लखनऊ:
विधानसभा चुनाव परिणामों में अपनी पार्टी की करारी हार के बाद बुधवार को उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने राज्यपाल से विधानसभा को भंग करने की सिफारिश करते हुए इस्तीफा सौंप दिया। इस्तीफा देने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में मायावती ने कहा कि विधानसभा नतीजे हमारी उम्मीद के मुताबिक नहीं रहे, इसलिए हम जा रहे हैं। हालांकि उन्होंने प्रदेश के अब गलत हाथों में जाने की बात कहते हुए दावा किया कि अब सरकार ऐसे हाथों में आ गई है, जो हमारी विकास योजनाओं को ठंडे बस्ते में डालकर एक बार फिर यूपी को कई साल पीछे ले जाएंगे। उन्होंने कहा कि जल्द ही प्रदेश की जनता सपा की कार्यशैली से वाकिफ हो जाएगी और हमारे सुशासन को जरूर याद करेगी।
माया ने कहा कि यूपी की कमान बहुत खराब स्थिति में मेरे हाथ में आई थी, और मेरी सरकार ने कानून और व्यवस्था की स्थिति को सुधारने के लिए दिन-रात अथक परिश्रम किया, जिसके फलस्वरूप हम किसानों, महिलाओं और विद्यार्थियों के लिए बेहतर हालात मुहैया करा पाए। उन्होंने दावा किया कि इन पांच सालों में केन्द्र का रवैया भी हमारे प्रति नकारात्मक रहा, लेकिन हमने केन्द्र के सहयोग के बिना राज्य में कई बड़े और महत्वपूर्ण काम किए, जिनमें सबसे प्रमुख था बिजली की स्थिति में सुधार।
माया ने कहा कि उनकी सरकार अपने शासनकाल में सभी जातियों और धर्मों के लोगों को साथ लेकर चली। उन्होंने राज्य के दलित समाज का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि उनकी पार्टी 16वीं विधानसभा के लिए मंगलवार को घोषित परिणामों में दूसरे नंबर पर रही है, जिसका श्रेय सिर्फ दलित वोटों को है। उनका कहना था कि यदि दलितों ने उनका साथ छोड़ दिया होता, तो उनकी पार्टी की स्थिति इससे भी ज़्य़ादा खराब होती।
मायावती ने अपनी पार्टी की हार का ठीकरा कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सिर पर फोड़ा और कहा, कांग्रेस ने अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए पिछड़े मुस्लिमों को सब-कोटा देने की बात कहकर साम्प्रदायिक कार्ड खेला, और भाजपा ने सवर्णों का वोट बचाए रखने के लिए उसका विरोध किया। माया का कहना था कि इन दोनों राष्ट्रीय दलों की वजह से मुस्लिमों में यह डर व्याप्त हो गया कि भाजपा सत्ता में लौट सकती है, और विकल्प के रूप में कांग्रेस को कमज़ोर पाने की वजह से उनमें से (मुस्लिमों में से) लगभग 70 प्रतिशत ने इसी कारण समाजवादी पार्टी का साथ दिया।
इससे पहले मायावती ने राजभवन पहुंचकर राज्यपाल बीएल जोशी को अपना इस्तीफा सौंपा। मायावती उस समय मीडिया से बचते हुए करीब 11 बजे राजभवन के पिछले द्वार से परिसर में दाखिल हुई थीं। गौरतलब है कि वर्ष 2007 में हुए विधानसभा चुनाव में 206 सीटों के साथ बहुमत की सरकार बनाने वाली बसपा को 16वीं विधानसभा चुनाव के मंगलवार को घोषित नतीजों में करारी शिकस्त मिली, और महज 80 सीटें हासिल हुईं। ऐसी अटकलें थीं कि मायावती मंगलवार को ही अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप देंगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
माया ने कहा कि यूपी की कमान बहुत खराब स्थिति में मेरे हाथ में आई थी, और मेरी सरकार ने कानून और व्यवस्था की स्थिति को सुधारने के लिए दिन-रात अथक परिश्रम किया, जिसके फलस्वरूप हम किसानों, महिलाओं और विद्यार्थियों के लिए बेहतर हालात मुहैया करा पाए। उन्होंने दावा किया कि इन पांच सालों में केन्द्र का रवैया भी हमारे प्रति नकारात्मक रहा, लेकिन हमने केन्द्र के सहयोग के बिना राज्य में कई बड़े और महत्वपूर्ण काम किए, जिनमें सबसे प्रमुख था बिजली की स्थिति में सुधार।
माया ने कहा कि उनकी सरकार अपने शासनकाल में सभी जातियों और धर्मों के लोगों को साथ लेकर चली। उन्होंने राज्य के दलित समाज का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि उनकी पार्टी 16वीं विधानसभा के लिए मंगलवार को घोषित परिणामों में दूसरे नंबर पर रही है, जिसका श्रेय सिर्फ दलित वोटों को है। उनका कहना था कि यदि दलितों ने उनका साथ छोड़ दिया होता, तो उनकी पार्टी की स्थिति इससे भी ज़्य़ादा खराब होती।
मायावती ने अपनी पार्टी की हार का ठीकरा कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सिर पर फोड़ा और कहा, कांग्रेस ने अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए पिछड़े मुस्लिमों को सब-कोटा देने की बात कहकर साम्प्रदायिक कार्ड खेला, और भाजपा ने सवर्णों का वोट बचाए रखने के लिए उसका विरोध किया। माया का कहना था कि इन दोनों राष्ट्रीय दलों की वजह से मुस्लिमों में यह डर व्याप्त हो गया कि भाजपा सत्ता में लौट सकती है, और विकल्प के रूप में कांग्रेस को कमज़ोर पाने की वजह से उनमें से (मुस्लिमों में से) लगभग 70 प्रतिशत ने इसी कारण समाजवादी पार्टी का साथ दिया।
इससे पहले मायावती ने राजभवन पहुंचकर राज्यपाल बीएल जोशी को अपना इस्तीफा सौंपा। मायावती उस समय मीडिया से बचते हुए करीब 11 बजे राजभवन के पिछले द्वार से परिसर में दाखिल हुई थीं। गौरतलब है कि वर्ष 2007 में हुए विधानसभा चुनाव में 206 सीटों के साथ बहुमत की सरकार बनाने वाली बसपा को 16वीं विधानसभा चुनाव के मंगलवार को घोषित नतीजों में करारी शिकस्त मिली, और महज 80 सीटें हासिल हुईं। ऐसी अटकलें थीं कि मायावती मंगलवार को ही अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप देंगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
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