मणिपुर विधानसभा चुनाव : सीएम इबोबी सिंह से बुरी तरह से हारीं 'आयरन लेडी' इरोम शर्मिला
नई दिल्ली:
मणिपुर विधानसभा चुनाव 2017 के चुनावी नतीजे आने शुरू हो गए हैं. पहला नतीजा टेलीविजन के पटल पर जो कौंधा वह निश्चित तौर पर चौंकाऊ था. राज्य के मुख्यमंत्री इबोबी सिंह के खिलाफ चुनावी समर में कूदीं 'आयरन लेडी' इरोम शर्मिला थौबल (थउबल) सीट से हार गईं. खबर लिखे जाने तक मिली सूचना के मुताबिक, उन्हें महज 51 वोट मिले. वह पहली बार चुनाव लड़ी थीं.
मणिपुर की आयरन लेडी PRAJA (Peoples' Resurgence and Justice Alliance) पार्टी प्रमुख इरोम शर्मिला ने चुनावी मतगणना से पहले ही कह दिया था कि यदि वह इन चुनावों में हारती हैं, तो वह अगली बार 2019 में फिर से चुनाव लड़ेंगी. यहां बता दें कि शर्मिला को अपने डेढ़ दशक से भी अधिक चले अनशन को खत्म करने के लिए अपने राज्य में आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. चेहरे पर घुंघराले बालों और नाक में घुसी नली के साथ उन्होंने मणिपुर के लोगों की मांग को अपने जीवन का उद्देश्य बना दिया था. ऐसे में उनका इतने कम वोटों पर सिमट आना चौंकाता है.
इरोम शर्मिला सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (एएफएसपीए- अफस्पा) के खिलाफ 16 वर्ष तक भूख हड़ताल पर रहीं थी. इस लंबे संघर्ष के बाद उन्होंने अगस्त 2016 में अपनी भूख हड़ताल खत्म की थी. अक्टूबर, 2016 में उन्होंने पीपल्स रीसर्जेंस एंड जस्टिस एलांयस (पीआरजेए) का गठन किया और मार्च में होने वाले विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया था जिसका एक मात्र एजेंडा मणिपुर से अफस्पा को हटाना है.
इरोम शर्मिला ने पिछले दिनों कहा था कि अनशन खत्म होने के कुछ दिन बाद बीजेपी ने उनसे संपर्क किया था. पार्टी ने मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह के खिलाफ उन्हें टिकट देने की पेशकश भी की थी लेकिन वह निर्दलीय चुनाव लड़ना चाहती थीं.
मणिपुर की आयरन लेडी PRAJA (Peoples' Resurgence and Justice Alliance) पार्टी प्रमुख इरोम शर्मिला ने चुनावी मतगणना से पहले ही कह दिया था कि यदि वह इन चुनावों में हारती हैं, तो वह अगली बार 2019 में फिर से चुनाव लड़ेंगी. यहां बता दें कि शर्मिला को अपने डेढ़ दशक से भी अधिक चले अनशन को खत्म करने के लिए अपने राज्य में आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. चेहरे पर घुंघराले बालों और नाक में घुसी नली के साथ उन्होंने मणिपुर के लोगों की मांग को अपने जीवन का उद्देश्य बना दिया था. ऐसे में उनका इतने कम वोटों पर सिमट आना चौंकाता है.
इरोम शर्मिला सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (एएफएसपीए- अफस्पा) के खिलाफ 16 वर्ष तक भूख हड़ताल पर रहीं थी. इस लंबे संघर्ष के बाद उन्होंने अगस्त 2016 में अपनी भूख हड़ताल खत्म की थी. अक्टूबर, 2016 में उन्होंने पीपल्स रीसर्जेंस एंड जस्टिस एलांयस (पीआरजेए) का गठन किया और मार्च में होने वाले विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया था जिसका एक मात्र एजेंडा मणिपुर से अफस्पा को हटाना है.
इरोम शर्मिला ने पिछले दिनों कहा था कि अनशन खत्म होने के कुछ दिन बाद बीजेपी ने उनसे संपर्क किया था. पार्टी ने मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह के खिलाफ उन्हें टिकट देने की पेशकश भी की थी लेकिन वह निर्दलीय चुनाव लड़ना चाहती थीं.
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