प्रतीकात्मक चित्र
एर्नाकुलम:
कानून की पढ़ाई कर रही एक गरीब छात्रा की एर्नाकुलम में पिछले हफ्ते हुई नृशंस हत्या के बाद राज्य की राजनीति गर्मा गई है। मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने जहां जांच का वादा किया है, वहीं विपक्ष ने सरकार पर 'अक्षमता' का आरोप लगाया है। एर्नाकुलम के पेरमबावूर के एक नहर के पास 27 वर्षीय महिला जिशा की लाश मिली थी, जिसकी मां एक दिहाड़ी मजदूर है।
पुलिस का बयान
पुलिस के मुताबिक, उसके साथ काफी बर्बरता की गई है। उसका शरीर बुरी तरह क्षत-विक्षत हो गया था और उसके निजी अंगों पर भी चोट के निशान थे। पुलिस महिला की फोरेंसिक जांच की रपट आने का इंतजार कर रही है, ताकि यह पता लग सके कि क्या महिला के साथ बलात्कार हुआ था या नहीं।
दिल्ली के 'निर्भया' हत्याकांड की याद ताजा कर दी
इस जघन्य हत्याकांड ने दिल्ली के 'निर्भया' हत्याकांड की याद ताजा कर दी है, जिसके साथ 16, दिसबंर 2012 को चलती बस में सामूहिक बलात्कार हुआ था और बाद में उसने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था। इसी तरह से जिशा की आंते भी उसके शरीर से बाहर निकली हुई थीं।
उच्चस्तरीय समिति करेगी जांच
इस घटना के बाद राजनीतिक बवंडर की आशंका को भांपते हुए सरकार ने हत्याकांड की जांच की जिम्मेदारी एक उच्चस्तरीय समिति को सौंप दी है। कोच्चि रेंज के महानिरीक्षक महिपाल यादव के नेतृत्व में इस समिति का गठन किया गया है। मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने मंगलवार को बताया, "हमने बहुत ही वरिष्ठ स्तर के अधिकारी को इसकी जांच सौंपी है और अपराधियों को सजा दिलाने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखी जाएगी।"
चांडी ने कहा कि राज्य के गृहमंत्री रमेश चेन्निथला इस जांच पर नजर रखेंगे। महिला कार्यकर्ताओं और विपक्षी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी का कहना है कि इस मामले पर अब तक जिस तरीके से काम किया गया है, वह सरकार की निष्क्रियता को दर्शाता है।
माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य पिनरई विजयन का कहना है, "राज्य में महिलाएं अपने घरों में भी सुरक्षित नहीं है। पुलिस को अपना काम नहीं करने दिया जा रहा, वहीं राज्य सरकार भी कुछ नहीं कर रही।" राज्य की राजधानी में इस हत्याकांड की जांच की मांग को लेकर महिला पत्रकारों ने जुलूस निकाला।
वकील और महिला अधिकार कार्यकर्ता जीना कुमारी ने कहा, "पुलिस मामले की छानबीन काफी सुस्ती से कर रही है और इस मामले में न्यायमूर्ति वर्मा आयोग की अनुशंसाओं की भी अनदेखी की जा रही है। घटना को पांच दिन बीत चुके हैं और अभी तक कुछ भी सामने नहीं आया है।"
माकपा की छात्र शाखा ने भी मामले की ढुलमुल जांच को लेकर पुलिस थाने तक मार्च निकाला और त्वरित कार्रवाई की मांग की। पीड़िता की मां ने कहा, "हमारे पड़ोसियों तक ने इस घटना के बाद हमारी मदद नहीं की। हम चाहते हैं कि कानून हमारी मदद करे और दोषियों को सजा दिलवाए।"
जिशा की बहन दीपा का कहना है कि उनके पड़ोसियों का रवैया उनके प्रति ठीक नहीं है और वे उन्हें इस जगह से हटाना चाहते हैं। दीपा ने कहा, "जब मेरी बहन से बर्बरता की जा रही थी तो कोई भी बचाने नहीं आया।"
