दक्षिण अफ्रीका में लगभग साढ़े तीन अरब साल पुराने हीरों ने खोला पृथ्वी का रहस्य

दक्षिण अफ्रीका में लगभग साढ़े तीन अरब साल पुराने हीरों ने खोला पृथ्वी का रहस्य

प्रतीकात्मक फोटो

जोहानिसबर्ग:

दक्षिण अफ्रीका की प्राचीन (1890 से 1930 के बीच बनी) चट्टानों की खुदाई से निकले हीरों ने साढ़े तीन अरब साल पहले हुए पृथ्वी के निर्माण से जुड़े रहस्यों को उजागर किया है। यह जानकारी एक नए अध्ययन में सामने आई है।

विटवॉटर्सरैंड सुपरग्रुप (जोहानिसबर्ग की सोने की खानों का प्रमुख चट्टान विन्यास) से निकाले गए हीरों का अध्ययन दक्षिण अफ्रीका के जोहानसबर्ग विश्वविद्यालय, विट्स विश्वविद्यालय और कनाडा के अल्बेर्टा विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने किया है। इसका उद्देश्य यह पता लगाना है कि पृथ्वी पर आधुनिक टेक्टोनिक्स प्लेटें कब से सक्रिय हुईं।

पृथ्वी लगभग साढ़े चार अरब साल पुरानी है और जब एक चट्टान का चार अरब साल पहले का रिकॉर्ड मौजूद है, तो ऐसे में पृथ्वी की सतह पर बेहद प्राचीन चट्टानों के जटिल संरक्षक इतिहास पर बहस छिड़ गई है कि टेक्टोनिक्स प्लेटें यहां सक्रिय कब हुईं?

कई शोधकर्ताओं का मानना है कि इन प्लेटों की शुरुआत चार से ढ़ाई अरब साल पहले हुई जबकि सटीक समय पर अब भी मतभेद हैं। इस अध्ययन के हीरे तीन अरब साल पुरानी अवसादी चट्टानों के नीचे मिले हैं। इन हीरों की उत्पत्ति तो धरती के गर्भ में और भी अधिक गहराई पर हुई थी। हीरों के नाइट्रोजन संबंधी गुणों के आधार पर कहा जा सकता है कि इनकी उत्पत्ति भी बहुत पहले यानी लगभग साढ़े तीन अरब साल पहले हो गई थी।

विट्स विश्वविद्यालय की केटी स्मार्ट ने कहा कि हम इन हीरों के कार्बन और नाइट्रोजन समरूपों के संघटन का इस्तेमाल यह जानने के लिए कर सकते हैं कि विटवाटर्सरैंड के हीरों के निर्माण में लगा पदार्थ तीन अरब साल पहले आया कहां से था? ये परिणाम नेचर जियोसाइंस नामक जर्नल में प्रकाशित हुए।

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