किल है अशोक गेहलोत और सचिन के नेतृत्व को लेकर रस्साकशी. ज़ाहिर है दोनों अपने-अपने समर्थकों को टिकट दिलवाने की कोशिश करेंगे. टिकट बंटवारे को लेकर अशोक गहलोत का कहना है कि यह स्क्रीनिंग कमेटी निर्णय करेगी.
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अब सवाल यह है कि इस खींचतान में कहीं कांग्रेस पार्टी को नुकसान नहीं हो जाये. खासकर ऐसे माहौल में जब पार्टी राजस्थान में काफी मज़बूत नज़र आ रही है.
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