बीजेपी नेता विजय गोयल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह बताने की कोशिश की कि वह मुख्यमंत्री बनने की हसरत नहीं रखते और बीजेपी में इस मुद्दे पर कोई टकराव नहीं है लेकिन गोयल की हाल की सियासी हड़बड़ी ने सिर्फ यही साबित किया है कि पार्टी बंटी हुई है जिसका फायदा कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को मिलेगा।
इससे पहले, भारतीय जनता पार्टी की दिल्ली इकाई में टकराव की बात से नाराज प्रदेश अध्यक्ष विजय गोयल ने पूरी तरह से खारिज कर दिया है। गोयल ने कहा कि सीएम पद का फैसला पार्टी के संसदीय बोर्ड को करना है और वह जो भी फैसला लेगी उन्हें स्वीकार होगा।
गोयल ने छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों पर फैसले के लिए पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक से महज कुछ मिनट पहले भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी, पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह से भेंट की थी।
समझा जाता है कि दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने शीर्ष नेताओं से कहा कि हर्षवर्धन को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश करने के किसी भी कदम से जमीनी स्तर पर पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरेगा।
गोयल ने कथित रूप से यह कहते हुए पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के लिए अपनी दावेदारी रखी कि उन्होंने पिछले आठ महीनों में दिल्ली में पार्टी को मजबूत करने के लिए कठिन मेहनत की है।
भेंट के बाद वह जल्दबाजी में वहां से चले गए और उन्होंने मीडियाकर्मियों के सवालों को कोई जवाब नहीं दिया था।
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