नई दिल्ली:
लखनऊ की एक चुनावी रैली में कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी के जिस कागज फाड़ने को लेकर हंगामा मच रहा है वह समाजवादी पार्टी का पर्चा नहीं था। राहुल गांधी ने बुधवार को लखनऊ की एक रैली में मंच से विरोधी दलों के वादों पर तीखे हमले करते वक्त एक कागज फाड़ा था।
खबर चल गई कि यह समाजवादी पार्टी का पर्चा है और इसके राजनीतिक मायने निकाले जाने लगे लेकिन राहुल गांधी ने जो पर्चा फाड़ा वह ना तो समाजवादी पार्टी का घोषणा पत्र है ना ही पैंफलेट और ना ही वादों की लिस्ट। पहले कहा गया कि यह समाजवादी पार्टी का घोषणा पत्र है फिर प्रियंका ने सफाई दी कि वादों की लिस्ट थी लेकिन कैमरे की नजर से हकीकत साफ हो गई।
अक्षर पढ़े तो नहीं जा सकते लेकिन इतना साफ है कि यह नामों की लिस्ट लगती है। हो सकता है उम्मीदवारों के नाम हों जो दिख रहा है वह लिखावट है छपाई नहीं लेकिन मंच पर मौजूद राहुल ने यह काम इतने सधे अंदाज में अंजाम दिया कि सबको यही लगा जो कह रहे हैं वही कर रहे हैं। पर राहुल का स्टंट कैमरे को धोखा नहीं दे सका। वैसे, इतना तय है कि राहुल की मंशा जनता को यही संदेश देने की थी कि वह समाजवादी के वादों को खारिज करते हैं।
खबर चल गई कि यह समाजवादी पार्टी का पर्चा है और इसके राजनीतिक मायने निकाले जाने लगे लेकिन राहुल गांधी ने जो पर्चा फाड़ा वह ना तो समाजवादी पार्टी का घोषणा पत्र है ना ही पैंफलेट और ना ही वादों की लिस्ट। पहले कहा गया कि यह समाजवादी पार्टी का घोषणा पत्र है फिर प्रियंका ने सफाई दी कि वादों की लिस्ट थी लेकिन कैमरे की नजर से हकीकत साफ हो गई।
अक्षर पढ़े तो नहीं जा सकते लेकिन इतना साफ है कि यह नामों की लिस्ट लगती है। हो सकता है उम्मीदवारों के नाम हों जो दिख रहा है वह लिखावट है छपाई नहीं लेकिन मंच पर मौजूद राहुल ने यह काम इतने सधे अंदाज में अंजाम दिया कि सबको यही लगा जो कह रहे हैं वही कर रहे हैं। पर राहुल का स्टंट कैमरे को धोखा नहीं दे सका। वैसे, इतना तय है कि राहुल की मंशा जनता को यही संदेश देने की थी कि वह समाजवादी के वादों को खारिज करते हैं।
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