नई दिल्ली:
भारतीय वैज्ञानिकों ने आज वह कारनामा कर दिखाया है, जिसकी कल्पना करना भी कुछ साल पहले तक नामुमकिन था। अब तक दुनिया भर के कई देश कुल मिलाकर 51 बार यह कोशिश कर चुके हैं, कि सबसे रहस्यमयी कहे जाने वाले मंगल ग्रह तक पहुंचा जा सके, लेकिन सिर्फ 21 अभियानों को सफलता का मुंह देखना नसीब हुआ।
किसी ने नहीं सोचा था कि सबसे बाद में कोशिश करने वाला भारत अपने पहले ही प्रयास में कामयाबी के झंडे गाड़ देगा। भारतीय मंगलयान ने बुधवार को मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश कर इतिहास रच डाला है, तो आइए जानते हैं, इस अभियान से जुड़ी खास बातें....
- सोवियत रूस, अमेरिका और यूरोप के बाद मंगल की कक्षा में प्रवेश करने वाला पहला देश बन गया है भारत...
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "अब तक का रिकॉर्ड अनुकूल नहीं था, क्योंकि दुनियाभर में अब तक हुए 51 में से सिर्फ 21 मिशन ही कामयाब हो पाए थे... लेकिन हम सफल रहे..."
- मंगल अभियानों में अब तक सिर्फ अमेरिकी एजेंसी नासा, यूरोपियन स्पेस एजेंसी, और पूर्व सोवियत संघ ही सफल रहे हैं... पहला सफल मंगल अभियान नासा का 'मैरीनर 9' था, जो वर्ष 1971 में हुआ था... हालिया नाकामयाबी वर्ष 2011 में चीन के 'यिंगहुओ-1' को मिली थी...
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो को लालग्रह कहे जाने वाले मंगल की कक्षा में प्रवेश कर एक विशेष ग्रुप में शामिल होने के लिए बधाई दी, जिसमें अब से पहले दुनियाभर की कुल तीन एजेंसियां शामिल हैं...
- नासा ने ट्वीट किया, "हम इसरो को मंगल पर पहुंचने के लिए बधाई देते हैं... लालग्रह का अध्ययन करने वाले मिशनों में मंगलयान (MarsOrbiter) शामिल हुआ..."
- मंगल ग्रह पर भेजे गए अमेरिकी रोवर 'क्यूरियॉसिटी' की तरफ से ट्वीट किया गया, "नमस्ते मंगलयान (MarsOrbiter), मंगल की कक्षा में पहुंचने के लिए इसरो तथा पहले भारतीय मिशन को बधाई..."
- मंगलयान अभियान की परिकल्पना, योजना तथा कार्यान्वयन इसरो द्वारा मात्र 450 करोड़ रुपये या छह करोड़ 70 लाख अमेरिकी डॉलर में किया गया...
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिर कहा, "हॉलीवुड की फिल्म बनाने में भी ज़्यादा खर्चा आता है..." उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री पहले भी कह चुके हैं कि हॉलीवुड की साइंस फिक्शन फिल्म 'ग्रैविटी' का बजट हमारे मंगलयान मिशन से ज़्यादा था...
- मंगलयान लाल ग्रह की सतह, संरचना, खनिज, तथा वातावरण का अध्ययन करेगा... मंगलयान पर लगे पांच सौर-ऊर्जा संचालित उपकरण ऐसे आंकड़े एकत्र करेंगे, जिनसे मंगल ग्रह के मौसम के बारे में तो जानकारी मिलेगी ही, यह भी पता लगाया जा सकेगा कि उस पानी का क्या हुआ, जो माना जाता है कि कभी मंगल ग्रह पर अच्छी मात्रा में मौजूद था...
- मंगलयान मंगल ग्रह से निकटतम स्थिति में आने पर मात्र 365 किलोमीटर दूर होगा, जबकि सबसे दूर होने पर वह लाल ग्रह के धरातल से 80,000 किलोमीटर दूर रहेगा...
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