अरविंद ने समझा दिया, 'दिल्ली में केजरीवाल, देश में मोदी...'

नई दिल्ली:

आम आदमी पार्टी को दिल्ली विधानसभा चुनाव जीतने के लिए ज़रूरी था कि वह पिछले विधानसभा चुनाव की तरह इस बार भी उस विचार को लोगों के दिल में बिठा दे, जिसमें लोग दिल्ली में अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री देखना चाहते थे, और देश में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री।

बीजेपी लोकसभा चुनाव के बाद से ही नरेंद्र मोदी के चेहरे को आगे रखकर हर चुनाव लड़ रही थी और ऐसा करके वह चार राज्यों के विधानसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन भी कर चुकी थी। इधर, दिल्ली में आम आदमी पार्टी मोदी से भिड़ना नहीं चाहती थी, इसलिए वह कहती रही कि हमारे सीएम कैंडिडेट अरविंद केजरीवाल हैं और बीजेपी अपने सीएम कैंडिडेट का नाम बताए। जब भी बीजेपी यहां मोदी का चेहरा आगे रखती, आम आदमी पार्टी कह देती थी, "मोदी तो पीएम बन चुके हैं, सीएम तो नहीं बनेंगे न दिल्ली के..."

आम आदमी पार्टी अच्छी तरह समझती थी कि दिल्ली में केजरीवाल की टक्कर का नेता बीजेपी के पास नहीं है, और अपने प्रचार में वह लोगों को यह समझाने में कामयाब हो गई कि इस बार सीएम चुनना है, पीएम नहीं।

मैं एक चाय की दुकान पर गया और वहां पूछा, "भाई, किसको जिता रहे हो...?" जवाब आया, ''केजरीवाल...'' मैंने पूछा, "क्यों... मोदी जी से क्या नाराज़गी है...?" वह बोला, ''लोकसभा के लिए उन्हें वोट दिया था... लेकिन विधानसभा के लिए मैं केजरीवाल को वोट दूंगा... आखिर मोदी को रोकने के लिए भी तो कोई चाहिए, वर्ना एक ही आदमी के पास सारी ताकत आ गई तो यह भी बेलगाम हो जाएंगे...''

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सो, अब अगर एक चायवाला भी दिल्ली में यह सोच रहा था तो साफ हो गया था कि इस बार दिल्ली में मोदी के नाम से काम नहीं चलेगा, और सीएम कैंडिडेट लाना ही पड़ेगा... केजरीवाल ने ऐसे हालात पैदा कर दिए कि बीजेपी को मजबूरी में किरण बेदी को सीएम कैंडिडेट बनाकर लाना पड़ा, लेकिन यह दांव उल्टा पड़ गया लगता है।