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This Article is From Jan 21, 2015

परिमल कुमार की नजर से : टक्कर में थे फिर भी टिकट कटे

Parimal Kumar, Rajeev Mishra
  • Assembly Polls 2015,
  • Updated:
    जनवरी 22, 2015 17:27 pm IST
    • Published On जनवरी 21, 2015 18:25 pm IST
    • Last Updated On जनवरी 22, 2015 17:27 pm IST

बीजेपी के बहुत सारे नेता इस बात से दुखी हैं कि कई ऐसे लोगों के टिकट काट दिए गए, जो बहुत कम वोटों से हारे, लेकिन दूसरी तरफ निगम चुनाव हारने वालों को भी टिकट दे दिया गया।

मालवीयनगर से बीजेपी की उम्मीदवार डॉ नंदिनी शर्मा पिछली बार निगम चुनाव हार गईं, लेकिन पार्टी अब उनसे विधानसभा चुनाव जीतने की उम्मीद कर रही है। नंदिनी कहती हैं कि 23 साल का अनुभव है। समाज सेवा किया है। पहले लोगों को होमियोपैथ की मीठी गोलियां दिया करती थी। अब सुशासन की दवाई दूंगी।  

दूसरी तरफ़ ऐसे कई नेताओं के टिकट कट गए हैं जो पिछला चुनाव बहुत कम वोट से हारे। सदर सीट से जय प्रकाश महज 800 वोट से हारे थे। इस बार टिकट नहीं मिला। विकासपुरी से किशन गहलोत करीब 350 वोट से ही चूके थे। बावजूद इसके पार्टी ने दांव नहीं लगाया। मादीपुर से कैलाश सांकला करीब 1100 वोट से रह गए थे। इस बार लिस्ट से बाहर हैं। रोहिणी से चार बार जीत दर्ज करने वाले जय भगवान अग्रवाल करीब 1800 वोट से पिछली बार चुनाव नहीं जीत पाए और इस बार पार्टी का दिल।

वहीं, चांदनी चौक से पिछली बार करीब 8000 वोटों से हारने वाले सुमन गुप्ता को पार्टी ने इस बार भी मौका दिया है। इतना ही नहीं नई दिल्ली सीट से पिछली बार करीब 25000 वोटों से चुनाव हारने वाले विजेंद्र गुप्ता इस बार रोहिणी सीट से चुनावी मैदान में हैं।

जाहिर है, बीजेपी जिस अंदरूनी लोकतंत्र का दावा करती है, वो टिकट के बंटवारे में कहीं ऊपरी दबाव से संचालित दिख रहा है।

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