राजस्थान और मध्य प्रदेश में कांग्रेस मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री फार्मूला निकाल सकती है.
नई दिल्ली:
राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सबसे बड़ी पार्टी बनने के बाद कांग्रेस के सामने मुख्यमंत्रियों को चुनने की चुनौती है. राजस्थान और मध्य प्रदेश में बुजुर्ग और युवा नेताओं के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान जारी है. मध्य प्रदेश में कमलनाथ (Kamal Nath) और ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के समर्थक अपने नेता को मुख्यमंत्री बनते देखना चाहते हैं, वहीं राजस्थान में अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) और सचिन पायलट( Sachin Pilot) मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार हैं. राज्य में उनके समर्थक अपने नेता के पक्ष में इस कदर माहौल बनाने में जुटे हैं कि वह जहां कहीं भी पार्टी की मीटिंग होती है, वहीं दफ्तर के बाहर नारेबाजी करने में जुट जाते हैं. यहां तक कि राहुल गांधी के दिल्ली वाले आावास पर जब गुरुवार को मीटिंग चली तो बाहर सचिन-सचिन के नारे गूंजते रहे. राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री पद के लिए संभावित उम्मीदवारों में चल रही खींचतान के बीच पत्रकारों ने यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी से भी पूछ लिया 'उन्हें क्या लगता है कि मध्य प्रदेश और राजस्थान में किसे मुख्यमंत्री होना चाहिए?', इस पर उन्होंने कहा कि 'कृपया आप राहुल से पूछें'. जबकि राहुल गांधी का कहना है कि राज्यों में मुख्यमंत्री का नाम पार्टी के विधायकों और नेताओं तथा कार्यकर्ताओं से राय लेने के बाद होगा.
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बीच का रास्ता निकाल सकती है कांग्रेस
कांग्रेस से जुड़े सूत्र बता रहे हैं कि मध्य प्रदेश और राजस्थान में मुख्यमंत्री पद को लेकर पार्टी बीच का रास्ता निकाल सकती है. ताकि सभी धड़े संतुष्ट हों. दरअसल, मध्य प्रदेश में कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया, दोनों ने मेहनत करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी. यही हाल राजस्थान में भी रहा. यहां अशोक गहलोत ने चुनाव के दौरान जहां अपने अनुभव से पार्टी को लाभ दिलाया तो सचिन पायलट ने अपने युवा जोश से युवाओं और पूरी पार्टी में गतिशीलता का संचार किया. नतीजा अनुभवी और युवा नेताओं की जोड़ी ने राजस्थान और मध्य प्रदेश को कांग्रेस की झोली में डालने का काम किया. अब चारों नेता अपने सूबे में मेहनत का पार्टी से प्रतिफल भी चाहते हैं. मुख्यमंत्री हर कोई बनना चाहता है. वजह कि किसी से भी पत्रकार सवाल करते हैं तो वह अपनी दावेदारी खारिज करते नहीं आते, सिर्फ यही कहते हैं पार्टी फैसला करेगी.
मेहनत के बाद फल चाहते हैं चारों नेता
कांग्रेस के कुछ नेता कहते हैं कि विधानसभा चुनाव में चारों नेताओं की मेहनत को देखते हुए पार्टी किसी एक को नजरअंदाज नहीं कर सकती है. सबको साधना ही एकमात्र विकल्प दिख रहा है. पार्टी सूत्र बताते हैं कि अब कांग्रेस बीच का रास्ता निकाल सकती है. मध्य प्रदेश में अनुभव को देखते हुए जहां कमलनाथ, वहीं राजस्थान में अशोक गहलौत को मुख्यमंत्री बना सकती है, जबकि युवा जोश के प्रतीक ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट को संबंधित राज्यों में उपमुख्यमंत्री बनाने का फैसला हो सकता है.
