अखबार बांटे, बीयर बार में किया काम... संघर्ष कर ऐसे जीते भारत के लिए मेडल, पढ़ें पूरी कहानी

ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे (Humans Of Bombay) ने अपने फेसबुक पेज (Facebook Page) से भारतीय आइस स्केटिंग (Indian ice skating Player) खिलाड़ी विश्वराज जडेजा (Vishwaraj Jadega) के संघर्ष की पूरी कहानी सोशल मीडिया (Social Media) पर शेयर की है.

अखबार बांटे, बीयर बार में किया काम... संघर्ष कर ऐसे जीते भारत के लिए मेडल, पढ़ें पूरी कहानी

5 साल की उम्र में ही ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधत्व करने का देखा था सपना

ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे (Humans Of Bombay) ने अपने फेसबुक पेज (Facebook Page) से भारतीय आइस स्केटिंग (Indian ice skating Player) खिलाड़ी विश्वराज जडेजा (Vishwaraj Jadega) के संघर्ष की पूरी कहानी शेयर की है. आपको बता दें कि विश्वराज जडेजा पहले ऐसे भारतीय खिलाड़ी है जिन्होंने आइस स्केटिंग के नक्शे में भारतीय को रखा. 34 साल के विश्वराज जडेजा विंटर वर्ल्ड मास्टर्स गेम्स में वह पहले भारतीय है, जिन्होंने चार पदक जीते. विश्वराज जडेजा ने हाल ही में अपनी जीत की पूरी कहानी ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे के साथ शेयर की है. 

विश्वराज जडेजा ने ह्यूमन ऑफ बॉम्बे से खास बातचीत में बताया कि मेरे माता- पिता चाहते थे कि मैं पढ़ाई लिखाई करके कोई नॉर्मल सी सरकारी नौकरी में लग जाउं क्योंकि उनका मानना था कि एथलीटों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. मैंने शुरु में ही अपने परिवार को साफ तौर से स्पष्ट से कर दिया था कि मैं एथलीट बनूंगा और मेरी जिंदगी असुविधाजनक हो सकती है. जब मैं बच्चा था तब मैं हर दिन कम से कम 6 घंटे तक ज्यादा खेलता था. विश्वराज आगे कहते हैं कि मैं सिर्फ 5 साल का था जब मैंने ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधत्व करने का सपना देखा था. 

जब मैं सिर्फ 23 साल का था तो मैं अपनी फैमिली के मर्जी के खिलाफ डेनमार्क चला आया. मेरी फैमिली ने कहा भूलना मत हमने घर का एक-एक फर्नीचर बनाने के लिए काफी संघर्ष किया है. इतना सब कहने के बावजूद भी उन्होंने मुझे डेनमार्क का टिकट खरीदकर दिया और स्टूडेंट लोन उठाकर मुझे डेनमार्क भेजा.

स्कैंडिनेवियाई देश में अपने खर्चों को कवर करने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा. उन्होंने प्रैक्टिस के साथ-साथ अखबार बांटे, बेबीसेट किया और बीयर बार में काम किया. उन्होंने कहा, 'ज्यादातर दिन, मैं दिन में सिर्फ चार घंटे ही सो पाता था.'

उस वक्त मेरी किस्मत भी मेरा साथ नहीं दिया. जब पहली बार मैंने भाग लिया तो खेल आइस स्केटर नहीं बल्कि रोलर स्केटर था. लेकिन इसी गेम के दौरान मेरे साथ ऐसा कुछ हुआ जिसकी कल्पना शायद ही मैं कर सकता था. इस खेल में भाग लेने के बाद एक आर्टिकल छपा कि एक इंडियन सिर्फ इस गेम के लिए भारत से दूसरे देश आया है. फिर मुझे वहां एक कोच मिले जिन्होंने मुझे फ्री में आइस स्केटिंग की क्लास देने के लिए हामी भर दी. और उन्होंने कहा कि जब तुम इस खेल के लिए अपने देश छोड़कर आ सकते हो तो तुम्हारा जुनून काफी है यह खेल सीखने के लिए. मैंने अपनी यूनिवर्सिटी की पढ़ाई को बीच में छोड़कर ही हॉलैंड पहुंच गया जिसे आइस स्केटिंग का 'मक्का' कहा जाता है. 

8 साल के कठिन परिश्रम के बाद मैंने कई चैम्पियनशिप अपने नाम किये. सिर्फ इतना ही नहीं विश्वराज जडेजा जनवरी में ऑस्ट्रिया में आयोजित विंटर वर्ल्ड मास्टर्स आइस स्केटिंग खेलों में चार पदक जीतने वाले पहले भारतीय भी बने. 

मेरी फैमिली और आसपास के लोगों का मानना था कि एथलीट बनना आसान नहीं होता. लेकिन इसी के जरिए मैंने अपने सभी लोन टाइम से पहले चुका दिए लेकिन मुझे अभी बहुत कुछ हासिल करना है. माता- पिता अक्सर सही ही बोलते हैं कि एथलीट की जिंदगी आरामदायक नहीं होती लेकिन इससे बेहतर भी कुछ नहीं होती है. 

बतौर आइस स्केटर मेरा बस एक ही सपना है भारत को आइस स्केटर में ओलंपिक पदक दिलाउं. मैं बस इतना चाहता हूं कि मैं ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करूं और गोल्ड पदक लाउं. 

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विश्वराज जडेजा का यह पोस्ट बहुत लोगों को लिए प्रेरणा का स्त्रोत है. आपको बता दें कि यह पोस्ट सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है. सिर्फ इतना ही नहीं इस पोस्ट पर अब तक 7 हजार से अधिक लाइक्स और 1 हजार से अधिक कमेंट आ चुके हैं. सोशल मीडिया यूजर ने कमेंट करते हुए कहा, आप जैसे एथलीटों पर गर्व है, मैं विश्वास नहीं कर सकता कि आपने भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए सब कुछ त्याग दिया. वहीं एक यूजर ने कमेंट किया है, आपकी कहानी प्रेरणादायक है," आपको बता दें कि विश्वराज जडेजा ने विंटर वर्ल़्ड मास्टर्स खेलों में तीन रजत और एक कांस्य पदक जीता बै. वह अब विंटर ओलंपिक 2022 के लिए खास ट्रेनिंग ले रहे हैं.