राज्य में 16 मई को विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और माकपानीत विपक्षी गठबंधन चांडी सरकार को सत्ता से हटाने के लिए इस मामले को चुनावी मुद्दा बनाने में कोई कोरकसर बाकी नहीं रखेगा।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
पुलिस का बयान
पुलिस के मुताबिक, उसके साथ काफी बर्बरता की गई है। उसका शरीर बुरी तरह क्षत-विक्षत हो गया था और उसके निजी अंगों पर भी चोट के निशान थे। पुलिस महिला की फोरेंसिक जांच की रपट आने का इंतजार कर रही है, ताकि यह पता लग सके कि क्या महिला के साथ बलात्कार हुआ था या नहीं।
दिल्ली के 'निर्भया' हत्याकांड की याद ताजा कर दी
इस जघन्य हत्याकांड ने दिल्ली के 'निर्भया' हत्याकांड की याद ताजा कर दी है, जिसके साथ 16, दिसबंर 2012 को चलती बस में सामूहिक बलात्कार हुआ था और बाद में उसने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था। इसी तरह से जिशा की आंते भी उसके शरीर से बाहर निकली हुई थीं।
उच्चस्तरीय समिति करेगी जांच
इस घटना के बाद राजनीतिक बवंडर की आशंका को भांपते हुए सरकार ने हत्याकांड की जांच की जिम्मेदारी एक उच्चस्तरीय समिति को सौंप दी है। कोच्चि रेंज के महानिरीक्षक महिपाल यादव के नेतृत्व में इस समिति का गठन किया गया है। मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने मंगलवार को बताया, "हमने बहुत ही वरिष्ठ स्तर के अधिकारी को इसकी जांच सौंपी है और अपराधियों को सजा दिलाने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखी जाएगी।"
चांडी ने कहा कि राज्य के गृहमंत्री रमेश चेन्निथला इस जांच पर नजर रखेंगे। महिला कार्यकर्ताओं और विपक्षी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी का कहना है कि इस मामले पर अब तक जिस तरीके से काम किया गया है, वह सरकार की निष्क्रियता को दर्शाता है।
माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य पिनरई विजयन का कहना है, "राज्य में महिलाएं अपने घरों में भी सुरक्षित नहीं है। पुलिस को अपना काम नहीं करने दिया जा रहा, वहीं राज्य सरकार भी कुछ नहीं कर रही।" राज्य की राजधानी में इस हत्याकांड की जांच की मांग को लेकर महिला पत्रकारों ने जुलूस निकाला।
वकील और महिला अधिकार कार्यकर्ता जीना कुमारी ने कहा, "पुलिस मामले की छानबीन काफी सुस्ती से कर रही है और इस मामले में न्यायमूर्ति वर्मा आयोग की अनुशंसाओं की भी अनदेखी की जा रही है। घटना को पांच दिन बीत चुके हैं और अभी तक कुछ भी सामने नहीं आया है।"
माकपा की छात्र शाखा ने भी मामले की ढुलमुल जांच को लेकर पुलिस थाने तक मार्च निकाला और त्वरित कार्रवाई की मांग की। पीड़िता की मां ने कहा, "हमारे पड़ोसियों तक ने इस घटना के बाद हमारी मदद नहीं की। हम चाहते हैं कि कानून हमारी मदद करे और दोषियों को सजा दिलवाए।"
जिशा की बहन दीपा का कहना है कि उनके पड़ोसियों का रवैया उनके प्रति ठीक नहीं है और वे उन्हें इस जगह से हटाना चाहते हैं। दीपा ने कहा, "जब मेरी बहन से बर्बरता की जा रही थी तो कोई भी बचाने नहीं आया।"
राज्य में 16 मई को विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और माकपानीत विपक्षी गठबंधन चांडी सरकार को सत्ता से हटाने के लिए इस मामले को चुनावी मुद्दा बनाने में कोई कोरकसर बाकी नहीं रखेगा।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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