अगर सिंधिया और पायलट इस फैसले से संतुष्ट नहीं होंगे तो पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी उन्हें यह कहकर मना सकते हैं कि पांच साल तक वे राज्य में बतौर डिप्टी सीएम काम का अनुभव लें और बाद में उन्हीं के हाथ में पार्टी पूरे सूबे का कमान देगी. क्योंकि तब तक कमलनाथ और गहलौत अपने जीवन की राजनीतिक पारी लगभग पूरी कर चुके होंगे. जिसके बाद पार्टी को युवा नेतृत्व की जरूरत होगी. पार्टी सूत्र बताते हैं कि मध्य प्रदेश में कमलनाथ ने चुनाव के दौरान ही राहुल गांधी से एक निजी बातचीत में कहा था- वह पूरी ताकत लगा देंगे पार्टी के लिए, बस एस अनुरोध है- अगर सरकार बने तो उन्हें मौका मिले, क्योंकि सिंधिया अभी युवा हैं, लंबी पारी खेल सकते हैं, मगर उनके लिए यह आखिरी मौका हो सकता है...
वीडियो- कमलनाथ होंगे सीएम और सिंधिया डिप्टी सीएमः सूत्र
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विधानसभा चुनाव परिणाम 2018 : मध्य प्रदेश
बीच का रास्ता निकाल सकती है कांग्रेस
कांग्रेस से जुड़े सूत्र बता रहे हैं कि मध्य प्रदेश और राजस्थान में मुख्यमंत्री पद को लेकर पार्टी बीच का रास्ता निकाल सकती है. ताकि सभी धड़े संतुष्ट हों. दरअसल, मध्य प्रदेश में कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया, दोनों ने मेहनत करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी. यही हाल राजस्थान में भी रहा. यहां अशोक गहलोत ने चुनाव के दौरान जहां अपने अनुभव से पार्टी को लाभ दिलाया तो सचिन पायलट ने अपने युवा जोश से युवाओं और पूरी पार्टी में गतिशीलता का संचार किया. नतीजा अनुभवी और युवा नेताओं की जोड़ी ने राजस्थान और मध्य प्रदेश को कांग्रेस की झोली में डालने का काम किया. अब चारों नेता अपने सूबे में मेहनत का पार्टी से प्रतिफल भी चाहते हैं. मुख्यमंत्री हर कोई बनना चाहता है. वजह कि किसी से भी पत्रकार सवाल करते हैं तो वह अपनी दावेदारी खारिज करते नहीं आते, सिर्फ यही कहते हैं पार्टी फैसला करेगी.
विधानसभा चुनाव परिणाम 2018 : राजस्थान
मेहनत के बाद फल चाहते हैं चारों नेता
कांग्रेस के कुछ नेता कहते हैं कि विधानसभा चुनाव में चारों नेताओं की मेहनत को देखते हुए पार्टी किसी एक को नजरअंदाज नहीं कर सकती है. सबको साधना ही एकमात्र विकल्प दिख रहा है. पार्टी सूत्र बताते हैं कि अब कांग्रेस बीच का रास्ता निकाल सकती है. मध्य प्रदेश में अनुभव को देखते हुए जहां कमलनाथ, वहीं राजस्थान में अशोक गहलौत को मुख्यमंत्री बना सकती है, जबकि युवा जोश के प्रतीक ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट को संबंधित राज्यों में उपमुख्यमंत्री बनाने का फैसला हो सकता है.
अगर सिंधिया और पायलट इस फैसले से संतुष्ट नहीं होंगे तो पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी उन्हें यह कहकर मना सकते हैं कि पांच साल तक वे राज्य में बतौर डिप्टी सीएम काम का अनुभव लें और बाद में उन्हीं के हाथ में पार्टी पूरे सूबे का कमान देगी. क्योंकि तब तक कमलनाथ और गहलौत अपने जीवन की राजनीतिक पारी लगभग पूरी कर चुके होंगे. जिसके बाद पार्टी को युवा नेतृत्व की जरूरत होगी. पार्टी सूत्र बताते हैं कि मध्य प्रदेश में कमलनाथ ने चुनाव के दौरान ही राहुल गांधी से एक निजी बातचीत में कहा था- वह पूरी ताकत लगा देंगे पार्टी के लिए, बस एस अनुरोध है- अगर सरकार बने तो उन्हें मौका मिले, क्योंकि सिंधिया अभी युवा हैं, लंबी पारी खेल सकते हैं, मगर उनके लिए यह आखिरी मौका हो सकता है...
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